एक विवाह ऐसा भी- वादा करने वाले गुजर गए, यूं जुड़ा एक ये रिश्ता
एक रिश्ता ऐसा भी। पैदा होने से 23 साल पहले जुड़ा बंधन अब सात फेरो से बंधा । कहानी में इमोशन है तो रोमांस भी। जानने के लिए पढ़िए ये खबर।
जेएनएन, अंबाला/पानीपत : जीवन की एक रियल कहानी से आपको रूबरू कराते हैं। दो परिवार के मुखियाओं ने आपस में तय कर लिया था कि उनके बेटे व बेटी की शादी होगी। इससे पहले कि वो वादा निभा पाते, दोनों का ही देहांत हो गया। कुछ साल बाद परिवार को ये बात पता चली तो हिचकते हुए सभी को यह बताया गया। नाबालिग बच्चों का विवाह नहीं किया जा सकता था। कुछ वर्ष बाद बच्चे बालिग हुए। उन्हें भी इसका पता चला। दोनों की सहमति से आखिर ये विवाह हुआ। पढ़ें ये सच्ची कहानी।
अंबाला छावनी से सटे समलेहड़ी गांव के कर्मचंद और उत्तर प्रदेश के जनपद सहारनपुर के गांव रंगैल निवासी कबाड़ी राम ने करीब 23 साल पहले अपने बच्चों का रिश्ता तय कर दिया। उस वक्त कबाड़ी राम की पत्नी गर्भ से थी और उससे पहले ही अपने दोस्त कर्मचंद को वादा कर दिया कि अगर बेटी हुई तो वह उनके बेटे की ही बहू बनेगी। कुछ दिन बाद ही बेटी भी हो गई। लेकिन कुछ साल बाद ही समलेहड़ी निवासी युवक मुकेश के पिता कर्मचंद इस वादे को भूल गए और कबाड़ी राम ने उनके साथ किया वादा याद करवाया।
किस्मत ने नहीं दिया था साथ
किस्मत को कुछ ओर ही मंजूर था और करीब ढाई साल पहले मुकेश के पिता व सहारनपुर निवासी सोनिया के पिता का भी देहांत हो गया। ऐसे में 23 साल पहले मृतक दोस्तों द्वारा जोड़े गए इस बंधन को अब उनके परिजनों ने सात फेरो में बांधा। मुकेश-सोनिया की 12 अक्टूबर को हुई यह शादी अब क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है।
इस तरह हुई थी कहानी की शुरुआत
दरअसल समलेहड़ी निवासी कर्मचंद और सहारनपुर के रंगैल निवासी कबाड़ी राम दोनों ट्रक ड्राइवर थे। दोनों के बीच अच्छी दोस्ती थी। कर्मचंद ने अपने मित्र कबाड़ी राम को कहा कि क्यों न उनकी दोस्तों को रिश्तेदारी में बदला जाए। तब कबाड़ी ने कहा कि उनकी पत्नी गर्भ से है और अगर बेटी हुई तो उसकी शादी उनके बेटे मुकेश के साथ करने का वादा कर दिया। भगवान की कृपा से कुछ दिन बाद बेटी हुई तो दोनों परिवारों में खुशी का माहौल हो गया। लेकिन कर्मचंद ने अपने परिवार को इस बारे में कुछ नहीं बताया।
आठवीं कक्षा में पता चला पिता का वादा
26 वर्षीय मुकेश जब आठवीं कक्षा में था तो उसे पता चला कि उसका रिश्ता पिता ने बचपन में ही अपने दोस्त की बेटी सोनिया के साथ सहारनपुर में तय कर दिया था। लेकिन इसके बाद दोनों परिवारों के परिजनों का एक-दूसरे के घर आना-जाना शुरू हो गया। जब मुकेश करीब 14 साल का था तब वह अपने माता के साथ सहारनपुर रंगैल गांव में गया था हुआ था। तब कबाड़ी राम की पत्नी ने बताया कि उनकी बेटी सोनिया का रिश्ता उनके पिता ने बचपन में मुकेश के साथ तय किया था। इसके बाद मुकेश की माता ने उसके पिता से इस बारे में पूछा और तब पूरे मामले का पता चला।
भगवान को कुछ और ही मंजूर था
लेकिन भगवान को कुछ ओर ही मंजूर था और कबाड़ी राम की एक सड़क हादसे में मौत हो गई। मुकेश का सारा परिवार सोनिया इस दुख की घड़ी में उनके घर पहुंचा। इसके कुछ समय बाद मुकेश के पिता कर्मचंद का भी बीमारी के कारण निधन हो गया। परंतु दोनों परिवारों के सदस्यों को वायदा याद रहा और उन्होंने मुकेश की सोनिया के साथ शादी तय कर दी। इसी महीने 12 अक्टूबर रविदासिया धर्म के अनुसार (आंनद कारज) दोनों की रंगैल में शादी हुई।