स्कूल में लगाया गुल्लक, से¨वग सिखा छुड़वाया जंक फूड
टीचर ने स्कूल में लगाया गुल्लक। बच्चों को से¨वग सिखाकर छुड़वा दी जंक फूड की आदत।
उमेश भार्गव, अंबाला
शहर से सटे गांव मोखा माजरा की प्राथमिक पाठशाला की मुख्याध्यापक ने अनोखी पहल करते हुए छोटे-छोटे बच्चों को न सिर्फ बचत करना सिखाया, बल्कि उनकी जंक फूड खाने की लत को भी छुड़वा दिया। मुख्याध्यापक उषा रानी की इस पहल में गांव की सरपंच और बच्चों के अभिभावकों ने भी साथ दिया। 22 बच्चों से शुरू की गई यह योजना पूरे जिले के लिए आदर्श बन गई है। सरपंच रीटा रानी व मोखा माजरा स्कूल मैनेजमेंट कमेटी की प्रधान ममता रानी ने इस पहल का स्वागत किया। छह माह में 22 बच्चों ने जोड़े 8,250 रुपये
दरअसल, मुख्य अध्यापक उषा रानी ने अभिभावकों को स्कूल में बुलाकर पूरी योजना से अवगत कराया। इसके बाद स्कूल में गुल्लक लगाकर 22 विद्यार्थियों का से¨वग अकाउंट शुरू कर दिया गया। इसके बाद बच्चे अपने घरों से चाट, कोल्ड ड्रिंक, चिप्स, कुरकुरे नमकीन इत्यादि खाने के लिए जो भी रुपये लेकर आते वह अपनी मैडम को दे देते। मैडम ने इन रुपयों को गुल्लक में डालते हुए अलग से रजिस्टर भी लगाया। इसमें किस तारीख में किस बच्चे ने कितने पैसे जमा कराए यह सारा रिकार्ड दर्ज किया गया। इस तरह 1 अक्टूबर 2017 से लेकर गत 31 मार्च तक उक्त 22 विद्यार्थियों ने कुल 8,250 रुपये जोड़े। इनमें दूसरी कक्षा के वरुण ने सबसे ज्यादा 1602 रुपये जोड़े।
------------
1 अप्रैल को अभिभावकों की उपस्थिति में फोड़ा गुल्लक
एक अप्रैल 2018 को अभिभावकों की उपस्थिति में गुल्लक फोड़ा गया। इसकी बाकायदा वीडियो भी बनाई गई। इसके बाद मौके पर ही सभी बच्चों को कैशबुक से देखकर उनकी जमा की गई राशि भी वितरित कर दी गई। सबसे ज्यादा जमा करने वाले बच्चे वरुण को 30 रुपये और पांचवीं की मुस्कान को 886 रुपये जमा करने पर 20 रुपये व तीसरे नंबर पर 859 रुपये जोड़ने वाले रामप्रताप को 10 रुपये अतिरिक्त मैडम ने बचत के लिए प्रोत्साहन किया।
----------
वरुण की साइकिल कराई ठीक, दिलाया सूट
1602 रुपये जोड़ने वाले वरुण को उसकी मां ममता रानी ने सूट दिलाया। साथ ही उसकी साइकिल जोकि काफी समय से खराब थी, वह भी इन्हीं पैसों से ठीक कराई। वरुण के पिता मजदूरी करते हैं। इसीलिए कॉपी किताबों पर जो खर्च हुआ वह भी इसी राशि से निकल गया।
---------------
जब मैं स्कूल में आई थी तो बच्चे बहुत ज्यादा जंक फूड खाते थे। ज्यादातर बच्चे गरीब परिवारों से हैं। इसीलिए उनके स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए और उन्हें बचत के लिए प्रोत्साहित करने के लिए मैंने गुल्लक लगाया। खुद सरपंच और बच्चों के माता-पिता ने मेरा साथ दिया।
उषा रानी, स्कूल मुख्याध्यापक।