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आढ़तियों की हड़ताल, बेबस किसान

जागरण संवाददाता पानीपत अनाजमंडी में आढ़ती हड़ताल पर रहे। इस हड़ताल ने किसानों को बे

By JagranEdited By: Published: Fri, 09 Apr 2021 09:27 AM (IST)Updated: Fri, 09 Apr 2021 09:27 AM (IST)
आढ़तियों की हड़ताल, बेबस किसान
आढ़तियों की हड़ताल, बेबस किसान

जागरण संवाददाता, पानीपत : अनाजमंडी में आढ़ती हड़ताल पर रहे। इस हड़ताल ने किसानों को बेबस कर दिया है। खरीद करने आई एजेंसी के अधिकारियों को बैरंग लौटना पड़ा। मंडी में किसान अपनी फसल लेकर आए, लेकिन खरीद न होने के कारण उन्हें मंडी में ही रुकना पड़ा। हालांकि किसानों तक आढ़तियों ने संदेश पहुंचा दिया था कि जब तक वे न कहें, फसल लेकर नहीं आए। आढ़तियों ने ढेरियों की सफाई करवाई। गीला गेहूं सुखाया गया। मंडी में आढ़तियों की हड़ताल के बावजूद वीरवार के जिले की तीन मंडियों व परचेज सेंटर पर 17000 क्विटंल गेहूं की आवक हुई। पिछले एक सप्ताह में 94492 क्विटंल की खरीद हो चुकी है।

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धान के सीजन की मजदूरी नहीं मिली

मंडी एसोसिएशन के प्रधान धर्मवीर मलिक ने कहा कि 1.80 रुपये के हिसाब से आढ़तियों को अभी तक धान के सीजन की मजदूरी नहीं मिली है। भुगतान में ब्याज का पैसा भी नहीं मिला। किसानों के खाते में भी यह राशि नहीं आई। आढ़तियों को भी नहीं मिली। पानीपत की करीब 15 लाख रुपये ब्याज राशि अटकी है।

ये हैं मांगें

1- इसराना मार्केट कमेटी के वाइस चेयरमैन वेद गोयल ने कहा कि किसानों को उनके खाते में जबरदस्ती पेमेंट न दी जाए।

2. इस सीजन में जे फार्म की लेबर जे फार्म में से काटी जाए।

3.खरीफ फसल 2020 का भुगतान जिस भी गलत खाते में गया है, उसकी रिकवरी सरकार द्वारा की जाए।

4.जिन लोगों का धान का मैनुअल गेट पास कट गया था, जिसकी पेमेंट अभी बकाया है, उसके लिए पोर्टल पर शिकायत का विकल्प दिया जाए।

5. आवक के हिसाब से खरीद होनी चाहिए।

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पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा ने किया मंडियों का दौरा

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अनाज मंडी का दौरा किया। किसानों, मजदूरों और आढ़तियों से बातचीत की। हुड्डा ने कहा कि उन्हें प्रदेशभर से किसानों की शिकायतें मिल रही थीं। 1 अप्रैल से खरीद का एलान करने के बावजूद सरकार ने मंडियों में उचित व्यवस्था नहीं की। कई जगहों पर फसल लेकर मंडी में पहुंच रहे किसानों को नमी, रजिस्ट्रेशन और सर्वर डाउन का बहाना बनाकर परेशान किया जा रहा है। खरीद शुरू होने के 8 दिन बाद भी न तो गेहूं की उचित खरीद हो रही है, ना ही उठान की कोई व्यवस्था है और ना ही किसानों की पेमेंट हुई है। सरकार की तरफ से दावा किया जा रहा था कि 72 घंटे के अंदर किसान को भुगतान कर दिया जाएगा। सरकार को न सिर्फ खरीद, उठान और भुगतान में तेजी लानी चाहिए, बल्कि अपने वादे के मुताबिक भुगतान में देरी पर किसानों को ब्याज भी देना चाहिए। उन्होंने कहा कि गेहूं में नमी की मानक सीमा को 14 से घटाकर 12 फीसद करने और प्रति क्विटल मानक मिश्रण की मात्रा 0.75 फीसद से घटाकर 0.50 फीसद करना गलत है। इससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ेगा। इसलिए सरकार को तुरंत इस फैसले को वापिस लेना चाहिए।

भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि अभी आवक शुरू हुई। व्यवस्था न होने से मंडिया जाम हो गई हैं। आने वाले समय आवक जोर पकड़ेगी, तब क्या होगा। सरकार अपना वादा पूरा करे। किसान धर्मपाल ने कहा कि नमी के नाम पर उनकी फसल नहीं ली गई। वह दो दिन से मंडी में अपनी फसल लेकर आए हैं।

टोल पर भी पहुंचे हुड्डा

भूपेंद्र सिंह हुड्डा एकबार फिर पानीपत टोल पर धरनारत किसानों के बीच पहुंचे। उन्होंने दोहराया कि किसान इस आंदोलन का नेता है और वो उसके संघर्ष में हमेशा साथ खड़े रहेंगे। सरकार ने डीएपी खाद का रेट बढ़ा दिया है। पहले से पेट्रोल-डीजल के रेट में बेतहाशा बढ़ोतरी झेल रहे किसान की लागत कई हजार रुपये बढ़ना तय है। सरकार किसान से खाद, बीज, बिजली, दवाई, पेट्रोल-डीजल और कृषि यंत्रों पर जीएसटी के नाम पर मोटी वसूली कर रही है।

न सचिव मिला, न नमी जांचने का यंत्र

भूपेंद्र हुड्डा के मंडी दौरे के दौरान मार्केट कमेटी सचिव मौके पर नहीं पहुंचे। किसानों की शिकायत सुनते हुए उन्होंने मार्केट कमेटी सचिव के बारे में पूछा तो बताया कि सचिव नहीं आए। नमी जानने यंत्र नमी जांचने के लिए कहा तो यंत्र नहीं मिला। मंडी प्रधान धर्मवीर ने कहा कि हड़ताल है इसी लिए मशीन की व्यवस्था नहीं है।

उत्तर प्रदेश से गेहूं की आवक

पिछले चार दिनों में ही मंडियां हांफने लगी हैं। मंडी में लाखों कट्टे भरे हुए लदान के इंतजार में हैं। ढेरियां बोली का इंतजार कर रही हैं। इतना अधिक गेहूं चार-पांच दिन में आने के में आढ़तियों ने दबी जुबान में बताया कि यूपी से 1700 क्विटल में गेहूं लाकर खेतों से ट्रैक्टर ट्राली में मंडियों में ला रहे हैं। यहां एमएसपी रेट 1925 है।

सरसों का भाव खुले बाजार में एमएसपी से ज्यादा

सरसों का समर्थन मूल्य 4650 रुपये है। बाजार में भाव 5200 से अधिक है। इसीलिए मंडियों के स्थान पर सरसों खुले बाजार में बिक रही है। अभी तक 1800 क्विटल सरसों की खरीद की गई।


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