Move to Jagran APP

किशोर अवस्था से ही बेटियों के खानपान रखें ख्याल, एनीमिया का बढ़ रहा है खतरा

मां बनने की उम्र तक 50 फीसद महिलाएं खून की कमी से पीड़ित होती हैं। खानपान में बदलाव से सेहत सुधारी जा सकती है। स्त्री रोग एवं प्रसूति विशेषज्ञ डा. अंजलि ने कहा कि किशोरावस्‍था से ही बेटियों के खानपान का ख्‍याल रखना शुरू कर देना चाहिए।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Thu, 23 Sep 2021 02:48 PM (IST)Updated: Thu, 23 Sep 2021 02:48 PM (IST)
किशोर अवस्था से ही बेटियों के खानपान रखें ख्याल, एनीमिया का बढ़ रहा है खतरा
एनीमिया की समस्‍या महिलाओं में बढ़ती जा रही।

पानीपत, जागरण संवाददाता। वैश्विक पोषण रिपोर्ट के मुताबिक भारत कुपोषण की गंभीर समस्या से ग्रस्त है। मां बनने के समय करीब 50 फीसद महिलाओं के शरीर में खून की कमी (एनीमिया पीड़ित) पाई जाती है। पर्यावरण में मौजूद हानिकारक तत्व भी एनीमिया का कारण बन रहे हैं। महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान या मासिक धर्म के दौरान अत्यधिक रक्त स्राव होना भी एनीमिया का कारण है।

loksabha election banner

किशोर अवस्था से ही बेटियों के खानपान का ख्याल रखा जाए तो वे स्वस्थ रहेंगी, शादी के बाद उनके गर्भ से स्वस्थ शिशु जन्म लेगा। स्त्री रोग एवं प्रसूति विशेषज्ञ डा. अंजलि ने बताया कि एनीमिया कई बीमारियों की जड़ है। इसे जड़ से खत्म करने के लिए मांस, अंडा, मछली, किशमिश, सूखी खुबानी, हरी बीन्स, पालक और हरी पत्तेदार सब्जियों, शलजम और शकरकंद का सेवन महत्वपूर्ण है।आयरन युक्त डाइट और विटामिन सी युक्त खाद्य सामग्री खूब फायदेमंद होती है। इसमें अमरूद, आंवला और संतरे का जूस लें। खून बढ़ाने वाले आहार में चुकंदर सबसे अच्छा और सस्ता स्रोत है। खजूर, बादाम और किशमिश में भी आयरन की पर्याप्त मात्रा होती है। किसी भी फीमेल-मेल को एनिमिया मुक्त होना है तो फलों में तरबूज, सेब, अंगूर और अनार खाने से खून बढ़ता है। उन्होंने कहा कि फीमेल को बचपन से ही दूध-दही-घी सेवन की आदत डालें।

डा. अंजलि के मुताबिक किशोर अवस्था आते ही खानपान का विशेष ख्याल रखें। कुछ लोग आयरन सप्लीमेंट्स लेना पसंद करते हैं। विशेषज्ञ की सलाह के बिना इनका सेवन खतरनाक हो सकता है। लड़कियां फिटनेस के चलते भोजन कम लेना शुरू कर देती हैं, उन्हें जागरुक करने की भी जरूरत है। सरकार भी कुपोषण और एनिमिया को जड़ से मिटाने के लिए पोषण मिशन सहित कई कार्यक्रम चला रही है।

रक्त की कमी के लक्षण :

-नींद नहीं आना, आंख की रोशनी कम होना।

-थकान महसूस होना, काम में मन नहीं लगना।

-त्वचा, जीभ और आंखों में में पीलापन।

-होंठ व नाखूनों का रंग भी बदलना।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.