एक मान्यता ऐसी, कपाल मोचन में दुल्हे बनने की मनोकामना होती है पूरी
इसे भ्रूण हत्या का असर कहा जाए या फिर लोगों में अंधविश्वास। कपाल मोचन मेले में इस बार कई लोग बहू की कामना लेकर आ रहे हैं। जानिए आखिर कैसे पूरी हो रही मान्यता।
पानीपत, जेएनएन। लोगों में अंधविश्वास है ये या फिर मान्यता। ये तो पता नहीं, लेकिन हकीकत है कि इस बार बहू की कामना लेकर कपाल मोचन में आने वाले लोगों की भीड़ बढ़ी है। इसकी पुष्टि यहां की दुकानों से होने वाली सेहरों की खरीदारी से हो रही है। जानने के लिए पढ़ें दैनिक जागरण की ये खबर।
जीवन साथी की कामना को लेकर बड़ी तादाद में युवा व उनके परिजन यहां पहुंच रहे हैं। तीर्थ स्थल कपालमोचन में सरोवरों में स्नान करने से कष्ट व पाप ही दूर नहीं होते हैं। श्रद्धालुओं की मनोकामना भी पूरी होती है।
मान्यता है कि मन्नत होती है पूरी
मान्यता है कि सूरजकुंड सरोवर पर मन्नत मांगने से जीवनसाथी मिलते हैं। इसी आस्था के साथ सैकड़ों युवा ऐसे हैं जो यहां से सेहरे खरीद रहे हैं। सेहरों की 50 से ज्यादा दुकानें सजी हैं। मान्यता है कि सेहरे खरीद कर घर में रखने से शादी जल्दी होती है।
मेले में सेहरा की खरीदारी करता युवक।
इस बार सेहरों की मांग ज्यादा
सहारनपुर के सुलतानपुर गांव से यहां दुकान सजाने वाले सुरेंद्र कुमार ने बताया कि वे 20 साल से दुकान लगा रहे हैं। इस बार सेहरों की मांग कुछ ज्यादा है। उनकी दुकान में खरीदारों की भीड़ लगी है। पंजाब से आए श्रद्धालु सेहरे खरीद रहे हैं। 200 से 2 हजार रुपये तक की कीमत के हैं। चांदी जडि़त सेहरों की भी अच्छी खासी मांग है।
लोगों की जुड़ी है आस्था
पंजाब के मोगा से आए सतनाम ने बताया कि उनके गांव का जसबीर सिंह सेहरा खरीद कर ले गया था। इससे उसकी शादी हो गई। उसकी कपालमोचन के साथ आस्था जुड़ी है। उसे विश्वास है कि यहां से सेहरा खरीदकर घर ले जाने के कुछ दिन बाद ही उसकी शादी हो जाएगी। उसका घर बस जाएगा। नकुड से आए रमेश कुमार ने बताया कि वह पांच साल से मेले में दुकान लगाते हैं। इससे पहले कभी सेहरों की इतनी मांग नहीं थी, जितनी इस बार है। जो भी युवा दुकान पर आ रहे हैं। सेहरे की मांग कर रहे हैं।रोपड से आए सतविंद्र सिंह ने बताया कि वह 38 साल का हो गया। उसकी शादी अभी तक नहीं। उसको बताया गया कि यहां से सेहरा खरीदने पर उसकी शादी हो जाएगी। इसी आस्था के साथ उसने सेहरा खरीदा है।
यह है सूरजकुंड सरोवर की मान्यता
पुराणों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण जी ने महाभारत युद्ध के बाद पांडवों के साथ इस सरोवर में स्नान किया था। एक अन्य मान्यता के अनुसार इस स्थान पर एक सिद्ध पुरुष जिसका नाम दूधाधारी बाबा था वह यहां पर रहते थे और पूजा अर्चना करते थे। कहते हैं कि आसपास के क्षेत्र में उनकी काफी मान्यता थी। समय पर उनसे मुरादें मांगने आते थे। लोगों की मुरादें पुरी होती थी। आज भी मेले के समय इस सरोवर के तट पर देश के कोने कोने से साधु आकर सरोवर के तट पर तपस्या करते हैं और धूना रमाते हैं। यह केवल सूरजकुंड पर ही होता है। कहा जाता है कि इसमें स्नान करने से अध्यात्मिक शांति मिलती है, दुखों, कलेशों और रोगों से मुक्ति मिलती है। सूरज कुंड सरोवर के तट पर कदम का पेड़ है किवंदति है कि भगवान श्री कृष्ण जी इस पर बैठ बांसुरी बजाया करते थे।