Chaitra Navratri 2019 : नवरात्र में भगवान श्रीराम के जन्म जैसा योग, इस तरह मिलेगा मनोवांछित फल
छह अप्रैल से चैत्र नवरात्र की शुरुआत हो चुकी है। इस बार अष्टमी और नवमी का पर्व भी एक ही दिन मनाया जाएगा। राम नवमी पर इस बार पुष्य नक्षत्र योग का संयोग अत्यंत शुभ साबित होगा।
पानीपत, जेएनएन। छह अप्रैल शनिवार से शुरू हो चुके हैं चैत्र नवरात्र। 14 अप्रैल को राम नवमी पर पुष्य नक्षत्र योग का संयोग बन रहा है। वहीं पांच बार सर्वार्थ सिद्धि और दो बार रवियोग का विशेष संयोग भी है। आचार्य लाल मणि पांडेय ने बताया कि इस नवरात्र में मां शक्ति, आराध्य देव और पितरों का पूजन करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी। इस बार अष्टमी और नवमी का पर्व एक ही दिन मनाया जाएगा। 14 अप्रैल को सुबह नौ बजकर 36 मिनट राम नवमी रहेगी।
कलश स्थापना से होती है शुरुआत
नवरात्र के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री देवी की पूजा की जाती है। नवरात्र के दौरान नौ दिनों तक मां दुर्गा का पूजन और दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है। चैत्र प्रथम नवरात्र की शुरुआत कलश स्थापना से होती है।
कलश स्थापना विधि
कॉस्मिक एस्ट्रो पिपली (कुरुक्षेत्र) के डायरेक्टर श्री दुर्गा देवी मंदिर पिपली के अध्यक्ष डॉ. सुरेश मिश्रा ने बताया कि कलश स्थापना के लिए शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन सुबह पूजा का संकल्प लिया जाता है। संकल्प लेने के पश्चात मिट्टी की वेदी बनाकर जौ बोया जाता है और इसी वेदी पर कलश की स्थापना की जाती है। घट के ऊपर कुल देवी की प्रतिमा स्थापित कर पूजन किया जाता है और दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है। इस दौरान अखंड दीप जलाने का भी विधान है। इन दिनों में मंत्र जाप करने से मनोकामना शीघ्र पूरी होती है। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के बाद मां दुर्गा की पूजा आरंभ की जाती है।
इस चैत्र नवरात्र 2019 की विशेष बातें
- चैत्र नवरात्र के शुभारंभ पर गुड़ी पड़वा और नव संवत्सर परिधावी 2076 शुरू होगा।
- इस बार चैत्र नवरात्र रेवती नक्षत्र के साथ शुरू हो रही है।
- नवरात्र के आठवें दिन अष्टमी और नवमी एक साथ मनाई जाएंगी।
- 14 अप्रैल को राम नवमी पर इस बार पुष्य नक्षत्र योग का संयोग बन रहा है। भगवान राम का जन्म पुष्य नक्षत्र में ही हुआ था।
- 9 दिनों के इस चैत्र नवरात्र में पांच बार सर्वार्थ सिद्धि और दो बार रवियोग का विशेष संयोग बन रहा है। जो ज्योतिष दृष्टि से बहुत ही शुभ माना गया है।