पिहोवा से जीतते ही सीधे कैबिनेट में पहुंचते हैं विधायक Panipat News
अभी तक पिहोवा विधानसभा पर सिख प्रत्याशियों का दबदबा रहा है। यहां से चुने जाने वाला प्रत्याशी को कैबिनेट में जगह मिलती है।
पानीपत/कुरुक्षेत्र, [रमेश गर्ग]। पिहोवा विधानसभा सीट पर ज्यादातर सिख प्रत्याशी का ही दबदबा रहा है। इस सीट पर जीत का परचम लहाराने के लिए राजनीतिक पार्टी हमेशा सिख प्रत्याशियों पर ही अपना दांव खेलती हैं। दिलचस्प बात ये है कि पिहोवा सीट से जीतने के बाद यहां के विधायकों को सीधा कैबिनेट मंत्री या इसके समकक्ष पद मिला। प्यारा सिंह कैबिनेट मंत्री, तारा सिंह स्पीकर बने, हरमोहिंद्र सिंह स्पीकर व कैबिनेट मंत्री, बलबीर सैनी कैबिनेट मंत्री, जसविंद्र सिंह संधू मुख्य संसदीय सचिव व कैबिनेट मंत्री रहे। जिसके चलते पिहोवा की सीट हॉट सीट बनी हुई है। हर कोई पिहोवा विधानसभा से जीतकर कैबिनेट मंत्री बनने के सपने संजोए हुए है।
जब से हरियाणा बना है तब से लेकर आज तक पिहोवा विधान सभा की सीट पर अधिकतर सिख उम्मीदवार ने ही राज किया है। पिहोवा की सीट को राजनीतिक पार्टियां सिख सीट होना मानती है। इतिहास को खंगालते हुए मुख्य राजनीतिक पार्टियां सिख प्रत्याशी उतारने पर नजर बनाए हुए हैं। इसकी संभावना के चलते भाजपा व कांग्रेस में टिकट पाने के लिए सिख नेताओं की होड़ लगी हुई है। जहां कांग्रेस की ओर से हरमोहिंद्र सिंह, सतविंद्र संधू टिम्मी, गगनजोत सिंह संधू, अमन चीमा, हरमन सिंह विर्क अपने दावेदारी जता रहे हैं। वहीं भाजपा से हरपाल सिंह चीका, मक्खन सिंह लबाना, संदीप सिंह सूरमा आदि नेता टिकट के जुगाड़ में लगे हुए हैं। जननायक जनता पार्टी से भी सिख प्रत्याशी जसविंद्र सिंह खैरा और कुलदीप मुलतानी का नाम चर्चा में है।
चमन लाल सर्राफ थे पहले विधायक
आरएसएस के महासचिव इंद्रेश के पिता चमन लाल सर्राफ जोकि पिहोवा के गुमथलागढू के रहने वाले थे, 1967 में जनसंघ की टिकट पर विजयी होकर पिहोवा के पहले विधायक बने थे । उसके बाद 1987 में बलबीर सैनी जीतकर विधायक बने थे। इन दो अपवादों को छोड़ दे तो पिहोवा की सीट पर सिख प्रत्याशी ही विजयी होते आए हैं। प्यारा सिंह, तारा सिंह, हरमोहिंद्र सिंह, जसविंद्र संधू ऐसे सिख नेता रहे हैं, जिन्होंने पिहोवा विधानसभा पर अपना दबदबा बनाए रखा।