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एक कुत्ते की समाधि, रोचक है कहानी, पहली फसल यहां लाते हैं गांव के लोग

वफादारी ने कुत्ते को अमर बना दिया। मान्‍यता इतनी कि 12 गांवों के लोग यहां माथा टेकने आते हैं। कुकड़ा बाबा का बना हुआ है डेरा। पानीपत की तीसरी लड़ाई के बाद यहां मंदिर बना था।

By Ravi DhawanEdited By: Published: Mon, 29 Oct 2018 01:24 PM (IST)Updated: Mon, 29 Oct 2018 01:25 PM (IST)
एक कुत्ते की समाधि, रोचक है कहानी, पहली फसल यहां लाते हैं गांव के लोग
एक कुत्ते की समाधि, रोचक है कहानी, पहली फसल यहां लाते हैं गांव के लोग

पानीपत [सुनील मराठा]। वफादारी ऐसी निभाई कि वो अमर हो गया। ये कहानी एक कुत्ते की है। एक बार यकीन करना मुश्किल होता है। आस्‍था भी किसी एक गांव की नहीं, 12 गांवों के लोग इस पर विश्‍वास करते हैं। हम बात कर रहे हैं, कुत्ते की समाधि की। पानीपत के थर्मल पावर प्‍लांट के पास एक गांव है ऊंटला, जहां पर ये समाधि बनी हुई है। कुकड़ा बाबा के डेरे पर लोग जब यहां माथा टेकने आते हैं तो इस समाधि पर भी जरूर जाते हैं। नई फसल काटने के बाद सबसे पहले यहां कुछ हिस्‍सा लेकर आते हैं। इनका मानना है कि समाधि और डेरे पर दिए दान से खुशहाली आएगी। पढि़ए, कुत्ते की समाधि बनने की कहानी।

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थर्मल क्षेत्र में पानीपत की तीसरी लड़ाई का गवाह मंदिर है। कहते हैं कि इसे सदाशिव राव भाऊ ने बनवाया था। तीसरी लड़ाई में हार के बाद सदाशिव राव जान बचाने के लिए जंगलों में भटक रहे थे। तब उन्होंने देखा कि एक गाय अपने बछड़े की जान बचाने के लिए शेर से मुकाबला कर रही थी। शेर डर कर भाग गया। उनके मन में ख्याल आया कि यह जमीन सत की जमीन है, जहां अपना फर्ज निभाने के लिए गाय शेर से भिड़ गई। तब वह ऊंटला, सुताना, खुखराना, आसन की सीमा पर छुप गए। यह जगह इस समय थर्मल में है। वहां पर एक बाबा रहते थे। सदाशिव वहीं रहने लगे। बाबा ने सदाशिव राव को यकीन गिरी नाम दिया। सदाशिव ने लोगों के सहयोग से मंदिर बनवाया, जिसका नाम कुकड़ा बाबा डेरा प्राचीन देवी मंदिर रखा गया।

कुकड़ा बाबा का डेरा

इसकी थर्मल के आसपास के ऊंटला, सुताना, भालसी, वैसरी, लोहारी, जाटल, सुताना, आसन कलां, आसन खुर्द, नोहरा, सिठाना, खुखराना शौदापुर सहित आसपास के 12 गांवों में बहुत मान्यता है। कोई भी ग्रामीण दुधारू पशु लाता है तो सबसे पहले बाबा के धूने पर दूध चढ़ाने जाता है। कुकड़ा बाबा डेरा में बना प्राचीन देवी मंदिर बहुत प्राचीन है। डेरे में मान्यता रखने वाले आस पास के 12 गांवों के लोग खेतों से अनाज घर ले जाने से पहले अन्न का कुछ हिस्सा डेरे में पहुंचाते हैं। शादी या पार्टी होती है तो डेरे में प्रसाद पहुंचाने के बाद खाना शुरू किया जाता है।

कुत्ते की समाधि ये है कहानी

लखी बंजारा पशु व्यापारी था। व्यापार में उसे नुकसान हो गया था। उसने एक सेठ से कर्जा लिया। सेठ ने कर्जे के बदले उसके कुत्ते को गिरवी रख लिया था। सेठ के घर रात को चोरी हो गई। चोरों ने चोरी का सारा सामान एक जगह तालाब में छुपा दिया। अगले दिन कुत्ता सेठ को वहां लेकर गया, जहां चोरों ने चोरी का सामान छुपा रखा था। उसी दिन सेठ ने कुत्ते को वापस बंजारे के पास भेज दिया।

कुत्ते के गले में एक चिट्ठी लटका दी कि कुत्ते ने एक रात में ही आपका कर्जा चुकता कर दिया। कुत्ते को आता देख बंजारे ने सोचा कि कुत्ता अपने आप भाग कर आया है, इसलिए उसने चिट्ठी को बिना पढ़े कुत्ते को मार दिया। डेरे में रहने वाले बाबा ने चिट्ठी पढ़ी। बाबा ने कुत्ते को आशीर्वाद दिया कि मर कर भी अमर हो जाएगा। मंदिर परिसर में कुत्ते की समाधि बनाई गई, जिसकी बहुत अधिक मान्यता है।

थर्मल प्रशासन ने जमीन का अधिग्रहण नहीं किया
जब थर्मल का निर्माण किया जा रहा था, उस समय कुकड़ा बाबा डेरा प्राचीन देवी मंदिर को अधिग्रहित कर लिया गया। थर्मल की चारदीवारी बनाते हुए मंदिर के पास पहुंचे। कहते हैं कि चारदीवारी बनाने के कुछ समय बाद अपने आप गिर जाती थी। ऐसा कई बार हुआ। इसलिए उसे अधिग्रहण नहीं किया गया। वहां पर एक प्राचीन गुफा और कुआं भी है।

tharmal temple

मंदिर की बहुत अधिक मान्यता
मंहत बाबा समझ गिरी का कहना है कि दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। आसपास के बारह गांवों में मंदिर की बहुत अधिक मान्यता है। उनके गुरु बाबा गोपी गिरी और वे हरिद्वार गए हुए थे। चोर डेरे में चोरी करके वापस जाने लगे तो अंधे हो गए। जब वापस आए तो चोर डेरे में थे। पश्चाताप करने के बाद चोर ठीक हो गए थे।


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