अनोखी साइबर ठगी, एप के जरिए काल कर क्रेडिट कार्ड से निकालते थे कैश, मुख्य आरोपित गिरफ्तार
करनाल में साइबर ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। पुलिस ने मुख्य आरोपित को गिरफ्तार कर लिया है। ये गिरोह एप के जरिए काल कर क्रेडिट कार्ड से कैश निकाल लेता था। तीन अन्य आरोपितों के साथ मिलकर लगा रहा था उपभोक्ताओं को चूना
करनाल, जागरण संवाददाता। एप के जरिए पहले क्रेडिट कार्ड उपभोक्ताओं को काल करते और फिर ओटीपी भेजकर उसे चूना लगा देते थे। ऐसे ही एक गिरोह का साइबर थाना पुलिस ने भंडाफोड़ किया है, जिसके मुख्य आरोपित को गिरफ्त में लिया गया तो अन्य आरोपितों की तलाश में भी छापेमारी की जा रही है।
ऐसी ही एक वारदात करनाल में भी अक्तूबर 2021 को सामने आई थी, जिसमें अश्वनी कुमार वासी राजीव कालोनी ने साइबर थाने में दी शिकायत में बताया था कि उसके पास एक अज्ञात नंबर से अचानक काल आई। यह नंबर एसबीआई क्रेडिट कार्ड कस्टूमर केयर का था। इस बात कर रहे व्यक्ति ने कहा कि हाई स्क्योरिटी रीजन की वजह से उनका क्रेडिट कार्ड बदला जा रहा है। आरोपित ने एक ओटीपी भेजा तो आगे प्रक्रिया पूरी कराई। जिसके बाद उसके खाते से 91 हजार 879 रुपये निकाल लिए। यह मैसेज उसके पास आया तो वह हैरान रह गया।
चार दिन की रिमांड पर
साइबर थाना पुलिस ने जांच शुरू की तो आरोपित अमन वासी लक्ष्मी विहार उत्तम नगर को नीमका जेल फरीदाबाद को प्रोडक्शन वारंट पर लिया और उसे चार दिन के रिमांड पर लिया गया। आरोपितों द्वारा फरीदाबाद में तीन वारदात व करनाल में अब तक एक वारदात को अंजाम दे चुके थे। आरोपित अमन को मंगलवार को फिर अदालत में पेश किया जाएगा।
इस तरह करते थे ठगी
पुलिस के अनुसार पूछताछ में पता चला है कि आरोपित के चार अन्य साथी इंडिगो फेक काल एप के माध्यम से लोगों के मोबाइल नंबरों पर काल करते थे। इस ऐप्लिकेशन के माध्यम से आरोपित जो भी नंबर इस ऐप में सेट करते थे वही सामने वाले व्यक्ति के मोबाइल में दिखाई देता था। इन नंबरों में आरोपित ज्यादातर कंपनियों व बैंकों के असली नंबर ही सेट करते थे। जिससे सामने वाला व्यक्ति कंपनी का कस्टूमर केयर नंबर या असली नंबर दिखाई देने की वजह से सारी जानकारी आसानी से उन्हें दे देता था। जांच में यह भी पता चला है कि लोगों के क्रेडिट कार्ड से रुपये निकलने के बाद एक अन्य ऐप के वालेट के माध्यम से सारी रकम आरोपित अमन के खाते में ट्रांसफर हो जाती थी, जिसके बाद अमन इस रकम को अपना दस प्रतिशत कमीशन रखकर अन्य आरोपितों को दे देता था।