ये आंकड़ा चौंकाने वाला, कहीं आपके बच्चे भी तो किडनी रोग के शिकार नहीं हो रहे
जरा संभलकर। बीपी या शुगर बना सकता है किडनी फेलयोर का कारण। युवा अवस्था में ही किडनी फेलयोर की बीमारी लगी है घेरने। अंबाला नागरिक अस्पताल में रोजाना करीब 30 मरीजों का डायलिसिस
पानीपत, जेएनएन। अस्पताल के चिकित्सक हैरान हैं। आमजन सुनते हैं तो चौंक जाते हैं। बात ही इतनी महत्वपूर्ण है। यकीन करना मुश्किल हो जाता है। दरअसल, युवा के युवा शुगर, बीपी और किडनी की बीमारी से घिरते जा रहे हैं। अकेले अंबाला के नागरिक अस्पताल में रोजाना 30 मरीज डायलिसिस के लिए पहुंच रहे हैं। कुछ मरीज ऐसे हैं, जिनकों सप्ताह में दो से तीन बार डायलिसिस की जरूरत पड़ रही है। चिकित्सक आने वाले दिनों में इसे एक गंभीर संकेत मान रहे हैं।
चपेट में आ रहे युवा
चिकित्सकों की मानें तो किडनी रोग और डायलिसिस की समस्या धीरे-धीरे अब युवाओं को घेर रही है। अमूमन पहले डायलिसिस या किडनी के रोगों की समस्या 50 साल के आसपास के दिखाई देती थी। लेकिन अब हालात यह हैं कि यह बीमारी बीस साल के युवा को घेर ही रही है, साथ ही कई बच्चों में भी यह बीमारी देखने को मिल रही है। हालांकि बच्चों के कई मामलों में यह अनुवांशिक हो सकती है, लेकिन कुछ ऐसे भी हैं, जो बीपी का शिकार हैं। बच्चों में इसे नेफ्रोटिक संड्रोम के नाम से इस बीमारी को जाना जाता है। हालांकि कई मामले ऐसे हैं, जो दो से तीन डायलिसिस के बाद संभल जाते हैं। लेकिन युवा अवस्था में यदि किडनी फेलयोर सी समस्या के चलते डायलिसिस की नौबत आती है, तो यह गंभीर मामला है।
यह है किडनी फेलयोर के मुख्य कारण
- हाई ब्लड प्रेशर किडनी पर सीधा असर डालता है।
- नमक का अधिक इस्तेमाल किडनी पर असर डालता है।
- हाई शुगर किडनी पर असर डालती है।
- यदि व्यक्ति तनाव में रहता है तो इसका असर किडनी पर पड़ता है।
- फास्ट फूड का अत्यधिक सेवन और खानपान का तरीका बदलना इस बीमारी की वजह बन सकता है।
- पानी की कम मात्रा पीना किडनी पर असर डालता है।
- दर्द निवारक दवाओं, एंटी बायोटिक का लंबे समय तक इस्तेमाल करना।
- किडनी में यदि पथरी है तो इसे नजरंदाज करना समस्या पैदा कर सकता है।
- एल्कोहल की वजह से भी किडनी पर असर पड़ता है
यह हैं लक्षण
- पैरों में सूजन आना
- अनियमित दिल की धड़कन
- दिन भर थकान
- कमजोरी महसूस करना
- चेहरे पर सूजन आना
- ब्लड में क्रिटेन व यूरिया लेवल बढ़ जाना किडनी समस्या या फेलयोर के प्रमुख लक्षण हैं।
इस तरह से करें बचाव
- स्वस्थ व्यक्ति दिन में कम से कम पंद्रह गिलास पानी पीये, बच्चों या बुजुर्गों में यह संख्या कम भी हो सकती है।
- खानपान का तरीका साधारण रखें और फास्ट फूड, जंक फूड से बचें।
- नियमित रूप से योग करें, लाइफ स्टाइल में बदलाव करें।
- शुगर अथवा बीपी की समस्या है तो रूटीन चेकअप करवाएं।
- यदि शुगर या बीपी है तो किडनी फंक्शन टेस्ट को नियमित रूप से करवाएं।
- खाने के साथ साफ्ट ड्रिकं पीना सबसे ज्यादा खतरनाक है, इससब बचें।
- व्यक्ति अपने स्ट्रेस लेवल को कंट्रोल करे।
यह करें किडनी के मरीज
- यदि डायलिसिस हो रही है, तो पानी पीने की मात्रा कम ही रखें।
- नियमित रूप से चेकअप करवाते रहें ताकि किडनी रोग का इलाज चलता रहे।
- खानपान पर पूरा नियंत्रण रखें, नहीं तो समस्या बढ़ेगी।
रोजाना तीस मरीजों का डायलिसिस
अंबाला छावनी के नागिरक अस्पताल में रोजाना 30 मरीजों का डायलिसिस किया जा रहा है। यह मरीज अंबाला व आसपास के क्षेत्रों से आते हैं। इनमें बच्चे, युवा, बुजुर्ग भी शामिल हैं। इन में से कई मरीज ऐसे हैं, जिनको सप्ताह में दो से तीन बार डायलिसिस करवानी पड़ती है, जबकि कई पंद्रह दिनों में एक बार डायलिसिस करवाने आते हैं ।
किडनी फेलयोर कहें या फिर किडनी रोगों की यह बीमारी अब तेजी से बढ़ रही है। बच्चे ही नहीं युवा वर्ग भी इसकी चपेट में आ चुका है। सबसे बड़ा कारण शुगर और ब्लड प्रेशर है, जिसके कारण यह समस्या आ रही है।
- डा. सोनू रोहिला, नेफ्रोलॉजिस्ट, नागरिक अस्पताल अंबाला।
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