संघर्ष से जूझ खेलना शुरू किया तो बदली जिंदगी, पाई नौकरी और शोहरत
वॉलीबॉल खेल ने शिवम व सन्नी की जिंदगी बदल दी है। कई संघर्षों के बावजूद खेल नहीं छोड़ा। खेल में बेहतरीन प्रदर्शन कर नौकरी और शोहरत पाई।
पानीपत, [विजय गाहल्याण]। वॉलीबॉल खेल ने दो खिलाडिय़ों की ङ्क्षजदगी बदल दी। लोग उनका मजाक करते थे कि कामयाब नहीं हो पाएंगे। अच्छा रहेगा खेल छोड़ कर पढ़ाई पर ध्यान दें। उन्होंने किसी की परवाह नहीं की। कड़ा अभ्यास करते रहे। खेल में सफलता के आयाम कायम किए और इसी के बूते नौकरी भी पाई। तंज कसने वाले लोग अब उनकी शोहरत की तारीफ करते हैं। कई दोस्तों ने भी उन्हें देख वॉलीबॉल खेलना शुरू कर दिया है। ये असल कहानी है पुणे में सहायक इनकम टैक्स अधिकारी करनाल के सटोंडी गांव के शिवम चौधरी और हरियाणा पुलिस के एएसआइ कैथल के सिकंदरखेड़ी गांव के सन्नी की।
दोनों ही खिलाड़ी शिवाजी स्टेडियम में हुई दो दिवसीय नरेश जैन मेमौरियल वॉलीबॉल प्रतियोगिता में शिरकत करने आए। इस दौरान उन्होंने दैनिक जागरण से बातचीत की और संघर्ष से लेकर सफलता की राज बताए।
कोच पिता का सपना पूरा किया, भाई ही भी हुआ कामयाब
शिवम चौधरी ने बताया कि पिता महावीर वॉलीबॉल के कोच रहे हैं। उनकी इच्छा थी कि वॉलीबॉल खिलाड़ी बनूं। उसने अर्जुन अवार्डी डॉ. दलेल ङ्क्षसह से प्रेरित होकर वॉलीबॉल खेलना शुरू किया और ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी में दो स्वर्ण, एक रजत पदक जीता। प्रो. वॉलीबाल लीग में यू मुंबा, दुबई, कतर, कुवैत और मसकट क्लबों से खेला। उसे खेलते देखा छोटे भाई निखिल चौधरी ने अभ्यास किया और रेलवे में टीटीई की नौकरी पाई। उसने खेल के जरिये शोहरत और पिता का सपना पूरा किया है।
पिता चाहते थे विदेश में रहूं, वॉलीबॉल नहीं छोड़ सका
यूथ एशियन वॉलीबॉल चैंपियनशिप में देश का प्रतिनिधित्व कर चुके और आल इंडिया यूनिवर्सिटी में तीन स्वर्ण पदक जीत चुके सन्नी ने बताया कि ताऊ, बहन, जीजा सहित कई रिश्तेदार आस्ट्रेलिया व स्वीडन में रहते हैं। इकलौता बेटा होने की वजह से इंस्पेक्टर पिता महेंद्र ङ्क्षसह की इच्छा थी कि वह भी आस्ट्रेलिया में जाकर रहे। पड़ोस के गांव पुंडरी के वॉलीबॉल कोच कर्मबीर ने उसे वॉलीबॉल खेलने के लिए प्रेरित किया और कुरुक्षेत्र साई में दाखिला करा दिया। खेल कोटे से हरियाणा पुलिस में सिपाही की नौकरी पा ली। अब पिता विदेश में भेजने की जिद नहीं करते हैं। वे उसे कहते हैं जितना चाहे खेल लो। इसकी खुशी है।