दो होनहार बेटियों ने त्यागा सांसारिक सुख, इनके जैन साध्वी बनने का हठ जान रह जाएंगे दंग Panipat News
जींद में दो होनहार बेटियों ने सांसारिक सुख त्याग दिया है। अब वे जैन साध्वी बनेंगी। दोनों बेटियां पढ़ाई में अव्वल थीं। कुछ ऐसी परिस्थितियां आईं कि दोनों ने साध्वी बनने की ठानी।
पानीपत/जींद, जेएनएन। जींद की दो बेटियां ने सांसारिक सुख त्याग चुकी हैं और अब जैन साध्वी बनने जा रहीं। दोनों बेटियां होनहार हैं। पढ़ाई में अव्वल दोनों बेटियों की जिंदगी में कुछ ऐसा हुआ कि दोनों ने जैन साध्वी बनने की ठानी।
सफीदों की 24 वर्षीय हिना जैन ने 10 साल की उम्र में सोच लिया था कि बड़ी होकर जैन साध्वी बनना है। लेकिन घर वाले इजाजत नहीं दे रहे थे। पढ़ाई में काफी होशियार थी। 12वीं मेडिकल संकाय से खुंगा कोठी नवोदय स्कूल से 92 फीसदी अंकों से पास की। डॉक्टर बनने के लिए पीएमटी का एग्जाम भी दिया।
पिता की मौत हुई तो कॉलेज छोड़ा
बीएससी प्रथम वर्ष के सेमेस्टर में देखा कि लैब में मेंढ़क काटने पड़ते हैं, तो मन हट गया। 2013 में दुखद घटना हुई, जब पिता कॉलेज से उसका रोल नंबर लेने जा रहे थे। रास्ते में ट्रक चालक ने उन्हें कुचल दिया। इस घटना से हिना अंदर से हिल गई। उसके बाद कभी कॉलेज नहीं गई और संकल्प ले लिया कि अब जैन साध्वी ही बनना है। दादी व चाचा ने इजाजत नहीं दी। हिना अपनी जिद पर अड़ी रही। तब मां मीनाक्षी जैन की इजाजत से तीन साल पहले संघ प्रमुखा महासाध्वी श्री संयम प्रभा कमल जी महाराज के पास रहने लगी।
30 जनवरी को दी जाएगी दीक्षा
अब सभी तरह से योग्य होने पर हिना को 30 जनवरी को वैराग्य दीक्षा दी जाएगी और सक्षमश्री नाम से पहचानी जाएगी। हिना ने बताया कि स्वजनों के साथ जब स्थानक में जाती थी तो जैन साध्वियों का तप व सादगी देखकर मन ही मन साध्वी बनने के विचार आने लगे। अब उसका सपना पूरा होने जा रहा है, जिससे वह काफी खुश है। अब दीक्षा लेने के बाद वह रुपये को टच नहीं करेगी। पंखा, कूलर, एसी, रंगीन कपड़े, लैपटॉप, जूते, जेवर, शृंगार से दूर रहेगी। रात को खाना भी नहीं खाएगी। दीक्षा समारोह में हिना का परिवार भी शामिल होगा।
स्नेहा घर में जमीन पर सोने लगी, रात का खाना छोड़ा, तब कुनबा हुआ राजी
उचाना की 20 वर्षीय स्नेहा जैन का घर स्थानक के पास है। इसलिए जैन संतों का घर में आना-जाना था और परिवार भी स्थानक में सत्संग सुनने जाता था। घर के संस्कार भी आध्यात्मिक थे। पढ़ाई में होशियार स्नेहा के मानसपटल पर बचपन में ही संतों का गहरा प्रभाव पड़ गया था। दसवीं में उसके 96 फीसदी अंक थे तो 12वीं कॉमर्स से 86 फीसदी अंकों से पास किया। बीकॉम प्रथम वर्ष में एसडी गल्र्स कॉलेज उचाना में टॉप किया। दो साल पहले उचाना में सुदीक्षा जी महाराज आई थी।
प्रवचन सुनकर जैन साध्वी बनने की ठानी
उनके प्रवचन सुनकर स्नेहा ने घर वालों से कहा कि उसे जैन साध्वी बनना है। यह सुनते ही घर वालों ने जोर से डांट दिया। लेकिन स्नेहा अपनी जिद पर अड़ गई। घर में ही साधु की तरह जमीन पर सोना शुरू कर दिया। रात्रि का खाना छोड़ दिया। दिन में दस बार सामायिकी करने लगी। कॉलेज जाना भी छोड़ दिया और पूरी तरह साध्वी की तरह रम गई। स्नेहा की जिद देखकर आखिर में घर वालों को भी हार माननी पड़ी। स्नेहा दो भाइयों की इकलौती बहन है। एक भाई रमण इंजीनियर है तो दूसरा भाई एमसीए कर रहा है। पापा नरेश जैन दुकानदार हैं और मां राजबाला गृहिणी हैं। डेढ़ साल पहले संघ प्रमुखा महासाध्वी श्री संयम प्रभा कमल जी महाराज की शरण में चली गईं। अब पूरी तरह से योग्य होने पर 30 जनवरी को विश्वकर्मा रोड पर जैन स्कूल के पीछे समारोह में जैन भागवती दीक्षा दी जाएगी। इसके बाद स्नेहा सिद्धांतश्री बन जाएगी।