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Surya Grahan 2021: सूर्यग्रहण और शनिश्चरी अमावस्या आज, जानिए कुरुक्षेत्र के सन्निहित और ब्रह्मसरोवर में इस दिन स्‍नान का खास महत्‍व

Surya Grahan 2021 4 दिसंबर को सूर्यग्रहण और शनिश्‍चरी अमावस्‍या है। इस दिन कुरुक्षेत्र के सन्निहित सरोवर और ब्रह्मसरोवर में स्‍नान का विशेष महत्‍व होता है। हालांकि इस बार सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई दे रहा है। ऐसे में इसका यहां पर कोई प्रभाव भी नहीं है।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Fri, 03 Dec 2021 12:40 PM (IST)Updated: Sat, 04 Dec 2021 10:05 AM (IST)
Surya Grahan 2021: सूर्यग्रहण और शनिश्चरी अमावस्या आज, जानिए कुरुक्षेत्र के सन्निहित और ब्रह्मसरोवर में इस दिन स्‍नान का खास महत्‍व
कल चार दिसंबर को सूर्य ग्रहण है।

कुरुक्षेत्र, जागरण संवाददाता। Surya Grahan 2021: आज सूर्यग्रहण है। वहीं, शनिश्‍चरी अमावस्‍या भी है। कुरुक्षेत्र धर्मनगरी में शनिवार को अमावस्या पर पवित्र सन्निहित सरोवर और ब्रह्मसरोवर में स्नान होगा। अमावस्या पर पवित्र सरोवरों में स्नान कर श्रद्धालु अपने पित्तरों की शांति के निमित दान और अनुष्ठान करेंगे। इस बार शनिवार को ही अमावस्या होने पर इस दिन दान और स्नान का महत्व और भी बढ़ गया है। हालांकि इस साल का यह अंतिम सूर्य ग्रहण देश में दिखाई नहीं देगा। ऐसे में इस ग्रहण का सूतक भी नहीं लगेगा।

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सूर्य ग्रहण के मौके ही हुआ था श्रीकृष्ण और राधा का आखिरी बाल मिलन

कुरुक्षेत्र में ही सूर्य ग्रहण के मौके पर आखिरी बार भगवान श्रीकृष्ण का यशोदा मैय्या और राधा के साथ आखिरी बार मिलन हुआ था। पंडित ऋषभ वत्स ने बताया कि कुरुक्षेत्र के सन्निहित सरोवर में प्रत्येक अमावस्या के दिन समस्त देवी देवता एकत्रित होते हैं। सूर्य ग्रहण के अवसर पर इस तीर्थ के जल में स्नान करने से सैकड़ों अश्वमेघ यज्ञों के बराबर फल मिलता है। महाभारत की एक कथा में भगवान श्री कृष्ण के मथुरा छोड़ने के बाद अपने माता-पिता (यशोदा और नंद बाबा) व देवी राधा से आखिरी मुलाकात कुरुक्षेत्र के सूर्यग्रहण मेले में ही हुई थी। यही नहीं सभी गोपियों संग भगवान श्रीकृष्ण ने पवित्र ब्रह्मसरोवर में स्नान किया था। इतना ही नहीं सिखों के प्रथम गुरु गुरनानक देव महाराज सन 1499 से 1509 के बीच एक सूर्य ग्रहण के अवसर पर कुरुक्षेत्र में पहुंचे थे। उनके बाद सिखों के तीसरे गुरु अमरदास महाराज सन 1572 ईस्वी और नौंवे गुरु तेगबहादुर सन 1664-65 व 10वें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह महाराज सूर्यग्रहण में धर्मनगरी आए थे।

अमावस्या पर स्नान का है महत्व

कुरुक्षेत्र में सन्निहित सरोवर, ब्रह्मसरोवर और पिहोवा में सरस्वती तीर्थ सहित कुरुक्षेत्र भूमि में 48 कोस की परिक्रमा में आने वाले कई तीर्थों पर श्रद्धालु स्नान करते हैं। इनमें से सबसे ज्यादा महत्व कुरुक्षेत्र के सन्निहित सरोवर स्नान का माना जाता है। बताया जाता है कि सन्निहित सरोवर में अमावस्या के दिन सभी देवी-देवताओं का वास होता है। इस सरोवर में स्नान करने से सैकड़ों अश्वमेघ यज्ञों इतना पुण्य मिलता है। स्नान के बाद अपने पित्तरों के निमित धार्मिक अनुष्ठान करने और दान पुण्य करने का भी कई गुणा फल मिलता है। अमावस्या पर अल सुबह ही महिलाएं सरोवरोें में स्नान के लिए पहुंचने लगती हैं।

ग्रहण का नियम जहां दिखाई देता है वहीं होता है प्रभाव

धार्मिक अनुसंधान केंद्र के संचालक ऋषभ वत्स ने बताया कि इस साल का अंतिम सूर्य ग्रहण शनिवार को लग रहा है। यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, ऐसे में कुरुक्षेत्र में ग्रहण का सूतक भी नहीं लगेगा। उन्होंने बताया कि ग्रहण का नियम है जहां दिखाई देता है वहीं पर उसका प्रभाव होता है। अमावस्या पर कुरुक्षेत्र के सरोवरों में स्नान का बहुत महत्व है। इस दिन स्नान और दान करने से श्रद्धालुओं को कई गुना फल मिलता है।

भारत में नहीं दिखेगा सूर्य ग्रहण

साल का आखिरी सूर्य ग्रहण शनिवार को है। इस दिन शनिश्चरी अमावस्या भी है। सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। भारत में इसका असर भी नहीं मिलेगा। भारत में इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। यह सूर्य ग्रहण अंटार्कटिका, दक्षिण अफ्रीका, आस्ट्रेलिया और दक्षिण अमेरिका में दिखाई देगा।


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