सेना में भ्रष्टाचार, पढ़िए कैसे सीबीआइ ने फोन टैपिंग कर किया फर्नीचर घोटाले का पर्दाफाश
40 हजार रुपये की रिश्वत कांड में खुली परतें। पल-पल की सीबीआइ के पास कॉल रिकार्डिंग। अन्य अधिकारियों और कांट्रेक्टर की भी गिरफ्तारी तय। पटियाला से जुड़े हैं तार।
दीपक बहल, अंबाला - मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस (एमईएस) के टेंडरों में बड़े पैमाने पर हुए भ्रष्टाचार की परतें सीबीआइ जांच में खुलने लगी हैं। टेंडर नंबर 13 अलॉट करने की एवज में दो लाख रुपये की रिश्वत मांगी गई थी। इसमें से एक लाख रुपये कमांडर वर्कर्स इंजीनियर्स (सीडब्ल्यूई) मुकेश प्रसाद के हिस्से में आने थे, बाकी एक लाख रुपये जेई संदीप छिकारा और अन्य कर्मचारियों के हिस्से में जाने थे। पांच अक्टूबर को कांट्रेक्टर संजीव जिंदल 40 हजार रुपये की रिश्वत जेई संदीप छिकारा को देकर चला गया।
इससके बाद सीबीआइ ने तीन आरोपितों को एक-एक करके गिरफ्तार कर लिया। इनमें सीडब्ल्यूई मुकेश प्रसाद, जेई संदीप छिकारा और कांट्रेक्टर संजीव जिंदल को रविवार को मोहाली की सीबीआइ की विशेष अदालत में पेश किया गया, जहां से 14 दिन के लिए तीनों को पटियाला जेल भेज दिया गया। इस रिश्वत कांड में और आरोपितों की गिरफ्तारी होना तय है क्योंकि अधिकारी और कांट्रेक्टरों के बीच हुई बात का रिकॉर्ड सीबीआइ के पास है।
सीबीआइ के पास थी पुख्ता जानकारी
सूत्रों के मुताबिक, सीबीआइ को पुख्ता जानकारी दी गई थी कि टेंडर नंबर 13 जो अगस्त 2018 में पटियाला एमईएस से जारी किया जा रहा है, उसमें भ्रष्टाचार हुआ है। मुकेश प्रसाद और विकास जिंदल के बीच में बातचीत तय हो चुकी थी कि तीन अलग-अलग आइडी से जिंदल कंपनी संगरूर के लिए फर्नीचर का टेंडर भरेगी। इस टेंडर में तय कर दिया गया था कि एक आइडी में 19 लाख से कम अमाउंट रखना है। जब सीबीआइ ने जांच की तो मात्र तीन ही आवेदन इस टेंडर के लिए आए हुए थे। ये एक ही फर्म ने अलग-अलग आइडी के नाम से भरे थे। 7 अगस्त को यह तय कर दिया गया कि टेंडर जिंदल फर्म को ही अलाट किया जा रहा है।
इसके बाद 18 अगस्त को मुकेश प्रसाद और विकास जिंदल के बीच रुपयों को लेकर बात हुई। दो लाख रुपये में से एक लाख मुकेश के पास और बाकी अन्य में बंटने थे। 5 अक्टूबर को मुकेश प्रसाद चंडीगढ़ में थे और रिश्वत के पैसे जेई को देने की बात कही। विकास की जगह यह रुपये लेकर उनका भाई संजीव जिंदल गया था। इस प्रकरण में संजीव जिंदल, मुकेश प्रसाद और जेई संदीप छिकारा गिरफ्तार किए जा चुके हैं, जबकि विकास की गिरफ्तारी अभी बकाया है।
फोन टैपिंग की अनुमति लेकर बेनकाब किए चेहरे
सूत्रों के मुताबिक, सीबीआइ को इस टेंडर के मामले में रिश्वत कांड की भनक लग चुकी थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए फोन टैपिंग की अनुमति मांगी। जिसके बाद एक के बाद एक कड़ी जुड़ती गई। सीबीआई अब इस फोन टैंपिंग के माध्यम से अन्य लोगों को भी गिरफ्तार करेगी, जो इस मामले में लिप्त हैं।