हथिनीकुंड बैराज से दिया जाएगा राजस्थान को पानी, सरकार कराएगी नहर का निर्माण Panipat News
यमुनानगर में जलशक्ति राज्यमंत्री रतन लाल कटारिया ने कहा कि राजस्थान की प्यास बुझाने के लिए नहर का निर्माण केंद्र सरकार कराएगी।
पानीपत/यमुनानगर, जेएनएन। भले की सरकार ने दादुपुर नलवी नहर को डिनोटिफाई कर दिया, लेकिन अब केंद्र सरकार हथिनीकुंड बैराज से राजस्थान की प्यास बुझाने के लिए नहर का निर्माण कराएगी। जलशक्ति राज्यमंत्री रतन लाल कटारिया ने मीडिया को दिए बयान में इसकी पुष्टि की है। वे आठ सितंबर को रोहतक में होने वाली प्रधानमंत्री की रैली का न्योता देने आए थे।
उनका कहना है कि इस संबंध में चंडीगढ़ में मंगलवार को सात राज्यों के साथ मीटिंग होगी। इस नहर में केवल बरसात के मौसम में पानी दिया जाएगा, जिससे कि बरसाती पानी से भूमि रिचार्ज होगी और पानी स्टोर किया जाएगा। नहर के निर्माण से इस क्षेत्र में बाढ़ से होने वाली तबाही को रोका जा सकता है।
इसी एरिया में खोदी जाए नहर : मंत्री
कटारिया ने कहा कि इस एरिया से नहर खोदी जाए। बेकार में बहने वाले पानी का इस्तेमाल प्रदेश के लिए हो सकें। मीटिंग में और भी सुझाव आएंगे। उन पर भी चर्चा होगी। उसके बाद प्रदेश सरकार से बात होगी।
रिकॉर्ड के आधार बंद हुई नहर
दादुपुर नलवी नहर को बंद करने के सवाल पर कटारिया ने कहा कि प्रदेश सरकार ने भी जो भी किया वह रिकॉर्ड के आधार पर किया है। देश में अंदर 80 हजार करोड़ रुपये नल से जल के लिए 2024 तक खर्च करेंगे। अभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को साढ़े तीन लाख रुपये के संसाधन प्रदान करने की बात कहीं है। हमारा प्रयास है कि आने वाले समय में 55 लीटर पानी प्रति व्यक्ति उपलब्ध हो।
ये समझौता हुआ था 90 के दशक में
हथिनीकुंड बैराज का पानी अब राजस्थान की प्यास बुझाएगा। र्ष-1996 में पांच राज्यों के बीच हुए जल समझौते पर राजस्थान के सिंचाई विभाग ने काम किया था। वहां के उच्चाधिकारियों ने हथिनीकुंड बैराज का दौरा भी किया। यहां से पाइप लाइन के जरिये राजस्थान में पानी पहुंचाने की योजना थी। हरियाणा और राजस्थान की सीमा डैम बनाकर सप्लाई होना था।
15 जून से सितंबर तक दिया जाएगा पानी
समझौते के मुताबिक राजस्थान को यहां से 15 जून से 15 सितंबर तक ही पानी दिया जाएगा, क्योंकि बाकी दिनों में बैराज पर पानी सामान्य से कम रहता है। बैराज से हरियाणा, दिल्ली व उप्र में पानी पहुंच रहा है। राजस्थान के हिस्से 1970 क्यूसेक पानी जाना था। हालांकि यह प्रोजेक्ट इतना सरल नहीं है। यही वजह रही कि अब तक इस योजना पर काम शुरू नहीं हो पाया है।