डाहर में मातम, मामा को जिदगी भर का दर्द दे गया हादसा
डाहर में हाईवोल्टेज तार की चपेट में आने से दो युवकों की मौत हो गई। दशहरा पर्व की खुशी मातम में बदल गई। सोनीपत से फूलकंवार पहली बार मेले में झूला लेकर आए थे। भांजे को भी कुछ कमाने का मौका देना था। लेकिन तारों की चपेट में आकर भांजे की जान चली गई। मामा अपना झूला लेकर गांव से रवाना हो गए।
अजय जैन, इसराना (पानीपत)
डाहर में हाईवोल्टेज तार की चपेट में आने से दो युवकों की मौत हो गई। दशहरा पर्व की खुशी मातम में बदल गई। सोनीपत से फूलकंवार पहली बार मेले में झूला लेकर आए थे। भांजे को भी कुछ कमाने का मौका देना था। लेकिन तारों की चपेट में आकर भांजे की जान चली गई। मामा अपना झूला लेकर गांव से रवाना हो गए। जिदगी भर का दर्द भी साथ लेते गए। उधर, तार नहीं हटाए जाने से ग्रामीणों में रोष है। मृतक के पिता ने तो केस दर्ज करा दिया है। लोगों का कहना है कि तार हटवाने के लिए वे संघर्ष करेंगे।
हाईटेंशन तार की चपेट में आकर जान गंवाने वाला कीमती लाल तीन बहनों का इकलौता भाई था। उसी के ऊपर परिवार निर्भर था। पिता ओमप्रकाश ने कहा कि उनका जवान बेटा चला गया। बिजली निगम की लापरवाही ने गांव पर कहर ढा दिया है। एक हैचरी मालिक को फायदा पहुंचाने के लिए तार को शिफ्ट नहीं किया जा रहा। तार इतने नीचे हैं कि आए दिन हादसे होते हैं। कोई देखने वाला नहीं है। कई साल से नहीं बदली लाइन
लोग पिछले कई साल से इस लाइन को बदलने की मांग कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि धानक बस्ती से बुड़शाम में निजी हैचरी तक लाइन जा रही है। लाइन को बस्ती के ऊपर से क्यों निकलवाया गया, यह सवाल कई बार उठा चुके हैं। बिजली निगम के अधिकारियों ने उनकी कोई सुनवाई नहीं की। अब ये हादसा हो गया। लाइन की वजह से कई बार वाहन टकराए। गांव में नहीं मना दशहरा
डाहर गांव में दशहरा पर्व नहीं मनाया गया। ग्रामीणों ने कहा कि उनके गांव में इतना बड़ा हादसा हो गया, दशहरा कैसे मना सकते हैं। गांव में मेला लगाया जाना था। कुश्ती व कबड्डी प्रतियोगिता होनी थी। सभी कार्यक्रम रद कर दिए गए हैं। धर्मबीर की तो कुछ दिन बाद शादी होने वाली थी। वह छह भाई-बहन हैं। सबसे बड़ा था। उससे छोटा अजय और चांद हैं। दो बहनों की शादी हो चुकी है। एक साथ जलीं दोनों चिताएं
दोनों युवकों के शव एक साथ जलाएं। स्वजनों का रो-रोकर बुरा हाल था। कीमती लाल के परिवार को ग्रामीण संभाल रहे थे। धर्मबीर के परिवार पर भी जैसे कहर टूट गया था।