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शहर से नहीं हो रही निकासी, एसटीपी को मिल रहा आधा पानी

रिहायशी सेक्टर से लेकर औद्योगिक सेक्टरों तक पानी ही पानी जमा है। मुहल्लों तक में पानी की निकासी नहीं हो पा रही है। बरसाती सीवर जाम पड़े हैं। अंडर पास पानी से भरे हैं। बाहरी कालोनियों में तो घरों तक में पानी घुसा है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 23 Jul 2021 07:37 AM (IST)Updated: Fri, 23 Jul 2021 07:37 AM (IST)
शहर से नहीं हो रही निकासी, एसटीपी को मिल रहा आधा पानी

जागरण संवाददाता, पानीपत : रिहायशी सेक्टर से लेकर औद्योगिक सेक्टरों तक पानी ही पानी जमा है। मुहल्लों तक में पानी की निकासी नहीं हो पा रही है। बरसाती सीवर जाम पड़े हैं। अंडर पास पानी से भरे हैं। बाहरी कालोनियों में तो घरों तक में पानी घुसा है। करोड़ों रुपये हर वर्ष सीवर लाइन, नाले साफ करने पर खर्च किए जा रहे हैं। उसके बाद भी हल्की सी बरसात में सड़कें लबालब हो जाती हैं। दूसरी तरफ सीवर ट्रीटमेंट प्लांट को क्षमता से आधा पानी भी नहीं मिल पा रहा।

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पानीपत में सात एसटीपी (जल शोधन यंत्र) लगे हुए हैं। इनकी क्षमता 125 एमएलडी की है। इन एसटीपी को 50 फीसद पानी ही मिल पा रहा है। क्षमता से कम एसटीपी चल रहे हैं। दो सीईटीपी लगे हुए हैं। ओल्ड इंडस्ट्रियल एरिया में नया कामन ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की तैयारी है। 40 एमएलडी के बरसत रोड और देव नगर में दो एसटीपी स्वीकृत हो चुके हैं। इस प्रकार एसटीपी, सीईटीपी लगाने पर तो जोर दिया जा रहा है। इन्हें पानी उपलब्ध करवाने पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। शहर का आधा पानी भी इन एसटीपी में नहीं पहुंच रहा। पानीपत में पूरे प्रदेश में सबसे अधिक खुले नाले 200 किलोमीटर दायरे में बने हुए हैं। इन नालों को साफ करने, पुलिया बनाने पर हर वर्ष लाखों रुपये खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन इनका पानी एसटीपी पर पहुंचाया नहीं जा रहा। आधा पानी बाईपास होकर बह रहा है। जो पानी एसटीपी में साफ होता है उसे भी गंदे पानी में ही मिला दिया जाता है।

इस संदर्भ में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आरओ कमलजीत ने बताया कि संबंधित विभागों से शहर के पानी की कनेक्टिविटी रिपोर्ट मांगी है। विभागों का कहना है कि इसके लिए सीवर लाइन बिछ रही है। पूरे शहर का पानी एसटीपी से जोड़ा जाएगा।


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