Water Crises: कल के लिए जल बचाना जरूरी, पानीपत के 192 में से रेड जोन में 60 गांव
Water Crises in Haryana हरियाणा में भू-जल संकट का खतरा गहराता जा रहा है। पानी बचाने को लेकर किए जा रहे सारे प्रयास नकाफी साबित हो रहे हैं। पानीपत की बात करें तो जिले के 192 गांव में 60 रेड जोन में शामिल है।
पानीपत, [रामकुमार कौशिक]। औद्योगिक नगरी पानीपत जिले की भू जल की स्थिति लगातार बिगड़ रही है। ये हालात तब है, जब केंद्र से लेकर प्रदेश सरकार गिरते भू जल स्तर की स्थिति में सुधार को लेकर अनेक स्कीमें चला रही है। किसानों को धान की बजाय कम पानी लागत वाली फसलों की बुवाई के प्रति प्रेरित करने के लिए प्रोत्साहन राशि तक दी जा रही है।
फिर भी जिले के 192 गांवों में से 60 यानि हर तीसरा गांव रेड जोन में हैं। दर्जन भर गांव ऐसे भी हैं जहां जल स्तर 130 फीट से नीचे जा चुका है। सिवाह जिले का इकलौता गांव हैं। जिसकी स्थिति सबसे ज्यादा खराब है। यहां भू जल स्तर 51.70 मीटर, यानि 168 फीट से नीचे जा चुका है। पानीपत जिले में भू जल स्तर के लगातार गिरने के एक नहीं, बल्कि अनेक कारण हैं। ऐसी चिंताजनक स्थिति में कल के लिए जल को बचाना बहुत जरूरी है।
सालों में 2 से 20 मीटर तक गिरा भू जल स्तर
पानी के लगातार दोहन के चलते भू जल स्तर गिर रहा है। विभागीय आंकड़ों के मुताबिक पिछले 11 सालों में जिले में अलग अलग एरिया में 2 से लेकर 20 मीटर तक भू जल स्तर गिरा है। खासकर शहर से लगते गांवों की स्थिति ज्यादा चिंताजनक हैं। जहां भू जल स्तर सबसे ज्यादा गिर रहा है। सिवाह में जून 2010 में जल स्तर 32.80 मीटर था। जो अक्टूबर 2021 में 51.70 मीटर तक जा पहुंचा है। इसी तरह रिसालू का 31.80 से 48.25, गांजबड़ का 31.40 से 40.46 मीटर , राजाखेड़ी 18.70 से 42.06, कुटानी 19.21 से 37.86 मीटर तक जा पहुंचा है।
पानीपत व समालखा खंड की स्थिति सबसे खराब
वैसे तो जिले के सभी खंडों में भू जल स्तर की स्थिति ठीक नहीं है। लेकिन पानीपत व समालखा खंड में स्थिति और ज्यादा चिंताजनक होती जा रही है। दोनों खंडों के 48 गांव रेड जोन का हिस्सा हैं। तीसरे नंबर पर बापौली ब्लाक है। जिसके 10 गांव रेड जोन में हैं। चौथे नंबर पर इसराना के केवल दो गांव रेड जोन में हैं। जबकि जिले का मतलौडा खंड केवल ऐसा है। जिसका एक भी गांव अभी रेड जोन में नहीं है। जिले के 12 गांवों में जहां भू जल स्तर 40 से 51 मीटर के बीच है। वहीं 49 गांवों में 30 से 40 मीटर के बीच है।
खेती में सबसे पानी का उपयोग
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उपनिदेशक डा. आदित्य प्रताप सिंह ने बताया कि खेती में सबसे ज्यादा पानी का उपयोग होता है। हमारे किसान गेहूं व धान की खेती करते हैं। धान में सबसे ज्यादा पानी लगता है। हमें गिरते भू जल स्तर को बचाना है तो धान को छोड़ अन्य फसलों को अपनाना होगा। सरकार धान की सीधी बुवाई करने पर चार हजार व धान छोड़ अन्य फसल उगाने पर सात हजार रुपये प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि भी दे रही है। धान की सीधी बुवाई कर किसान कम खर्च में खेती कर प्रोत्साहन राशि पाने के साथ पानी बचा सकते हैं।
भू जल स्तर गिरने के ये हैं मुख्य कारण
इन गांवों की हालात चिंताजनक जहां भू जल स्तर 40 मीटर से नीचे जा चुका है
गांव
सिवाह
रिसालू
पानीपत
उग्राखेड़ी
राजाखेड़ी
मलिक उग्रा-वन
करहंस
नुरपुर मुगलान
सिवाह खेड़ी
गांजबड़
पसीना खुर्द
निंबरी
किस खंड में किस जोन में कितने गांव
खंड
पानीपत
समालखा
बापौली
इसराना
मतलौडा