Ayushman Bharat Yojana: सात फेरों पर जो वचन दिया, आयुष्मान भारत से पूरा हुआ
पानीपत में रीढ़ के दर्द से पीडि़त महिला के इलाज के लिए परिजनों के पास रुपये नहीं थे। आयुष्मान भारत योजना की वजह से उसका इलाज हो सका।
पानीपत, [राज सिंह]। सात फेरे लेते समय पत्नी को खुश रखने का वचन दिया था। सुख-दु:ख में साथ रहने का वायदा भी किया। तीन साल पहले घर में काम करते समय पत्नी गिर गई। रीढ़ में दर्द रहने लगा। रीढ़ में मवाद पड़ गया। इलाज के लिए पैसे नहीं थे। दर्द से पत्नी चिल्लाती। उसका तड़पता देखकर पीड़ा होती थी। अब आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज चल रहा है। बिजेंद्र खुश है कि पत्नी को दिया हुआ वचन आयुष्मान भारत के जरिए पूरा हो रहा है।
सनौली रोड स्थित आइबीएम हॉस्पिटल में भर्ती इसराना ब्लॉक के गांव बिजावा वासी सुमन के पति बिजेंद्र ने ये बातें कही। बिजेंद्र ने बताया कि वह प्राइवेट जॉब करता है। पांच साल का बेटा गुरप्रीत और तीन साल की बेटी साक्षी है। तीन साल पहले पत्नी की रीढ़ की हड्डी में चोट लगी थी। जितना हो सका, इलाज कराता रहा। इसके बाद वह गर्भवती हो गई। बेटी साक्षी को जन्म दिया।
डिलीवरी के समय सरकारी अस्पताल में डॉक्टरों ने उसकी रीढ़ में दो इंजेक्शन लगाए थे। डिलिवरी के बाद इंजेक्शन वाली जगह और अधिक दर्द रहने लगा। करीब छह माह पहले चेक कराया तो पता चला कि रीढ में मवाद हो गई है। इलाज तो संभव है लेकिन खर्च 60 हजार से अधिक आएगा। सिर ढंकने लायक छत थी, सुमन ने उसे बेचने नहीं दिया। खेती की जमीन नहीं थी, जो बेचकर इलाज करा सकूं।
बिजेंद्र
मजदूर था तो कर्ज भी मुमकिन नहीं
सभी रास्ते बंद देख बिजेंद्र ने कर्ज लेने की सोची, लेकिन मजदूर को इतनी बड़ी रकम मिलना मुश्किल हो गया। इसी दौरान आयुष्मान भारत योजना का पीएम लेटर घर पहुंच गया। इसके बाद गोल्डन कार्ड बनवाया। योजना के तहत इलाज चल रहा है। उम्मीद है कि पत्नी जल्द स्वस्थ हो जाएगी।
बच्चों की चिंता होने लगी
अस्पताल के बिस्तर पर लेटी सुमन ने कहा कि बच्चे अभी छोटे हैं। रीढ़ की हड्डी में दर्द रहने से घर का कोई काम करना मुश्किल हो रहा था। मुहल्ले-पड़ोस के लोग डराते भी थे कि एक दिन उठना-बैठना भी और मुश्किल हो जाएगा। अपने दर्द से ज्यादा चिंता बच्चों की सताती थी कि कैसे परवरिश होगी। अब लगता है कि सबकुछ ठीक हो जाएगा।
रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा और स्वास्थ्य, ये ऐसी जरूरतें हैं जो हर इंसान को चाहिए। केंद्र और प्रदेश सरकार इन पर काम भी कर रहीं हैं। आयुष्मान भारत तो जरूरतमंद तबके के लिए संजीवनी साबित हो रही है। सरकार इसमें मामूली संशोधन कर ओपीडी फीस खर्च को भी शामिल कर ले और बेहतर होगा।
- डॉ. गौरव श्रीवास्तव, पूर्व अध्यक्ष, आइएमए पानीपत।
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