अब अंधेरे का नहीं इंतजार, क्योंकि घर-घर में है इज्जतघर
लोग नहर की पटरी या जोहड़ के किनारे शौच के लिए जाते थे। महिलाओं को शौचालय नहीं होने से परेशानी होती थी। एक महिला लेकर आई बदलाव। घर घर बने शौचालय।
पानीपत/करनाल, जेएनएन। अभी दो साल पहले की ही बात है। करनाल के कटाबाग गांव में बहुत से घरों में शौचालय नहीं थे। लोग नहर की पटरी या जोहड़ के किनारे शौच के लिए जाते थे। महिलाओं को शौचालय नहीं होने से परेशानी होती थी। मेहमान आ जाए तो उसे यह कहते हुए लज्जा आती थी कि घर में शौचालय नहीं है, इसलिए बाहर जाना होगा। यहां की सुनीता ने उधार पर पैसे लेकर घर में शौचालय बनवाया और इसके बाद एक-एक करके गांव में 79 घरों में शौचालय बनवाने में अहम भूमिका निभाई।
महिलाओं के साथ बातचीत की तो शौचालय बनवाने को हुई तैयार
स्वच्छ भारत मिशन अर्बन के मोटीवेटर नाहर सिंह कटारिया व नेहा निगम ने क्षेत्र का दौरा किया तो पता चला कि यहां सबसे पहले खुले में शौच से मुक्त बनाने की दरकार है। उन्होंने सुनीता को एक उदाहरण के तौर पर लोगों के सामने रखा। सुनीता भी उनके साथ-साथ लोगों से बातचीत करने के लिए जाती। लोगों को बताया गया कि शौचालय बनवाने के लिए सरकार की ओर से भी 14 हजार रुपये दिए जाएंगे। महिलाओं ने यह बात अपने परिजनों को बताई। परिजनों को समझाया कि सरकारी योजना से शौचालय बनवाने की राशि भी मिल जाएगी और उन्हें इस गलत प्रथा से मुक्ति भी। क्योंकि सबसे ज्यादा दिक्कत महिलाओं के सामने थी। परिजनों को भी यह बात खरी लगी कि वह तो दिन में घर से बाहर चले जाते और शौचायल नहीं होने से सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं को होती है। लिहाज सुनीता की बातों पर गौर करते हुए एक के बाद एक करके गांव में एक साल के अंदर ही 79 शौचालय बन गए। अब यह क्षेत्र पूरी तरह से खुले में शौच मुक्त हो चुका है।
स्वच्छ भारत मिशन से मिली सीख से बदला जीवन
सुनीता सुनीता का कहना है कि स्वच्छ भारत मिशन ने सही मायने में जीवन को बदल दिया। पहले घर में शौचालय नहीं होने से परेशानी का सामना करना पड़ता था। घर की आर्थिक स्थिति खराब होने से वह शौचालय बनवाने के बारे में सोचते भी नहीं थे। लेकिन जब मिशन के मोटीवेटर नाहर ¨सह कटारिया ने शौचालय बनवाने पर जोर दिया था तो ब्याज पर पैसे लेकर शौचालय बनवाया। इसे देखकर दूसरी महिलाएं भी प्रेरित हुई।
शहर में बने है 5600 शौचालय
मोटीवेटर नाहर सिंह कटारिया ने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत शहर में करीब 5600 शौचालय बन चुके हैं। कटाबाग की स्थिति देखकर उन्होंने लोगों से बातचीत की और शौचालय नहीं होने के नुकसान बताए। सकारात्मक बात यह रही कि सुनीता ने जब शौचालय बनवाया तो उन्हें देखकर अन्य लोगों ने भी यह काम किया।