स्टेट हाईवे पर जाम में यमदूत बनकर दौड़ा बेकाबू वाहन, तीन की मौत, चार घायल
टाटा मैजिक ने जाम में फंसे वाहनों को टक्कर मार दी। इसमें तीन की मौत हो गई जबकि चार घायल हो गए। डेरा संत निश्चल सिंह थड़ा साहिब जोडिय़ां में होला मोहल्ला समागम की वजह से जाम था।
पानीपत/यमुनानगर, जेएनएन। यमुनानगर-रादौर स्टेट हाईवे पर डेरा संत निश्चल सिंह थड़ा साहिब जोडिय़ां के पास जाम में फंसे वाहनों में टाटा मैजिक ने पीछे से टक्कर मार दी। इस हादसे में दो महिलाओं सहित तीन लोगों की मौत हो गई, जबकि टाटा मैजिक चालक समेत पांच लोग घायल हो गए। घायलों को ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया है। पुलिस ने टाटा मैजिक चालक के खिलाफ केस दर्ज कर लिया।
डेरा संत निश्चल सिंह थड़ा साहिब जोडिय़ां में शुक्रवार रात छह दिवसीय होला मोहल्ला समागम का शुभारंभ हुआ। रविवार को श्रद्धालुओं की ज्यादा भीड़ के कारण गुरुद्वारा के सामने सड़क पर जाम लग गया। इसी बीच रादौर की तरफ से तेज गति से टाटा मैजिक गाड़ी आई और जाम में फंसे वाहनों को टक्कर मार दी। इस हादसे में दो एक्टिवा, एक बाइक और दो कारें क्षतिग्रस्त हो गई। हादसे के घायलों को ट्रामा सेंटर पहुंचाया, जहां डाक्टरों ने एक्टिवा सवार शांति कालोनी निवासी ममता देवी व अशोक कुमार और जठलाना के लक्सी बांस गांव की शिवानी की मौत हो गई। वहीं गोबिंदपुरा का शुभम, करनाल का नितिश, मृतका शिवानी की बेटी शगुन और शांति कालोनी निवासी टाटा मैजिक चालक निखिल घायल हो गए। सब इंस्पेक्टर सतपाल ङ्क्षसह ने बताया कि आरोपित चालक निखिल के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है।
तीन मौत का जिम्मेदार कौन ? पुलिस या पीडब्ल्यूडी
रादौर रोड पर गुरुद्वारा थड़ा साहिब जोडिय़ां के सामने शनिवार शाम हुए हादसे में तीन लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन है? हर कोई इसका जवाब चाहता है। क्या इस हादसे के लिए पुलिस व पीडब्ल्यूडी दोनों विभाग जिम्मेदार हैं। क्योंकि गुरुद्वारे के सामने लगी भीड़ को संभालने के लिए मौके पर ट्रैफिक पुलिस नहीं थी। सड़क पर सुबह से देर शाम तक वाहन चालक जाम से जूझते रहे। यदि ट्रैफिक पुलिस होती ट्रैफिक को कंट्रोल करती। सड़क पर जाम भी नहीं लगता। यदि जाम नहीं होता तो जो तीन लोग होली से दो दिन पहले दुनिया छोड़ कर चले गए वे अपने परिवार के बीच होते। पुलिस के साथ-साथ प्रशासन भी कहीं न कहीं इस हादसे का जिम्मेदार है।
पीडब्ल्यूडी डिवाइडर पर ग्रिल नहीं लगाई
यमुनानगर के विश्वकर्मा चौक से रादौर रोड पर जोडिय़ां नाके तक पहले वन वे था। हर समय जाम रहता था इसलिए सड़क को चौड़ा कर बीच में डिवाइडर बना दिया गया। लेकिन पीडब्ल्यूडी ने सड़क पर जरूरत से ज्यादा चौड़ा डिवाइडर बना दिया। जब इसे बनाया जा रहा था तब भी सवाल उठे थे कि इतना चौड़ा डिवाइडर बनाने की जरूर क्या है। लेकिन अधिकारियों ने किसी की नहीं सुनी। डिवाइडर की चौड़ाई अधिक होने से सड़क पर अब भी पहले की तरह ही जाम लगता है। फर्क सिर्फ इतना है कि वाहनों का आना जाना अलग हो गया है। नियमानुसार जब सड़क पर डिवाइडर बनाया जाता है तो उस पर लोहे की ग्रिल लगानी लगानी जरूरी है। पहले ग्रिल की ऊंचाई पौना मीटर निर्धारित थी। लेकिन अब इसकी ऊंचाई जरूरत अनुसार बढ़ाई जा सकती है। ग्रिल होती तो लोग पैदल दूसरी तरफ सड़क पार नहीं करते। जब हादसा हुआ तो संगत सड़क किनारे वाहन खड़े कर डिवाइडर पार कर गुरुद्वारे जा रही थी। दूसरा डिवाइडर में कई जगह अवैध कट हैं।
बहन के घर कंडी लेकर जा रही थी शिवानी
हादसे में लक्सी बांस की 40 वर्षीय शिवानी की भी मौत हो गई। शिवानी की बहन शहर के गोङ्क्षबदपुरा में रहती है। शिवानी होली के उपलक्ष्य में बेटी शगुन के साथ बहन के घर कंडी लेकर आ रही थी। परंतु बहन के पास पहुंचने से पहले ही वे हादसे का शिकार हो गई। शगुन हादसे में घायल हो गई। सूचना पाते ही गोङ्क्षबदपुरा के लोग सिविल अस्पताल में पहुंच गए।
ममता खाना खाने गई थी : राजेश
राजेश ने बताया कि शांति कॉलानी की ममता देवी छोटी लाइन स्थित उसके अभिनव कलेक्शन शोरूम पर कुछ सात-आठ साल से सेल्स गर्ल का काम करती थी। वह हिसाब किताब से लेकर सारा काम खुद ही करती थी। इतने साल ईमानदारी से काम किया। रविवार दोपहर बाद ममता ने कहा था कि वह घर खाना खाने जा रही है। वह रादौर रोड पर कैसे पहुंची इसकी जानकारी नहीं है। हो सकता है गुरुद्वारा में आयोजित होला मोहल्ला समागम में गई हो। सूचना पाते ही राजेश भी परिजनों के साथ पोस्टमार्टम हाउस में पहुंचे।
गैस की डिलीवरी करता था अशोक
चिट्टा मंदिर के पास स्थित शांति कॉलोनी निवासी 39 वर्षीय अशोक अमृत गैस एजेंसी पर लगा था। वह गैस सिलेंडरों की होम डिलीवरी करता था। एजेंसी ने उसे कैंप का एरिया दे रखा था। वह सिलेंडरों की होम डिलीवरी करने गया था। लेकिन उसका सिलेंडरों वाला ऑटो घटनास्थल से दूसरी तरफ खड़ा मिला। वह सड़क पार किसलिए गया इसका पता नहीं चल पाया है। पति के बारे में सुनकर उनकी पत्नी सुनीता पोस्टमार्टम हाउस में पहुंची। वह इतने सदमे में थी कि ये मानने को तैयार ही नहीं थी कि अशोक की हादसे में मौत हो चुकी है। पति की मौत पर उनकी आंख से एक आंसू तक नहीं निकला। वे बोल रही थी कि वे थोड़ी देर में आ जाएंगे।