28 डाक्टरों के भरोसे 200 बेड का सिविल अस्पताल
अस्पताल की नई बिल्डिंग का उद्घाटन नवंबर 2018 में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने किया था। इसके करीब एक साल बाद 200 बेड के हिसाब से मैन पावर भर्ती की अनुमति मिली थी।
जागरण संवाददाता, पानीपत : केंद्र और प्रदेश की सरकार वार्षिक बजट में चिकित्सा-स्वास्थ्य ढांचे को सुधारने के दावे बड़े-बड़े करती हैं। धरातल पर देखें तो ठीक उलट दिखता है। अब तकरीबन 14 लाख की आबादी पर बने 200 बिस्तर के अस्पताल को ही देखें। शीशे का यह महल मैन पावर के अभाव में सिसक रहा है। चिकित्सकों की संख्या एक तिहाई है तो नर्सिग स्टाफ आधा है।
तकरीबन 42 करोड़ की लागत से बनी अस्पताल की नई बिल्डिंग का उद्घाटन नवंबर 2018 में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने किया था। इसके करीब एक साल बाद 200 बेड के हिसाब से मैन पावर भर्ती की अनुमति मिली थी। मानक देखें तो अस्पताल में 82 डाक्टर होने चाहिए।
वर्तमान में मात्र 28 डाक्टर हैं। आन ड्यूटी की बात करें तो 15-20 डाक्टर ही उपस्थित रहते हैं। बाकी इमरजेंसी-केजुअल लीव, मेटरनिटी लीव या दूसरे अवकाश पर रहते हैं। नर्सिंग स्टाफ की बात करें तो 90 स्थायी और 30 एनएचएम की नर्स होनी चाहिए। वर्तमान में मात्र 38 रेगुलर स्टाफ और 26 एनएचएम की हैं। आउटसोर्सिग पर लिया गया स्टाफ (वार्ड ब्वॉय, स्वीपर आदि) पर्याप्त है। सुरक्षा व्यवस्था बहुत कमजोर है। 30 के स्थान पर मात्र 15 गार्ड्स हैं। सीधा अर्थ, मौजूदा हालात में सिविल अस्पताल मानकों पर कहीं खरा नहीं उतरता। यही कारण है कि डाक्टर्स और नर्सिग स्टाफ का सरकारी सेवा से मोहभंग होता जा रहा है। 20 से अधिक ने छोड़ी नौकरी
वर्ष 2016 से मार्च 2021 तक 20 से अधिक डाक्टर सिविल अस्पताल को तिलांजलि दे चुके हैं। अधिकांश ने निजी अस्पताल ज्वाइन किए या अपने क्लीनिक खोल लिए। सरकारी नौकरी छोड़ने का बड़ा कारण वर्क लोड अधिक होना बताया गया। बहुत कुछ है अधूरा
-अत्याधुनिक मदर एंड चाइल्ड हेल्थ केयर विग नहीं बनी।
-गहन चिकित्सा यूनिट है, मैन पावर के अभाव में बंद है।
-ब्लड बैंक निर्माण की कवायद बहुत धीमी है।
-ट्रामा सेंटर की संभावना तो दम ही तोड़ चुकी है।
-डाक्टर्स-स्टाफ के आवास नहीं बनाए गए हैं।
-एमआरआइ और कैथ लैब की सुविधा नहीं है।
-प्राइवेट कक्ष हैं, मैन पावर के अभाव में सुविधा नहीं। नंबरिग :
1000 ओपीडी रोजाना
30 से अधिक प्रतिदिन प्रसव
100 से अधिक मरीज रोजाना भर्ती
855 टीबी के मरीज उपचाराधीन
760 एचआइवी मरीज
92 कैंसर मरीज, तीन माह में चिन्हित
130 हेपेटाइटिस के मरीज उपचाराधीन
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संसाधनों और मैन पावर के अभाव के बावजूद, मरीजों को बेहतर इलाज प्रदान करना हमारी ड्यूटी है। कोविड-19 के कारण कुछ डाक्टर-स्टाफ वैक्सीनेशन, सैंपलिग भी लगे हैं। रिक्त पदों को भरने की डिमांड भेजी जाती रही है।
डा. संतलाल वर्मा, सिविल सर्जन