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पीड़िता बोलीं- पति ने नहीं अपनाया तो खुद करूंगी जिगर के टुकड़े की परवरिश

जागरण संवाददाता, पानीपत : करीब एक वर्ष पहले घर से भागकर कम उम्र में प्रेम विवाह करने वाल

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 Jun 2018 12:09 PM (IST)Updated: Sat, 23 Jun 2018 12:09 PM (IST)
पीड़िता बोलीं- पति ने नहीं अपनाया तो खुद करूंगी जिगर के टुकड़े की परवरिश
पीड़िता बोलीं- पति ने नहीं अपनाया तो खुद करूंगी जिगर के टुकड़े की परवरिश

जागरण संवाददाता, पानीपत : करीब एक वर्ष पहले घर से भागकर कम उम्र में प्रेम विवाह करने वाली लड़की ने पांच दिन सिविल अस्पताल में बच्चे को जन्म दिया। जिस प्रेमी के लिए मां-बाप सबकुछ छोड़ दिया था वही बेवफा निकला। पांच दिन बीत जाने पर भी पत्नी और बेटे का हाल जानने अस्पताल नहीं आया। लड़की अब पति के घर जाना नहीं चाहती। नवजात का क्या होगा? इस पर लड़की ने नम आंखों से कहा कि पति सोनू ने बच्चे को नहीं अपनाया तो जिगर के टुकड़े की परवरिश खुद करूंगी।

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उत्तर प्रदेश के जिला शामली के भैंसवाल गांव का परिवार हरिनगर पानीपत में रहता है। परिवार की एक नाबालिग लड़की ने जून 2017 में शामली के गांव भौराकलां के लड़के से परिवार की मर्जी के खिलाफ प्रेम विवाह कर लिया। उस समय उसकी आयु 17 साल से भी कम थी। बाद में लड़की के पिता ने किला पुलिस चौकी में लड़के के विरुद्ध 363, 366ए आइपीसी में मुकदमा दर्ज करा दिया। पुलिस ने दिसंबर 2017 में लड़की को बरामद किया, उस समय वह गर्भवती थी। मामला सीडब्ल्यूसी के समक्ष पहुंचा तो दोनों पक्षों ने समझौता करने की बात लिखित में दी। सीडब्ल्यूसी ने जिला बाल संरक्षण अधिकारी को केस का फॉलोअप करने के आदेश देते हुए लड़की को परिजनों के सुपुर्द कर दिया था। लड़की ने पांच दिन पहले सिविल अस्पताल में बच्चे को जन्म दिया तो लड़की और उसके परिजनों ने उसे अपनाने से पहले इन्कार कर दिया। लड़की ने कहा कि यदि उसका पति अपने बच्चे को अपनाएगा तभी शिशु को स्तनपान कराऊंगी। डॉक्टर-नर्स के समझाने पर उसने स्तनपान कराया। अब लड़की की जिद है कि वह पति के साथ नहीं, बल्कि अपने माता-पिता के साथ उनके घर जाएगी।

विवाद अदालत में विचाराधीन है। उधर, सीडब्ल्यूसी सदस्य किरण मलिक, सरोज मलिक और हरिदास शास्त्री जच्चा-बच्चा की सुध लेने सिविल अस्पताल पहुंचे। सदस्यों ने उसे आश्वासन दिया कि सोमवार को इस केस का निर्णय हो जाएगा।

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डीसीपीओ ने नहीं किया फॉलोअप

सीडब्ल्यूसी सदस्यों ने से बताया कि इस पेचिदा केस की जानकारी सिविल अस्पताल, किला थाना पुलिस, लड़की के परिजन छिपाते रहे। गुप्त सूचना से केस की जानकारी मिली है। इस केस का फालोअप जिला बाल संरक्षण अधिकारी ने कराया होता तो आज लड़की अपने पति और नवजात शिशु अपने पिता के इंतजार में इतने दिन अस्पताल में नहीं रहते। चौंकाने वाला पहलू यह है कि नवजात का आधार कार्ड भी नहीं बन सका है, जबकि सिविल अस्पताल में पैदा होने वाले बच्चों का जन्म के दूसरे-तीसरे दिन आधार कार्ड बना दिया जाता है।

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कुआंरी मां की भी ली सुध

सिविल अस्पताल में किशनपुरा क्षेत्र स्थित एक कॉलोनी निवासी दुष्कर्म पीड़िता ने बच्चे को जन्म दिया। जच्चा-बच्चा दोनों 15 दिनों से अस्पताल में भर्ती हैं। आरोपित लड़का जेल में है। पहले इस लड़की ने भी नवजात शिशु को स्तनपान कराने से इन्कार कर दिया था। लड़के की मां ने बेटे से शादी का आश्वासन दिया तो किशोरी ने नवजात को दूध पिलाना शुरू किया। सीडब्ल्यूसी के तीनों सदस्यों ने जच्चा-बच्चा के स्वास्थ्य संबंध में डॉक्टरों से बात कर बेहतर देखभाल करने को कहा है।


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