हरियाणा में लाखों रुपये कीमत के विभिन्न प्रजातियों के पेड़ गायब, पर्यावरण प्रेमियों ने सीएम से कार्रवाई की मांग
हरियाणा में पेड़ चोरी होने का मामला सामने आया है। कलायत में रातों-रात लाखों रुपये कीमत के विभिन्न प्रजातियों के हरे-भरे वृक्षों पर कुल्हाड़ा चला दिया गया। पेड़ों को गायब कर दिया गया। पर्यावरण प्रेमियों को इसको लेकर नाराजगी है।
कलायत (कैथल), संवाद सहयोगी। प्रदेश सरकार द्वारा पर्यावरण को हरा-भरा बनाने के लिए चलाए जा रहे अहम अभियानों के बीच कलायत के गांव शिमला से भाणा मार्ग पर बड़ी मात्रा में विभिन्न प्रजातियों के हरे-भरे वृक्षों पर कुल्हाड़ा चलाने का हाई प्रोफाइल मामला उजागर हुआ है। इनमें सफेदा, कीकर, शीशम, डेक और अन्य प्रजातियां के वृक्ष शामिल हैं। इतना ही नहीं कड़े कानूनों को दर किनार कर पीपल के पेड़ को भी काट डाला।
वृक्षों को खुर्दबुर्द करने का राज उस समय उजागर हुआ जब उक्त मार्ग पर सामाजिक संगठनों को अलग-अलग स्थानों पर लंबे-घने वृक्ष अपने स्थान से गायब दिखे। गड़बड़ी का संदेह तब हुआ जब काटे गए वृक्षों के अवशेष ढांपे व जले मिले। पड़ताल करने पर खुलासा हुआ कि गुपचुप ढंग से किसी ने हरे-भरे वृक्षों पर कुल्हाड़ा चलाकर ठिकाने लगा दिया है। इस प्रकार के मंजर को देखकर हर कोई हैरान रह गया। क्योंकि जब सरकारी स्तर पर वृक्षों की कटाई की जाती है तो इसके लिए विभागीय प्रक्रिया को पूरा किया जाता है।
नियम अनुरूप वृक्षों की कटाई करवाकर निर्धारित स्थान पर इन्हें डाला जाता है। इसके विपरीत यदि वन विभाग की आंखों में धूल झोंक कर कोई वृक्षों की कटाई करता है तो ठोस कार्रवाई को त्वरित तौर से अमल में लाना अनिवार्य है। जिस प्रकार इस मामले पर अधिकारी चुप्पी साधे हैं।
पर्यावरण प्रेमियों ने मुख्यमंत्री से की कार्रवाई की मांग
प्रीत जगदेवा, कृष्ण कुमार, शाहिल, सुरेंद्र कुमार और दूसरे पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि पौधा रोपण और वृक्षों के संरक्षण को लेकर शासन-प्रशासन द्वारा निरंतर मिशन चलाए जा रहे हैं। इसके पीछे लक्ष्य पर्यावरण को शुद्ध करना है, लेकिन जिस प्रकार कलायत क्षेत्र में विभिन्न प्रजातियों के वृक्षों पर कुल्हाड़ा चला है वह उच्च स्तरीय जांच का विषय है। इस संबंध में प्रदेश मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ-साथ जिला प्रशासन से ठोस कार्रवाई की मांग उन्होंने की।
पहले जींद और कैथल का संभाग है मार्ग
कलायत के गांव शिमला से भाणा मार्ग का क्षेत्र पहले जिला जींद वन विभाग के अधिकार क्षेत्र में था। छह माह पहले जिला कैथल के वन विभाग ने नए वृक्ष संबंधित मार्ग पर लगाए थे। इसके बाद यह इलाका जिला कैथल की निगरानी में है।