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अनोखी मुहिम, पर्यावरण बचाने को प्रिंसिपल ने बनाई ग्रीन ब्रिगेड, चारों तरफ फैला रहे हरियाली

यमुनानगर की प्रिंसिपल मोनिका कश्यप का अनोखा प्रयास। पर्यावरण बचाने का संदेश देने के लिए छात्रों की ग्रीन ब्रिगेड ही बना दी। इस ब्रिगेड का काम पौधे लगाना व उनकी देखरेख करना है। 7 साल में 15 हजार पौधे लगा चुके हैं।

By Umesh KdhyaniEdited By: Published: Mon, 21 Jun 2021 05:57 PM (IST)Updated: Tue, 22 Jun 2021 08:45 AM (IST)
अनोखी मुहिम, पर्यावरण बचाने को प्रिंसिपल ने बनाई ग्रीन ब्रिगेड, चारों तरफ फैला रहे हरियाली
विद्यार्थियों के अभिभावकों काे साल में एक बार पौधे भेंट किए जाते हैं।

यमुनानगर, जेएनएन। हम रहें या न रहें, लेकिन पेड़-पौधे हमारे बाद भी रहेंगे। हम तो एक दिन चले जाएंगे, लेकिन पेड़ दूसरों को छाया, फल, लकड़ी और सबसे महत्वपूर्ण जिंदा रहने के लिए ऑक्सीजन देते रहेंगे। इसलिए पौधे लगाना बहुत जरूरी है। यमुनानगर के छोटे-छोटे बच्चों की ग्रीन ब्रिगेड यह बात समझ चुकी है, जो ज्यादातर लोग समझना नहीं चाहते। यह ब्रिगेड 15 हजार से ज्यादा पौधे लगा चुकी है।

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बच्चे हरियाली का महत्व समझें, इसलिए ग्रीन ब्रिगेड बनाई गई।

प्रिंसिपल मोनिका कश्यप की अनोखी पहल

यमुनानगर शहर के चांदपुर में रहने वाली मोनिका कश्यप कई सालों से पौधे लगा रहीं हैं। पौधे रोप कर समाज को पर्यावरण बचाने का संदेश दे रही हैं। मोनिका कश्यप न्यू हैप्पी स्कूल बिलासपुर की प्रिंसिपल हैं। स्कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थी पौधों का महत्व समझें इसलिए उन्होंने छात्रों की ग्रीन ब्रिगेड ही बना दी। इस ब्रिगेड का काम पौधे लगाना व उनकी देखरेख करना है। वह न केवल स्कूल में पौधे लगाते हैं बल्कि आसपास के गांवों में भी भी पौधे लगाकर उन्हें हराभरा कर दिया है। इन छात्रों को स्कूल की बसों से गांवों में ले जाया जाता है ताकि वहां पर पौधे लगा सकें। 7 साल में अब तक करीब 15 हजार पौधे स्कूल के विद्यार्थी व स्टाफ गांवों में लगा चुके हैं।

विद्यार्थियों की ग्रीन ब्रिगेड 7 साल में 15 हजार पौधे लगा चुकी है।

अभिभावकों को भेंट करते हैं पौधे

जो विद्यार्थी स्कूल में पढ़ते हैं उनके अभिभावकों काे साल में एक बार पौधे भेंट किए जाते हैं। इसके लिए स्कूल ने अक्टूबर माह निर्धारित कर रखा है। इस दौरान फलदार, फूलदार व छायादार पौधे दिए जाते हैं। ऐसा इसलिए ताकि विद्यार्थियों के साथ-साथ उनके माता-पिता भी पर्यावरण से जुड़ते हुए पौधे लगाएं। गांवों में जो पौधे लगाए जाते हैं उनकी देखरेख स्कूल की सबसे बड़ी कक्षा का वही विद्यार्थी करता है जो उस गांव में रहने वाला है। इस विद्यार्थी की निगरानी में पौधे सबसे ज्यादा हरेभरे रहते हैं उन्हें स्कूल में सम्मानित करती हैं ताकि वह आगे भी इसी तरह प्रोत्साहित हाेते रहें।

विद्यार्थियों के अभिभावकों को भी मुहिम से जोड़ने की कोशिश की जाती है।

कलम से तैयार करते हैं पौध 

वन विभाग मानसून सीजन में जब पौधारोपण अभियान चलता है ताे उनसे पौधे लेकर बच्चों को दिए जाते हैं। सालभर स्कूल स्तर पर जो पौधे लगाए जाते हैं उसके लिए स्कूल खुद ही पौधे तैयार करता है। दरअसल पौधों के कलम से क्लोन पौधे स्कूल में ही तैयार किए जाते हैं। फिर भी यदि पौधों की कमी हो जाती है तो नर्सरी से खरीद कर लगवाती हैं। गर्मी के दिनों में पेड़ लगाना है और पक्षियों को पानी पिलाना है अभियान चलाया जाता है। ताकि चिलचिलाती गर्मी से पक्षियों को बचाने के लिए पानी मिलता रहे।

विद्यार्थी गांवों में जाकर पौधे लगाते हैं। उसकी देखभाल की जिम्मेदारी भी लेते हैं।

पेड़ काटने पर होता है दुख : मोनिका कश्यप

मोनिका कश्यप का कहना है कि बच्चों को जैसी आदत बचपन से सिखाएंगे वह वैसा ही सीखेंगे। उन्हें खुद पौधों से लगाव है इसलिए स्कूल में विद्यार्थियों को पौधे लगाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। जब विद्यार्थियों द्वारा लगाए गए पौधों को कोई काटता है तो बड़ा दुख होता है। छात्रों से कहा गया है कि वह अपने व माता-पिता के जन्मदिन पर पौधा जरूर लगाएं। क्योंकि पौधे होंगे तो धरती पर जीवन रहेगा। इसलिए सभी को पौधे जरूर लगाने चाहिए।

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