मौसम ने किसानों को मुस्कराने का दिया मौका, इसलिए गेहूं की पैदावार अच्छी
मौसम की ठंडक से गेहूं की कटाई रुक गई है। अच्छी पैदावार के संकेत से किसानों के चेहरों पर साफ तौर पर मुस्कान देखने को मिल रही है। विशेषज्ञों की मानें तो सिकुडऩे की संभावना कम है।
पानीपत/यमुनानगर, जेएनएन। मौसम में लगातार ठंडक से गेहूं की कटाई ठिठक गई है। विशेषज्ञों के मुताबिक कटाई सीजन सुचारू होने में अभी 10 दिन लग सकते हैं। मतलब बैसाखी के आसपास ही फसल की कटाई जोर पकड़ेगी। उधर, मौसम का यह मिजाज बेहतर पैदावार के संकेत दे रहा है।
तापमान में गिरावट अगेती व पछेती दोनों के लिए फायदेमंद बताई जा रही है। दाना सिकुडऩे की संभावना कम रहेगी और बालियों का आकार भी बढ़ेगा। अधिक तापमान की स्थिति में झोला (फसल का सूखना) निकलने का खतरा बना रहता है। बता दें कि प्रदेश में कुल 2530 हजार हेक्टेयर पर गेहूं की फसल है। सबसे अधिक सिरसा में 296 व सबसे कम पंचकूला में 18 हजार हेक्टेयर पर गेहूं की फसल है। दिसंबर- जनवरी माह में मौसम फसल के अनुकूल रहा। ठंड राहत बनकर पड़ी, जिससे फुटाव अच्छा हुआ।
किस जिले में कितना एरिया
हिसार में 224 हजार हेक्टेयर, फतेहाबाद में 188, सिरसा में 296, भिवानी 177, रोहतक 104, झज्जर 106, सोनीपत 144, गुडग़ांव 43, मेवात 77, पलवल 94, फरीदाबाद 30, करनाल 176, पानीपत 84, कुरुक्षेत्र 113, कैथल 174, अंबाला 87, पंचकुला 18, यमुनानगर 89, जींद 216, महेंद्रगढ़ 49 रेवाड़ी 46 व चरखी दादरी में 55 हजार हेक्टेयर पर गेहूं की फसल खड़ी है।
ऐसा रहेगा मौसम
आगामी दिनों में तापमान बढऩे की संभावना जताई जा रही है। मंगलवार को अधिकतम 32 व न्यूनतम तापमान 16 डिग्री सेल्सियस रहा। बुधवार को अधिकतम 34 व न्यूनतम 18 डिग्री सेल्सियस, बृहस्पतिवार को अधिकतम 35 व न्यूनतम 19, शुक्रवार को अधिकतम 35 व न्यूनतम तापमान 21 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है। गर्मी बढऩे की संभावना को देखते हुए फसल जल्द पकने के असार हैं।
किसान करें नियमित देखरेख
अतिरिक्त पौधा संरक्षण अधिकारी डॉ. राकेश जांगड़ा का कहना है कि इस बार मौसम पूरी तरह गेहूं की फसल के अनुकूल रहा। इन दिनों अकसर तापमान बढ़ जाता है जिससे गेहूं की फसल प्रभावित होने की संभावना रहती है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। तापमान में गिरावट लाभदायक साबित होगी। किसान फसल की नियमित रूप से देखभाल करते रहें। फसल पीले रतुए की चपेट में आ सकती है। दूसरा, मौसम का रुख देखकर ही फसल की सिंचाई करें। हल्की सिंचाई करें ताकि फसल में पानी जमा न हो।