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चालान पर चालान, भुगतान के लिए भी लाइन, ऐसे हालात से जूझ रहे पानीपत के ट्रांसपोर्टर

पानीपत के आरटीए कार्यालय में नहीं हो रहे काम सेक्रेटरी ने मांगा एक और आपरेटर। डीसी को पत्र भेज की मांग सोमवार तक कार्यभार संभाल सकता है आपरेटर। रोजाना कई घंटे इंतजार कर लौट जाते है ट्रांसपोर्टर। ट्रांसपोर्टरों ने कहा एक तो चालान कटाओ फिर लाइन में भी लगो।

By Ravi DhawanEdited By: Published: Fri, 13 Nov 2020 01:52 PM (IST)Updated: Fri, 13 Nov 2020 01:54 PM (IST)
चालान पर चालान, भुगतान के लिए भी लाइन, ऐसे हालात से जूझ रहे पानीपत के ट्रांसपोर्टर
पानीपत का आरटीए कार्यालय, जहां ट्रांसपोर्टर झेल रहे परेशानी।

पानीपत, जेएनएन - RTA Panipat के कार्यालय में आपको लाइन पर लाइन दिख जाएगी। दरअसल, ये चालान भुगतने की कतार होती है। एक तो चालान कट रहे, दूसरी तरफ इन्‍हें भरने के लिए मुसीबत। ट्रांसपोर्टर कहते हैं कि कम से कम यहां तो व्‍यवस्‍था ठीक कर दी जाए। उनका काम प्रभावित हो रहा है। रीजनल ट्रांसपोर्ट अथारिटी (आरटीए) कार्यालय में कामकाज कराने आए वाहन मालिकों की परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही। 

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डीआइटीएस से आए दो नए आपरेटर से काम नहीं चल रहा। वाहन मालिकों की परेशानियों को हल करने के लिए सेक्रेटरी ने डीसी धर्मेंद्र सिंह को पत्र लिख एक और आपरेटर भेजने की मांग की है। संभावना है कि सोमवार तक नया आपरेटर कार्यालय में कार्यभार संभाल सकता है।

बता दें कि आरटीए कार्यालय में 19 अक्टूबर को हुए बदलाव के बाद से ही कार्यालय में वाहन मालिकों के कामकाज अधर में हैं। नए आपरेटरों ने कार्यालय में ज्वाइन तो कर लिया, लेकिन 20 दिन बीतने के बाद भी काम में तेजी नहीं आई है। नतीजतन कार्यालय में कामकाज कराने आए ट्रांसपोर्टरों को रोजाना कई घंटे कतार में खडे रहना पड़ता है। वाहनों के दस्तावेज नहीं बनने से ट्रांसपोर्टरों को आर्थिक नुकसान भी हो रहा है।

बिना दस्तावेज सड़क पर नहीं उतार सकते वाहन

ट्रांसपोर्टर पवन कुमार ने बताया कि वाहनों के कागजात बनवाए बिना उन्हें सड़कों पर नहीं उतार सकते। गाड़ियां खड़ी होने के कारण कैंटर से दो हजार और 12 टायर ट्रक से चार हजार रुपये का रोजाना नुकसान हो रहा है। अधिकारियों की ढीली कार्यप्रणाली का खामियाजा ट्रांसपोर्टरों को भुगतना पड़ रहा है।

चालान काट रहे अधिकारी, भुगतान में भी आए तेजी

ट्रांसपोर्टर विनोद ने बताया कि अधिकारी शहर में धड़ाधड़ चालान काट रहे है। वाहनों को इंपाउंड कर थानों में खड़ा करा देते है। जब ट्रांसपोर्टर चालान भुगतान करने के लिए कार्यालय जाते हैं, तो उन्हें कई घंटे तक कतार में खड़े रहना पड़ता है। अधिकारियों को चालान की तरह ही भुगतान में भी तेजी लानी चाहिए।


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