Move to Jagran APP

National Highway के टोल पर कार को ट्रक ने मारी टक्‍कर, परिवार के चार लोगों की मौत

करनाल में बसताड़ा टोल प्लाजा पर ट्रक ने कार को टक्कर मार दी। इसमें चार लोगों की मौके पर मौत हो गई। मरने वालों में दो महिलाएं और दो बच्चे थे।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Fri, 10 Jan 2020 05:49 PM (IST)Updated: Sat, 11 Jan 2020 10:07 AM (IST)
National Highway के टोल पर कार को ट्रक ने मारी टक्‍कर, परिवार के चार लोगों की मौत

पानीपत/करनाल, जेएनएन। दिल्ली-चंडीगढ़ नेशनल हाईवे पर दिल दहला देने वाला हादसा हुआ है। जिसने भी इस हादसे को देखा उसका दिल दहल गया। ट्रक चालक की लापरवाही से एक पल में एक ही परिवार के चार लोगों मौत हो गई। 

loksabha election banner

घरौंडा के बसताड़ा टोल प्लाजा में अर्टिगा कार को पीछे से आ रहे ट्रक ने जोरदार टक्कर मार दी। इससे कार आगे खड़े टैंकर और ट्रक के बीच में बुरी तरह फंस गई। हादसे में कार सवार चार लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। इनमें दो महिलाएं और दो बच्चे बताए जा रहे हैं। दो अन्य की हालत भी गंभीर बनी है। हादसे में हताहत परिवार शिमला का बताया जा रहा है।

karnal accident

टोल पर खड़ी थी कार

हादसा शुक्रवार दोपहर तीन बजे का है। दिल्ली-चंडीगढ़ नेशनल हाईवे पर बसताड़ा टोल प्लाजा पर दोनों दिशा में आवागमन करने वाले वाहनों का तांता लगा था। दिल्ली की तरफ से आई एक अर्टिगा कार भी वाहनों की कतार में लगी थी। 

ट्रक और कैंटर के बीच में फंसी कार

तभी पीछे से तेज गति से आ रहे एक ट्रक ने कार में जोरदार टक्कर मार दी। कार आगे खड़े टैंकर और पीछे ट्रक के बीच में फंस गई। दोनों वाहनों के बीच आने से कार पूरी तरफ से क्षतिग्रस्त हो गई। 

तीन की मौके पर मौत, कार से निकालने में बच्चे ने भी दम तोड़ा

कार में बैठे तीन लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। इनमें दो महिलाएं और एक बच्चा था। जबकि कार में फंसे अन्य लोगों को निकालने के लिए मौके पर भीड़ जुट गई। इसी अफरातफरी के बीच कार से निकालते समय एक और बच्चे ने दम तोड़ दिया। एक अन्य महिला और चालक को निकालकर करनाल मेडिकल कॉलेज भेजा गया। दोनों की हालत भी नाजुक बताई जा रही है। बताया जा रहा है कि हादसे में शिमला के एक जाने-माने अधिवक्ता के पांच पारिवारिक सदस्य चालक सहित सवार थे। हादसे के शिकार बनने वालों में शिमला हाईकोर्ट के अधिवक्ता ललित शर्मा की पत्नी सरिता शारदा, पत्नी की बहन मृदुला, छोटे भाई की पत्नी शिवानी शर्मा, शिवानी के बेटे करीब 14 वर्षीय शोभित और 18 वर्षीय सनातन सहित चालक शामिल हैं। हादसे की खबर पाकर शिमला से लौट रहे ललित शर्मा एडवोकेट ने फोन पर बताया कि कार में सवार परिवार के सदस्य उनके छोटे बेटे सहज शर्मा को दिल्ली छोड़कर चंडीगढ़ के रास्ते वापस शिमला आ रहे थे। रास्ते में ही करनाल के बस्ताड़ा टोल प्लाजा पर हादसा हो गया। 

Karnal car accident

हे ईश्वर... कैसे सहूं इतना बड़ा वज्रपात?

उफ... मेरी खुशियों को आखिर किसकी नजर लग गई? क्या सोचा था और क्या हो गया? अब मेरी सांसें किसके लिए चलेंगी? उन मासूमों को तो अभी मेरे और पूरे परिवार के सपनों को सच करना था। यकीन ही नहीं हो रहा कि यह सब सच है। हे ईश्वर...प्ली•ा, मुझे हौसला देना कि मैं अपने सीने पर इतना बड़ा वज्रपात सह सकूं। गहरे दर्द में भीगे ये शब्द कहते-कहते शिमला हाईकोर्ट के अधिवक्ता ललित शर्मा की जुबां कई बार लडख़ड़ाई। शुक्रवार को करनाल के निकट एनएच-44 पर पेश आए भीषण हादसे में अपने परिवार के चार सदस्यों की मौत ने इस शख्स को अंदर तक तोड़ दिया। 

शिमला से बड़ा बेटा रवाना

हादसे की खबर पाते ही शिमला से अपने बड़े बेटे सजल शर्मा के साथ करनाल के लिए रवाना हुए ललित शर्मा ने जागरण को फोन पर बताया कि उन्हें तो यकीन ही नहीं हो रहा कि मौत के झपट्टे ने कितने खौफनाक ढंग से उनके परिवार के सदस्यों को अपनी चपेट में ले लिया। उन्होंने बताया कि कार में उनके परिवार के पांच सदस्य और चालक सवार था। परिजनों में उनकी पत्नी सरिता शारदा,  सरिता की बहन मृदुला, छोटे भाई की पत्नी शिवानी शर्मा और शिवानी के बच्चे 14 वर्षीय शोभित और 18 वर्षीय सनातन शामिल हैं। सरिता शिमला के डिग्री कॉलेज और मृदुला शिमला यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं। 

परिवार से लगातार संपर्क में थे

ललित ने बताया कि उनके दो बेटे सजल शर्मा और सहज शर्मा हैं। बड़े बेटे सजल एमबीबीएस कर रहा है, जबकि छोटा बेटा सहज का सलेक्शन हाल में इंजीनियरिंग कोर्स के लिए मनिपाल यूनिवर्सिटी में हुआ था। हादसे के शिकार बने परिवार के सदस्य उसी को छोडऩे दिल्ली गए थे। लौटते समय उन्हीं की जिंदगी की रफ्तार पर ब्रेक लग गया। उन्होंने बताया कि वे किसी कारण वहां नहीं जा सके थे, लेकिन परिवार के सदस्यों से लगातार संपर्क में थे। सभी बहुत खुश थे कि परिवार की अगली पीढ़ी अपने अपने कैरियर से जुड़े सपनों को सच करने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रही है, लेकिन न जाने इन तमाम खुशियों को किसकी नजर लग गई?   

जिसका भी नंबर मिला, लगा दिया

करनाल में अपने स्वजनों के साथ भीषण हादसे की खबर पाते ही शिमला में मौजूद ललित शर्मा बदहवास हो उठे। एक पल के लिए तो उन्हें कुछ समझ ही नहीं आया कि अब क्या किया जाए? जैसे-तैसे बड़े बेटे सजल शर्मा और उन्होंने एक-दूसरे को संभाला। इसी के साथ करनाल से लेकर चंडीगढ़ और दिल्ली तक अपने तमाम परिचितों के फोन मिलाकर हादसे और अपने परिजनों की स्थिति के बारे में जानने के प्रयास शुरू कर दिए। भारी बेचैनी के बीच सभी से उन्होंने अपने परिजनों की मदद करने की गुहार लगाई। देखते ही देखते करनाल स्थित कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में ऐसे परिचितों का तांता लग गया। इनमें कई तो ललित को सीधे तौर पर जानते तक नहीं थे, लेकिन उनके किसी जानकार से सूचना पाते ही वे इमरजेंसी की तरफ दौड़ पड़े। उनके कुछ पुराने परिचित भी यहां पहुंचे। इन्हीं में शामिल करनाल के अधिवक्ता सोमनाथ मोंगा ने जागरण को बताया कि शिमला हाईकोर्ट के अधिवक्ता ललित शर्मा से उनके पेशेवर रिश्ते हैं। उनसे लगातार अलग-अलग केस को लेकर चर्चा होती रहती थी। बृहस्पतिवार को भी उनसे किसी मामले पर बात हुई थी। तब तक जरा भी आभास नहीं था कि इतना भीषण हादसा घट जाएगा, जिसकी खौफनाक यादें हमेशा के लिए सदमा बनकर ललित और अन्य परिजनों को सताती रहेंगी। देर शाम तक सोमनाथ सहित तमाम परिचित शिमला से करनाल के लिए चले ललित व उनके बेटे सजल शर्मा और साढ़ू को लगातार हादसे के बारे में जानकारियां देते रहे।

मेडिकल कॉलेज में मची अफरातफरी

कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज में जब कुछ ही समय के दौरान दो तीन महिलाएं और एक बच्चा गंभीर हालत में पहुंचे तो वहां स्टाफ में भी अफरातफरी मच गई। डॉक्टर उन्हें बचाने के प्रयासों में लगे तो पता चल पाया कि दो महिलाएं और एक बच्चा दम तोड़ चुका था, जबकि एक घायल महिला मृदुला का उपचार शुरू किया गया। देर सायं तक एक बच्चे का शव पोस्टमार्टम हाउस में भेजा गया जबकि इस दौरान चिकित्सक करीब दो घंटे तक पुलिस और परिजनों को इंतजार करते रहे, लेकिन कोई भी नहीं पहुंचा। वहीं हादसे के शिकार परिवार के एक जानकार एडवोकेट सोमनाथ मोंगा सबसे पहले पहुंचे और उन्होंने घायल का उपचार शुरू कराया, तो वहीं पूरी घटना की जानकारी जुटाई। उन्होंने बताया कि उनके पास शिमला निवासी एडवोकेट ललित शर्मा ने फोन कर सूचित किया था कि उनके परिजन मेडिकल कॉलेज में पहुंचे है। वहीं इसके बाद शर्मा परिवार के ही परिचित एक बैंककर्मी भी पहुंच गए और घायल की इमदाद की। देर रात तक भी मृतक व घायल के परिजन करनाल नहीं पहुंच पाए, जो हादसे की सूचना मिलते ही शिमला से रवाना हो चुके थे। वहीं बाद में एक बच्चे का शव सरकारी एंबुलेंस से पुलिस ने मोर्चरी पहुंचाया दिया है।

दो घंटे तक बच्चे और चालक का नहीं चला पता

मेडिकल कॉलेज में हादसे के शिकार परिवार के जब करनाल के जानकार पहुंचे तो वे दो घंटे तक एक बच्चे और कार चालक की जानकारी जुटाने का प्रयास करते रहे, लेकिन कोई पता नहीं चल पाया। कड़ी मशक्कत के बाद जानकारी मिल पाई कि चालक मधुबन निजी अस्पताल में उपचाराधीन है, तो वहीं बच्चे का शव मोर्चरी हाउस भेज दिया गया है।

एक घंटा लेट पहुंची पुलिस तो एंबुलेंस भी नहीं मिली

भीषण सड़क हादसे ने प्रशासनिक व पुलिस व्यवस्था की पोल खोल दी है। हादसे के बाद जहां बड़ी संख्या में लोग और राहगीर जुट गए, तो वहीं पुलिस और एंबुलेंस को भी फोन किए जाते रहे। लेकिन प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो करीब एक घंटा बाद पुलिस पहुंची तो वहीं इस समय तक हादसे के शिकार लोगों को बचाने के लिए एंबुलेंस भी नहीं मिल पाई। टोल प्लाजा पर भी उस समय कोई एंबुलेंस नहीं थी। हालात देख लोगों की जान बचाने के लिए कुछ लोग आगे आए और उन्होंने कड़ी मशक्कत कर ट्रक को कार से उतारा, तो वहीं ट्रैक्टर व क्रेन से कार को तोड़कर उसमें फंसे लोगों को निकाला। जब तक पुलिस व एंबुलेंस पहुंची तो लोग निजी वाहनों में ही उन्हें अस्पताल ले जा चुके थे। प्रशासनिक लचर व्यवस्था पर हर कोई अफसोस जताता रहा।

टोल प्लाजा पर होनी चाहिए एंबुलेंस : शर्मा

दिल्ली की रोहिणी कोर्ट में प्रेक्टिस कर रहे एडवोकेट विलक्ष्य शर्मा किसी केस को लेकर ही करनाल कोर्ट में आए हुए थे। वे वापस जा रहे थे, तो हादसे को देख रुक गए। उन्होंने बताया कि गाड़ी में फंसे लोगों में दूसरे लोगों के साथ जुट गए और फिर अपनी गाड़ी से ही एक घायल को लेकर मेडिकल कॉलेज पहुंचे। उनका कहना था कि कम से कम टोल प्लाजा पर तो हर समय एंबुलेंस तैनात रहनी चाहिए। यहीं नहीं, यहीं पर ऐसे किसी हादसे से गाड़ी सवार को निकाला जा सके, इसके लिए  कोई व्यवस्था भी होनी चाहिए।

जो गाड़ी मिली, उसी से ले आए मेडिकल कॉलेज

घायलों को कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज लेकर पहुंचे रोहताश, अनिल, अमित आदि युवकों ने बताया कि पुलिस और प्रशासन की ओर से एक घंटा तक भी कोई नहीं पहुंचा। इसके चलते जब कार से लोगों को निकाला, तो जिसने जो गाड़ी मिली उसी से ही उन्हें अस्पताल लेकर चल पड़े। कार से लोगों ने बेहद मुश्किल से ही ट्रक को हटाया तो एक ट्रैक्टर और क्रेन को बुलाकर कार को तोड़ा गया, जिसके बाद ही इसमें फंसे लोगों को निकाला जा सका।

हाईवे पर पिछले कुछ दिनों के दौरान हुए हादसे

पिछले साल जून में नीलोखेड़ी के हाईवे पर भीषण हादसा हुआ था। उसमें एक कार दो ट्रकों की चपेट में आने से एक ही परिवार की दो महिलाओं सहित परिवार के तीन लोगों की मौत हुई थी। इस कार में परिवार के पांच सदस्य शादी में शिरकत करने दिल्ली से पंजाब जा रहे थे। इस हादसे में 50 वर्षीय महिला और उसके दो बच्चों एक पुत्र (27) और पुत्री (30) की मौत हुई तो वहीं दो लोग घायल हो गए थे।

बस, ट्राले और कार की भिड़ंत में हुई थी एक की मौत

हाईवे पर मधुबन के समीप 15 दिन पहले ही नेशनल हाईवे पर अल सुबह ही एक ट्राला और वॉल्वो बस की टक्कर हो गई थी, जिसके बाद ट्राले से हाईवे पर गिरी बजरी के चलते दो कारें भी भिड़ गई। इस हादसे में दोनों कारों और बस में सवार तीन-तीन लोग घायल हो गए। इनमें कुरुक्षेत्र वासी अंकुश पुत्र राजकुमार की मौत हो गई, जबकि रामचंद्र, गोकुल, सपना, ज्योति और कुलजीत घायल हो गए थे। ये सभी दिल्ली एयरपोर्ट पर जा रहे थे।

दो दिन पहले ही भिड़े थे तीन वाहन, एक चालक की गई थी जान

हाईवे पर ही अनाजमंडी के समीप बुधवार को ही तीन वाहनों में भिडंत हो गई थी। उसमें एक चालक की मौत हो गई थी। दिल्ली एयरपोर्ट से डाक पार्सल लेकर चंडीगढ़ जा रहे एक कंटेनर की पहले से खड़े केंटर में टक्कर हो गई थी। पीछे आ रहे दूसरे कंटेनर के चालक ने इस हादसे में बचाव का प्रयास किया तो इतनी ही देर में पीछे से आए दूसरे ट्रक ने उन्हें टक्कर मार दी। उसमें मनोज की मौत हो गई थी। इससे दो दिन पहले ही कोर्ट परिसर के समक्ष हाईवे पर ही उस समय बड़ा हादसा टल गया था। जब पंजाब रोडवेज की सवारियों से भरी एक बस ने कार को टक्कर मार दी थी। इसके बाद बस डिवाइडर पर लगी रेङ्क्षलग से भी जा टकराई थी। कार सवार बाबैल जिला पानीपत बाल-बाल बच गया था, लेकिन सवारियों में हड़कंप मच गया था। यहीं नहीं बृहस्पतिवार को भी एक ट्रक ने एक कार को टक्कर मार दी थी। उससे आगे जा रही कार भी क्षतिग्रस्त हो गई थी। इस हादसे में भी कार सवार परिवार बाल-बाल बच गया था।

एनएच-44 बना हादसों का हाईवे, निगल रहा जिंदगी

नेशनल हाईवे हादसों के हाईवे बनते जा रहे हैं, जो लगातार जिंदगी निगल रहे है। देश के सबसे प्रमुख नेशनल हाईवे में शुमार एनएच-44 पर भी हादसे कम होने का नाम नहीं ले रहे। यह अब देश में सबसे अधिक हादसों वाले हाईवे के नाम से जाना जाने लगा है। 2018 में ही इस हाईवे पर हुए हादसों में 743 लोग जान गंवा चुके हैं, जो नीदरलैंड में और यहां तक कि संयुक्त अरब अमीरात में हर साल मरने वाले व्यक्तियों की संख्या से अधिक है। दो दिन पहले ही हरियाणा पुलिस अकादमी मधुबन में डीजीपी मनोज यादव की मौजूदगी में सड़क पर सुरक्षा शिक्षा संस्थान की ओर से डॉ. रोहित बलुजा ने उक्त जानकारी देकर कहकर सबको चौंका दिया था।

हादसे में पैदल से लेकर दोपहिया वाहन सवार भी

उन्होंने यह भी बताया था कि इन हादसों में मौत के शिकार लोगों में अधिकतर पैदल के साथ ही दोपहिया वाहन सवार शामिल रहे हैं। हालांकि अनेक बार हादसे रोकने को लेकर अधिकारिक स्तर पर मंथन किया जाता रहा है, लेकिन ये हादसे कब रुक पाएंगे, यह कोई भी कहने में सक्षम नहीं है। यह इस हाईवे पर ही होने वाले हादसों का परिणाम है कि इसी दौरान सोनीपत कुंडली बार्डर से अंबाला के शंभू बार्डर तक के हाईवे को मॉडल बनाने की योजना तैयार की जाने लगी है।

Karnal car accident

2018 में 3876 हादसे और 1486 की मौत

यातायात एवं हाईवे विभाग के आंकड़े ही साबित कर रहे हैं कि नेशनल हाईवे लगातार ङ्क्षजदगी निगल रहे हैं। 2018 में ही प्रदेश में नेशनल हाईवे पर 3876 हादसे हुए, जिसमें 1880 और स्टेट हाईवे पर हुए 3226 हादसों में 1486 लोगों की मौत हुई थी। 2019 में जून तक प्रदेश भर में 5491 सड़क हादसे हुए, जिनमें 2532 लोगों की जान गई। आंकड़ों के अनुसार पहले छह माह के दौरान पिछले वर्ष की तुलना में 302 कम सड़क हादसे दर्ज किए गए। करनाल जिले की सीमा के दौरान ही यातायात एवं हाईवे विभाग के आंकड़ों के अनुसार पिछले तीन साल में हाईवे पर 206 हादसे हुए, जिनमें 157 लोगों की जान गई तो वहीं करीब 150 लोग घायल हुए है।

करनाल में ये हैं ब्लैक स्पॉट

प्रशासन ने करनाल जिले में जीटी रोड पर मनक माजरा, शामगढ़, रंबा मोड़, गुरुद्वारा तखाना, कर्ण लेक पुल, बलड़ी बाइपास, नमस्ते चौक, कंबोपुरा, पक्का पुल, अपर्णा अस्पताल, टोल प्लाजा, कोहंड, शनि मंदिर कोहंड, पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस, लिबर्टी घरौंडा व गढ़ी मुल्तान ढाबा सहित 17 ब्लैक स्पॉट चिह्नित कर लिए हैं, लेकिन यहां भी हादसे रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। बताया जा रहा है कि इन स्पॉट पर दो साल में 18 हादसे हुए, जिसमें 14 लोगों को जान गंवानी पड़ी तो वहीं 15 लोग घायल हुए।

इंजीनियरिंग पर भी उठ रहे सवाल

जीटी रोड के निर्माण को लेकर इंजीनियरिंग पर भी अनेक बार सवाल उठ चुके है। सड़क सुरक्षा को लेकर होने वाली बैठकों में भी कई बार इस पर चर्चा हुई। वहीं हाईवे पर कहीं तंग पुल हैं तो कहीं से रेलिंग ही गायब है। कहीं सड़क बेहद खराब हो चुकी है, तो कहीं तीव्र मोड़ है। यहां तक कि सर्दी के मौसम के बावजूद अनेक जगहों से रिफलेक्टर व साइन बोर्ड तक गायब हैं, जिसमें लापरवाही सामने आ रही है। बता दें कि 2009 में हाईवे को सिक्स लेन करने का काम शुरू किया गया था।

हादसे रोकने के लिए किए जा रहे प्रयास : ओमवीर

यातायात एवं हाईवे के एसपी ओमवीर सिंह का कहना है कि सड़क हादसे रोकने के लिए विभाग भरसक प्रयास कर रहा है। सभी संबंधित अधिकारियों को इस संबंध में उचित कदम उठाने को लेकर संपर्क स्थापित किया गया है।

देश का मॉडल हाईवे बनाने की तैयारी : डीजीपी

डीजीपी मनोज यादव ने बुधवार को ही पुलिस अकादमी में हुई अधिकारिक बैठक में जानकारी दी है कि नेशनल हाईवे पर अब न केवल हादसों पर अंकुश लगेगा बल्कि यह देश का मॉडल हाईवे होगा। इसके लिए हरियाणा पुलिस ने पहल की है। हरियाणा पुलिस का आइआरटीई के साथ समझौता हुआ, जिस पर हस्ताक्षर भी किए जा चुके हैं। इस दौरान आइआरटीइ की ओर से नेशनल हाईवे 44 के हरियाणा में आने वाले 187 किलोमीटर क्षेत्र का सुरक्षा ऑडिट किया जाएगा। इस योजना को जल्द अमल में लाया जाएगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.