मनरेगा में नहीं दी मजदूरी, अफसरों पर उठाए सवाल
मजदूरों की आर्थिक दशा सुधारने के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत मजदूरों को 100 दिन का रोजगार दिया जाता है। नैन गांव में 400 से अधिक जॉब कार्ड बनाए गए हैं। मजदूरी का भुगतान करने के लिए अदियाना गांव के सेंट्रल बैंक में खाता खुलवाया गया।
जागरण संवाददाता, पानीपत : नैन गांव में वर्ष 2017 में मनरेगा मजदूरों से काम कराया गया। मजदूरी के नाम पर एक रुपया भी नहीं मिला। सरपंच और पंचायत मेंबर से लेकर मजदूर गांव में आने वाले अधिकारियों से भी गुहार लगा चुके हैं। कोई उनकी बात सुनने को तैयार नहीं है। वोट लेने वाले जनप्रतिनिधि भी अब उनकी सहायता नहीं कर रहे हैं।
मजदूरों की आर्थिक दशा सुधारने के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत मजदूरों को 100 दिन का रोजगार दिया जाता है। नैन गांव में 400 से अधिक जॉब कार्ड बनाए गए हैं। मजदूरी का भुगतान करने के लिए अदियाना गांव के सेंट्रल बैंक में खाता खुलवाया गया। मजदूरों को पूरे 100 दिन काम भी नहीं मिला। महिलाओं से 15 दिन काम करवा कर उन्हें एक फूटी कौड़ी का भुगतान नहीं किया गया। गांव में पहुंची दैनिक जागरण की टीम से मजदूर परिवारों ने अपनी शिकायतें साझा की। नौकरशाही और सरकार के प्रति नाराजगी जताई। मजदूरी नहीं की, खाते में पैसे आए
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बुजुर्ग हरिराम ने बताया कि मनरेगा के बारे में उन्हें कुछ भी पता नहीं है। पंचायत मेंबर ने कभी मजदूरी नहीं कराई। खाते में पैसे कहां से आए इस बारे में उन्हें कुछ मालूम नहीं है। 21 मार्च 2017 को 3367 और 15 अप्रैल को 3108 रुपये ऑनलाइन खाते में पेमेंट आई। पैसे मैंने मनरेगा इंचार्ज को दे दिए। इस योजना में कुछ गड़बड़झाला है। काम कराए बिना सरकार खाते में कहां से पैसा देगी। अफसर सुनने को राजी नहीं
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मजदूरी कर परिवार का भरण पोषण करने वाली धनपति ने बताया कि सरपंच के चुनाव के बाद वर्ष 2017 में मनरेगा में उससे काम करवाया गया। बैंक में खाते भी खोल दिए। मिट्टी भराई कार्य में राकेश ने 15 दिहाड़ी लगवाई,लेकिन एक रुपया नहीं दिया। किसे सुनाऊं अपना दुखड़ा। अफसर से लेकर नेता तक कोई गरीबों की मदद करने वाला नहीं है। मिट्टी भराई में 15 दिहाड़ी लगवाई
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कृष्णा ने 2017 में मनरेगा में मजदूरी की। ट्राली में मिट्टी उठा कर खेल स्टेडियम में कार्य किया। नौ दिहाड़ी पूरी करने के बाद उसे पैसे की जरूरत हुई। इंचार्ज से पैसा मांगा तो काम पर से हटा दिया। नौ दिन की मजदूरी भी नहीं मिली। कृष्णा ने बताया कि सब मिलजुल कर इस योजना में गड़बड़ी कर रहे हैं। गरीबों का पैसे से अपनी जेब भर रहे हैं।