खेल नहीं बीमारी है गुल्ली डंडा, किसानों के लिए बनी समस्या Panipat News
इन दिनों किसानों के लिए गेहूं पर खरपतवार और गुल्ली डंडा बीमारी समस्या बन चुकी है। इन पर कीटनाशक का भी असर नहीं हो रहा है।
पानीपत/कैथल, जेएनएन। किसान इन दिनों जितना गेहूं की फसल में खरपतवार से परेशान हैं, उतना ही गुल्ली डंडा से। ये कोई खेल नहीं बल्कि एक तरह की फसल में बीमारी है।
इन दिनों ऊपर कोहरा और पाले के कारण गेहूं की पत्तियां झुलस रही। वहीं, जमीन पर खरपतवार गेहूं के विकास में बाधक बन रहा है। इसमें गुल्ली डंडा और खरपतवार सबसे खतरनाक हैं। गेहूं की फसल में खरपतवार की मात्रा इतनी अधिक हो गई है कि कीटनाशक का प्रभाव नहीं हो रहा है।
मौसम भी एक वजह
कीटनाशक का प्रभाव न होने का मुख्य कारण मौसम साफ न रहना है। पिछले दो सप्ताह से मौसम खराब हो रहा है। बादल छाए रहने के कारण समय पर धूप नहीं निकल पाई। यही कारण है कि कीटनाशक का प्रभाव बेअसर हो रहा है। आने वाले समय पर खरपतवार पर अंकुश नहीं लगा तो गेहूं की पैदावार पर असर पड़ेगा।
गुल्ली डंडा बहुत बड़ी समस्या
गेहूं की बिजाई के बाद किसानों ने ङ्क्षसचाई भी कर दी है। ऐसे में पानी लगाने वाले खेत में खरपतवार ज्यादा पैदा होना शुरू हो गए है। गेहूं की फसल में गुल्ली डंडा की बीमारी की बहुत बड़ी समस्या बन गई है। इन इलाकों में पौआ घास, जंगली पालक, मालवा की समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। जहां गेहूं की फसल नरमा, बाजरा, ग्वार व ज्वार के बाद की जाती है, यहां पर जंगली जई, बथुआ, खडबाथू, गुल्ली डंडा मेथा, गजरी कंटीली पालक खरपतवार पाए जाते है। गेहूं की फसल पर खरपतवार नियंत्रण न किया जाए तो पैदावार में 30 प्रतिशत तक कमी आ सकती है।
रोकथाम के दो तरीके
गेहूं की फसल में खरपतवार पर अंकुश नहीं लगाया गया तो उत्पादन पर असर पड़ेगा। खरपतवार की रोकथाम को दो तरीके से की जाती है। निराई व गुड़ाई करके खरपतवारों को नष्ट करने का तरीका पुराना है। आजकल कीटनाशक का प्रयोग किया जाता है। बाजार में अनेक प्रकार की कीटनाशक दवा है। एक दवा आम चल रही है अलग्रीप। इसका छिड़काव करने के बाद लगभग सभी खरपतवार से मुक्ति पाई जा सकती है।
- यह है मुख्य खरपतवार
- बथुआ, मंडूसी
- जंगली पालक
- चैड़ी पत्ती वाले खरपतवार
- जंगली जई
- पोआ घास
इसलिए ये समस्या बढ़ी
कृषि उपनिदेशक डॉ. कर्मचंद ने बताया कि पहले खाद का प्रयोग अधिक होने के कारण यह समस्या आ रही है। अगर कम खरपतवार है तो किसान इसे उखाड़ भी सकते है। अगर ज्यादा है तो कृषि विशेषज्ञों से बात कर कीटनाशक का प्रयोग करना चाहिए। खाद की मात्रा कम रखनी चाहिए ताकि फसलों पर ज्यादा प्रभाव न पड़े।