मजदूरों के लौटने से धान की रोपाई चुनौतीपूर्ण, विभाग देगा अनुदान पर यंत्र
कोरोना वायरस के चलते मजदूर अपने घरों को लौट चुके हैं। खेतों में काम करने वाले मजदूरों की न केवल कमी आ गई है बल्कि किसानों के लिए धान की रोपाई कराना भी चुनौतीपूर्ण होगा।
रामकुमार कौशिक, समालखा
कोरोना वायरस के चलते मजदूर अपने घरों को लौट चुके हैं। खेतों में काम करने वाले मजदूरों की न केवल कमी आ गई है, बल्कि किसानों के लिए धान की रोपाई कराना भी चुनौतीपूर्ण होगा। ऐसे में कृषि विभाग ने खरीफ फसलों की बिजाई के लिए डीएसआर (सीधी धान बिजाई) सहित चार कृषि यंत्र अनुदान पर उपलब्ध कराने का फैसला लिया है। किसान को उक्त यंत्र पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर मिलेंगे। किसानों को विभाग की वेबसाइट पर आवेदन करना होगा।
लघु व सीमांत किसान को वरीयता
सहायक कृषि अभियंता सुधीर कुमार ने बताया कि लॉकडाउन के बीच किसानों को मजदूरों के अभाव में धान की रोपाई में किसी तरह की परेशानी न हो, इसलिए कृषि विभाग ने सीधे धान बिजाई वाली मशीन डीएसआर के अलावा मल्टी क्रोप प्लांटर, न्यूमेटिक प्लांटर व पैडी ट्रांसप्लांटर कृषि यंत्र अनुदान पर देने का फैसला लिया है। उन्होंने बताया कि उक्त स्कीम का लाभ उन्हीं किसानों को मिलेगा, जिन्होंने पिछले चार वर्षो में इन मशीनों पर अनुदान नहीं लिया है। किसान के नाम जिले में रजिस्टर्ड ट्रैक्टर होना चाहिए। ये यंत्र लघु तथा सीमांत किसानों को वरीयता के आधार पर 40 से 50 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध कराई जाएंगी।
30 जून तक कर सकेंगे आवेदन
इंजीनियर सुधीर कुमार ने बताया कि किसानों को मशीन खरीदकर विभागीय वेबसाइट डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यूडोट एग्रीसीआरएमडोटकोम पर रजिस्टर्ड करके 30 जून, 2020 तक खरीद का बिल एवं ई-वे बिल उक्त विभागीय वेबसाइट पर अपलोड करना होगा। संबंधित निर्माता की ओर से सत्यापित किए गए बिल ही अनुदान के लिए मान्य होंगे। मशीनों के भौतिक सत्यापन के दौरान बैंक की कापी, पैनकार्ड, रजिस्टर्ड ट्रैक्टर की आरसी, आधार कार्ड, पटवारी रिपोर्ट व अन्य दस्तावेज चेक किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि दस्तावेज सही नहीं पाए जाने पर किसान अनुदान का पात्र नही होगा। अभी तक जिले में किसी किसान ने यंत्रों को लेकर आवेदन नहीं किया है।
खर्च के साथ होगी पानी की बचत
कृषि उपनिदेशक डॉ. वीरेंद्र देव आर्य ने बताया कि पानीपत जिले में हर साल करीब 75 हजार हेक्टेयर में धान की रोपाई होती है। खासकर 1121, 1509 व बासमती किस्म सबसे ज्यादा होती है। उन्होंने बताया कि गेहूं की तरह डीएसआर मशीन से धान की सीधी बिजाई करने से न केवल लेबर और जुताई संबंधित खर्च बचेगा, बल्कि पूरे सीजन में 25 से 30 प्रतिशत पानी भी कम लगता है। इसलिए किसान ज्यादा से ज्यादा धान की सीधी बिजाई करे। इससे उसे मजदूरों संबंधित परेशानी भी नहीं होगी। वहीं भाकियू के जिला प्रधान कुलदीप बलाना ने भी विभाग के उक्त फैसला का किसानों के लिए अच्छा बताया।