साढ़े तीन घंटे कार्रवाई, पंद्रह अवैध कब्जे धराशायी
अधिकारी से दुर्व्यवहार कर विरोध की कोशिश पुलिस बल के सामने रही नाकाम बिजली सप्लाई बंद न होने के कारण हादसे के अंदेशे के चलते बचे कब्जाधारियों को दिया दो दिन का समय।
जागरण संवाददाता, समालखा : एनएचएआइ (राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) की तरफ से शुक्रवार को कस्बे में कब्जाधारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई। भारी पुलिस बल व ड्यूटी मजिस्ट्रेट नायब तहसीलदार अनिल कौशिक की मौजूदगी में करीब साढ़े तीन घंटे तक चली कार्रवाई में पंद्रह लोगों के मकान, दुकान आदि को धराशायी कर दिया गया। कुछ लोगों ने अधिकारी से दुर्व्यवहार कर विरोध करने की कोशिश की, परंतु पुलिस बल के सामने वो बेकार साबित हुई। हालांकि, बाद में बिजली सप्लाई बंद न होने के कारण हादसे के अंदेशे व कब्जाधारियों द्वारा दो दिन में खुद कब्जा हटा लेने का विश्वास दिलाने पर एनएचएआइ अधिकारियों ने कार्रवाई को रविवार तक टाल दिया। आरटीआइ कार्यकर्ता ने की थी शिकायत
आरटीआइ कार्यकर्ता पीपी कपूर ने वर्ष 2015 में कस्बे में नेशनल हाईवे सहित लोकल रास्तों पर कब्जे हटवाने को लेकर लोकायुक्त के पास शिकायत दर्ज कराई थी। जिस पर लोकायुक्त ने हाईवे पर कब्जों को लेकर एनएचएआई अधिकारियों को तलब किया तो उन्होंने निशानदेही करा सभी कब्जाधारियों को नोटिस थमा दिए। नोटिस मिलने पर कुछ लोगों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो कोर्ट ने सुनवाई कर जिला प्रशासन को उनकी मौजूदगी में दोबारा से निशानदेही कराने के आदेश दिए थे। पिछले साल जुलाई में तहसीलदार के नेतृत्व में गठित कमेटी द्वारा निशानदेही कर रिपोर्ट सौंपी गई। हाईकोर्ट ने प्रशासन की रिपोर्ट देखने के बाद कब्जाधारियों की अपील को खारिज कर दिया था। वहीं 18 मार्च को लोकायुक्त जस्टिस एनके अग्रवाल ने एनएचएआइ अधिकारियों व उपायुक्त पानीपत को कब्जे हटवाने को लेकर आदेश जारी किए थे। 25 जुलाई को एनएचएआइ के अधिकारियों को कार्रवाई रिपोर्ट देनी है। 96 लोगों का है कब्जा
एनएचएआई अधिकारी की मानें तो हाईकोर्ट के आदेश पर की गई निशानदेही में कस्बा में नेशनल हाईवे पर 96 लोगों का कब्जा सामने आया था। इसमें 17 लोग भापरा के रकबा व 79 लोगों का समालखा के रकबा में कब्जा है। गत 27 फरवरी को कार्रवाई कर दर्जन भर से ज्यादा लोगों का कब्जा हटा दिया गया था। सोलह लोगों को हाईकोर्ट से स्टे (यथास्थिति) मिल गया है। बाकी जो लोग बचे हैं, उनका कब्जा हटवाया जा रहा है। 22 जनवरी 2020 को मामले को लेकर हाईकोर्ट में तारीख है। उसके बाद स्टे पाने वालों को लेकर फैसला हो पाएगा। ऐसी चली कार्रवाई
पुलिस बल न मिल पाने के कारण दो बार कार्रवाई टालनी पड़ी थी लेकिन शुक्रवार को साढ़े ग्यारह बजे के करीब एनएचएआइ अधिकारी व ड्यूटी मजिस्ट्रेट तीन जेसीबी व भारी पुलिस बल के साथ पुराना थाना रोड के पास पहुंचे। मामले की भनक लगी तो कब्जाधारी भी जुटने लगे। उन्होंने कार्रवाई से बचने के लिए कुछ दिन का समय मांगने से लेकर राजनीतिक पहुंच का भी इस्तेमाल किया लेकिन सब बेकार साबित हुआ। साढ़े बारह बजे के करीब कब्जे हटाने की कार्रवाई शुरू हुई। सबसे पहले एक दुकान को धराशाही कर दिया गया। फिर एकाएक पंद्रह कब्जे हटवाते हुए प्रशासनिक अमला तीन बजे के करीब एसबीआइ के नजदीक पहुंचा तो कुछ लोगों ने एनएचएआई अधिकारी के साथ दुर्व्यवहार कर काम बंद कराने की कोशिश की, लेकिन पुलिस कर्मियों ने उन्हें खदेड़ दिया। फिर दो दुकानों को गिराया गया। लेकिन इसी बीच साथ से गुजर रही बिजली लाइनों में सप्लाई आ जाने पर कार्रवाई को रोक दिया गया। वो बाबू किसी की भी नहीं सुनता
कार्रवाई की भनक पाकर कब्जाधारी एक अधिकारी के पास पहुंचे और खुद हटाने की बात कहने लगे। अधिकारी ने एनएचएआइ वालों से ही बात करने के लिए कहा तो लोग नहीं मानें और उन्हें ही सबकुछ बता मिन्नत करने लगे। जिस पर अधिकारी ने हाथ जोड़ते हुए कहा मैं कुछ नहीं कर सकता। मैं तो आपका नौकर हूं, लेकिन जिसने ये तोड़ने के आदेश दे राखे हैं। वो बाबू किसी की भी ना माने। वो म्हारे प्राण पी जावेगा। छह महीने ते थाम कड़े थे। ये इतने हाईकोर्ट ते स्टेटस को ले आए। थाम भी कोर्ट में चले जांदे। दो दिन बाद दोबारा होगी कार्रवाई
शनिवार और रविवार तक के लिए कार्रवाई टाल दी गई है। दोनों दिन हम लोगों द्वारा खुद कब्जा हटाने की प्रोग्रेस रिपोर्ट लेंगे। यदि वो नहीं हटाते है तो सोमवार को बिजली विभाग से परमीशन के साथ दोबारा और ज्यादा पुलिस बल लेकर बचे कब्जों को हटवाया जाएगा। बैंकों को पंद्रह दिन का समय
जिन लोगों ने कब्जा कर रखा है, उनमें कई में बैंक चल रहे है। इसके अंदर होने वाले कैश और सुरक्षा के लिहाज से उन्हें कब्जा हटाने के लिए पंद्रह दिन का समय दिया गया है। इसकी एवज में बिल्डिग मालिक और बैंक मैनेजर से एनएचएआइ अधिकारियों ने लिखित में लिया है। यदि वो इसके बाद कब्जा नहीं हटाते है तो कार्रवाई होगी।