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अजब-गजब, हरियाणा पुलिस को करवानी पड़ी बकरी की डीएनए जांच, हर कोई हैरान

करनाल से एक अजब-गजब मामला सामने आया है। जहां एक केस की जांच के लिए पुलिस को बकरी की मेडिकल व डीएनए जांच करवानी पड़ी। मामला कुंजपुरा थाने का है। बकरी को चोट मारकर गर्भ गिराने का था आरोप।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Wed, 04 May 2022 02:56 PM (IST)Updated: Wed, 04 May 2022 02:56 PM (IST)
अजब-गजब, हरियाणा पुलिस को करवानी पड़ी बकरी की डीएनए जांच, हर कोई हैरान
बकरी को चोट मारकर गर्भ गिराने का था आरोप।

कुंजपुरा (करनाल), संवाद सहयोगी। पशु क्रूरता के आरोप में दर्ज एक मुकदमे की जांच में पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी। पुलिस के लिए इस लिहाज से यह काफी अलग अनुभव रहा कि यहां उसे किसी इंसान की नहीं, बल्कि डीएनए जांच के लिए एक बकरी के खून के नमूने लेने पड़े। इसके बाद बकरी की न केवल मेडिकल जांच की गई बल्कि एक महिला पुलिसकर्मी की ड्यूटी भी लगाई गई कि वह बकरी के भ्रूण को जांच पूरी होने तक अपने कब्जे में सुरक्षित रखे। करीब दस दिन तक यह प्रक्रिया चली। अब पुलिस अदालत में अपनी जांच रिपोर्ट दाखिल करेगी।

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यह मामला कुंजपुरा थाना क्षेत्र के गांव कुंडा कलां का है। बीती 23 अप्रैल को दर्ज कराए गए मुकदमे में गांव के एक व्यक्ति ने आरोप लगाया था कि कुंडा के ही एक व्यक्ति ने अपने खेत में घुसने की बात कहते हुए उसकी गर्भवती बकरी के पेट पर डंडा मार दिया। चोट लगने से बकरी का चार-पांच माह का भ्रूण गिर गया। वहीं, आरोपित का कहना था कि अन्य किसी वजह से बकरी का भ्रूण गिरा है। उस पर लगाया गया आरोप बेबुनियाद है। पुलिस ने पशु क्रूरता अधिनियम की धाराओं में केस दर्ज कर मामले की जांच महिला एएसआइ सुदेश कुमारी को सौंप दी। जांच अधिकारी सुदेश ने उचानी स्थित पशु अस्पताल में बकरी और भ्रूण का डीएनए टेस्ट व मेडिकल जांच कराई। 

क्यों लिए गए ब्लड सैंपल

पुलिस के अनुसार बकरी की मेडिकल जांच के साथ ब्लड सैंपल इसलिए लिए गए ताकि यह पुष्टि हो सके कि भ्रूण गिरने का वास्तविक कारण क्या है। यदि वास्तव में उसे चोट पहुंचाई गई तो इसका आंतरिक रूप से भ्रूण पर किस प्रकार का प्रभाव पड़ा। पुलिस चाहती थी कि यदि चोट की पुष्टि हो जाती है तो फिर डीएनए जांच के जरिए यह पता लगाया जा सके कि भ्रूण चोटिल बकरी का ही था या किसी अन्य मवेशी का। वहीं, एफआइआर दर्ज करने के बाद जांच अधिकारी एएसआइ सुदेश कुमारी ने भ्रूण को कब्जे में लेने के साथ सप्ताह भर तक उसे संभाल कर भी रखा।

पहले भी कुंजपुरा थाने में रखनी पड़ी थी बकरी और भैैंस

कुंजपुरा थाने में इस तरह का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले एक प्रकरण में लुटेरों ने एक बकरी को उसके मालिक से छीन लिया और उसे कुंजपुरा के ही एक मीट विक्रेता के पास बेच आए थे। इसके बाद बकरी मालिक मौके पर पहुंचा और अपनी बकरी को पहचानकर साथ ले जाने लगा तो हंगामा हो गया। आखिरकार पुलिस बकरी को थाने ले गई थी और जांच के दौरान दिनभर बकरी को थाने में ही रखना पड़ा था। वहीं एक अन्य मामले में खेत में भैंस घुसने पर खेत स्वामी ने पुलिस से शिकायत करते हुए कहा था कि यह उसकी भैंस नहीं है। इसके बाद पुलिस इस भैंस को थाने ले आई और उसके असली मालिक की तलाश की। जब तक ऐसा नहीं हुआ, तब तक भैंस को भी थाने में ही रखना पड़ा था।


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