दिव्यांगों का स्वावलंबन कार्ड होगा मान्य, जल्द बनकर पहुंचेगा घर
केंद्र सरकार दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 के तहत देश और प्रदेश की विशेष योजना है।
सुनील बराड़, अंबाला
केंद्र सरकार दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 के तहत देश और प्रदेश के दिव्यांगजन को अब यूनिक स्वावलंबन कार्ड (यूडीआइडी) बनाने में जुट गई। प्रदेश में 1.68 लाख दिव्यांग स्वालंबन कार्ड बनाए जाएंगे। प्रत्येक जिले में समाज कल्याण विभाग इस काम को अटल सेवा केंद्रों की मदद से पूरा करने किया जाएगा।
बता दें कि दो साल पहले केंद्र सरकार दिव्यांगजन एक्ट को अधिनियम का रूप दे चुकी है जिसमें कई बदलावों के बाद अब अगस्त माह में काम शुरू हो चुका है। एक्ट में पहले सिर्फ सात तरह के दिव्यांग थे जिनमें शारीरिक निशक्त, मूकबधिर, दृष्टिबाधित, मंदबुद्धि आदि प्रकार के दिव्यांग शामिल हैं। लेकिन संशोधन और अधिनियम में सरकार ने तेजाब हमला और थैलीसीमिया पीड़ित समेत समेत 21 तरह के दिव्यांग कैटेगरी बना दी है जिन्हें अभी तक चीफ मेडिकल आफिसर (सीएमओ) जांच के बाद प्रमाण पत्र जारी करते थे। यह प्रमाण पत्र दिव्यांग को संभाल कर रखना पड़ता है और प्रमाण पत्र के साथ-साथ अपने अन्य दस्तावेजों का भार भी ढोना पड़ता था। लेकिन अब यूडीआइडी कार्ड बनने के बाद उन्हें प्रदेश ही नहीं बल्कि देश में कहीं पर कोई दस्तावेज ढोने की जरूरत नहीं पड़ेगी। यूडीआइडी में दिव्यांग की सभी तरह की जानकारियां होगी और यदि यूडीआडी कार्ड गुम हो गया तो वह भी आधार कार्ड की तरफ गवर्नमेंट आफ इंडिया की वेबसाइट से डाउनलोड किया जा सकेगा। दिव्यांग आनलाइन कर सकते हैं आवेदन
दिव्यांगजन को यूडीआइडी कार्ड बनवाने के लिए कहीं पर भटकने की जरूरत नहीं है बल्कि अपने वार्ड में नागरिक सुविधा केंद्र या नजदीकी अटल सेवा केंद्र से आनलाइन आवेदन किया जा सकता है। आवेदन के साथ में दस्तावेज अटैच करके भेजना होगा। आवेदन पहले जिला के नोडल अधिकारी के पास और वेरीफाई होने के बाद केंद्र सरकार के पास जाएगा। जहां से यूडीआइडी कार्ड बन कर डाक के माध्यम से दिव्यांग के घर पर पहुंच जाएगा।
ये बनाई गई हैं नई कैटेगरी
मानसिक रोगी, कुष्ट रोग से मुक्त, मांसपेशी दुर्विकास, थैलेसीमिया, स्किल सैल डिजीज, पार्किंसंस रोग, बौनापन, अल्प दृष्टि, मल्टीपल स्कलेरोसिस, ऑटिज्म, पढ़ने में निशक्तता, पार्किंसंस रोग, रक्त अल्पता, पोलियो ग्रसित, चलन निशक्ता, बौधिक निशक्ता, हीमोफीलिया (रक्त बहना बंद न होना) और बहु निशक्ता पीड़ित को दिव्यांग की सूची में शामिल किया गया है।