मासूमों से बेरुखी, भीख मंगवाने वाले गिरोह पर मेहरबानी दिखा रही खाकी
पानीपत में भीख मंगवाने वाला गिरोह का मामला उजागर होने के बाद भी पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया गया। इसमें प्रशासनिक उदासीनता भी कम नहीं है।
पानीपत, जेएनएन। मोबाइल फोन चुराकर देने के 200 और लोहा-सिल्वर चुराने के 20 रुपये मिलते हैं। शाम तक चौराहों पर भीख मांगने पर सुबह-शाम का खाना और 20 रुपये मिलता है। संजय चौक के पास से चार दिन पहले पकड़े गए चार मासूमों के इस दर्द ने स्वस्थ समाज को हिलाकर रख दिया था। सिटी थाना पुलिस बच्चों के प्रति इतनी असंवेदनशील है कि इस मामले में मुकदमा तक दर्ज नहीं कर सकी है जबकि बच्चों ने चोरी करने की ट्रेन देने वाले कबाड़ी का नाम भी उजागर किया था। इतना ही नहीं भीख मंगवाने वाले गिरोह के सदस्यों के चेहरे शिकायतकर्ताओं के कैमरे में कैद हैं।
गौरतलब है कि सामाजिक कार्यकर्ता ममता भास्कर और बलिंद्र सिंह ने बच्चों से भीख मंगवाने और चोरी कराने वाले गिरोह की सूचना 13 फरवरी को एसपी सुमित कुमार को दी थी। इसके बाद डीएसपी मुख्यालय सतीश वत्स को सूचना दी गई। सूचना के बाद बाल कल्याण समिति के सदस्य और पुलिस सनौली रोड पहुंची थी। समिति ने चारों बच्चों को पुलिस को सौंपा था।
चोरी की दी जाती है ट्रेनिंग
समिति की ओर से कराई गई प्राथमिक काउंसिलिंग में बच्चों ने बताया था कि दो युवक रोजाना कोहंड से पानीपत लाकर छोड़ देते हैं, देर शाम वापस ले जाते हैं। दो समय का भोजन और 20 रुपये देते हैं, बाकी पैसा अपनी जेब में रख लेते हैं। नशे की हाल में मिले 14 वर्षीय किशोर ने तो खटीक बस्ती के एक कबाड़ी का नाम भी पुलिस और समिति सदस्यों को बताया था।
चोरी की ट्रेनिंग देता है सरगना
किशोर का आरोप था कि कबाड़ी करीब 15-20 बच्चों को चोरी करने की ट्रेङ्क्षनग देता है। संजय चौक पर ठेला लगाने वाला युवक मोबाइल फोन चुराकर लाने के एवज में 200 रुपये देता है। हैरत की बात यह कि चारों बच्चे तभी से ओपन शेल्टर होम में हैं और पुलिस ने इस मामले में मुकदमा भी दर्ज नहीं किया है।
पुलिस ने रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की
बच्चों के बयानों के आधार पर पुलिस को मुकदमा दर्ज कर जांच के निर्देश दिए गए थे। अभी तक इस मामले में पुलिस ने कोई रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की है। बच्चों को लेने के लिए भी कोई नहीं आया है।
एडवोकेट पद्मा रानी, चेयरपर्सन, बाल कल्याण समिति, पानीपत