सहकारी समितियों से नदारद यूरिया, बारिश होने से बढ़ी यूरिया की डिमांड
यमुनानगर में सहकारी समितियों में यूरिया नहीं है। वहीं बारिश होने से यूरिया की मांग भी बढ़ गई है। ऐसे में किसान के सामने एक बार फिर यूरिया की समस्या खड़ी हो गई है। यमुनानगर में 26 हजार हेक्टेयर में गन्ने की फसल खड़ी है।
यमुनानगर, जागरण संवाददाता। किसान के सामने एक बार फिर यूरिया की किल्लत आ खड़ी हुई है। सहकारी समितियों पर उपलब्ध न होने के कारण किसान परेशान हैं। उधर, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अधिकारियों के मुताबिक निजी विक्रेताओं पर करीब छह हजार एमटी यूरिया है। सहकारी समितियों यूरिया का रैक न आने से दिक्कत आ रही है। उम्मीद है जल्दी ही सभी समितियों पर यूरिया की खेप पहुंच जाएगी। बता दें कि बारिश होने के बाद यूरिया की डिमांड बढ़ी है। किसान धड़ाधड़ अपनी फसलों में खाद डाल रहे हैं।
26 हजार हेक्टेयर पर गन्ने की फसल
जिले में करीब 26 हजार हेेक्टेयर में गन्ने की फसल खड़ी है। इसके अलावा करीब 60 हजार हेक्टेयर में धान की रोपाई को चुकी है। क्षेत्र में हुइ बारिश के बाद गन्ने की फसल में यूरिया का छिड़काव किया जा रहा है। दूसरा, धान की रोपाई के करीब दो सप्ताह किसान यूरिया की खुराक देना शुरू कर देते हैं। इसके अलावा इन दिनों चारे की फसल को भी यूरिया की आवश्यकता है। यूरिया लेने के लिए किसान सहकारी समितियों के चक्कर लगा रहे हैं।
जिले में 43 सहकारी समितियां
जिले में 43 सहकारी समितियां हैं। गेहूं के सीजन में भी अधिकांश पर यूरिया खाद उपलब्ध नहीं था। किसानों को भारी परेशानी झेलनी पड़ी। भारतीय किसान संघ के प्रदेश महामंत्री रामबीर सिंह चौहान, भाकियू के पूर्व जिलाध्यक्ष सुभाष धौड़ंग का कहना है कि पूरे जिले में किसानों को कहीं भी पैक्स केंद्र में खाद नहीं मिल पा रहा है। गांवों में बने पैक्स केंद्रों पर भी खाद की कोई सप्लाई नहीं है। सरकार की मंशा किसानों की फसलों को बर्बाद करना है, क्योंकि सरकार किसानों को कारपोरेट घरानों के यहां मजदूरी कराना चाहती है। हर फसल के सीजन में किसानों को खाद नहीं मिलती। पहले गेहूं की पैदावार भी प्रभावित हुई थी वहीं अब गन्ना व धान की फसल प्रभावित हो रही है।
किसान कर चुके हैं प्रदर्शन
यूरिया खाद उपलब्ध न होने के कारण गेहूं के सीजन में किसान प्रदर्शन कर चुके हैं। किसानों का आरोप है कि यूरिया की उपलब्धता को लेकर सरकार की मंशा ठीक नहीं है। क्योंकि फसली सीजन में हर बार किसानों को किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। दूसरी ओर, प्लाइवुड इकाइयों में किसानों के हिस्से का यूरिया सप्लाई होने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। किसान सुभाष गुर्जर का कहना है कि यदि प्लाइवुड इकाइयों में सप्लाई हो रहे यूरिया पर पूर्ण रूप से अंकुश लग जाए तो यूरिया की किल्लत की समस्या काफी हद तक तक दूर हो जाएगी।
जल्द पहुंचेगा यूरिया
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उप निदेशक डा. जसविंद्र सैनी ने बताया कि निजी विक्रेताओं के पास पर्याप्त यूरिया उपलब्ध है। सहकारी समितियों पर जल्दी एक-दो दिन में यूरिया पहुंच जाएगी। उसके बाद किसानों को परेशानी नहीं होगी।