62 साल में भी जबरदस्त जोश, जन्मदिन पर 12 बजते ही दौडऩे निकले, 7.32 घंटे में 62 किमी नापे
पानीपत के रहने वाले एडवोकेट जसमेर सिंह हार्ट की दिक्कत दूर करने के लिए सैर को मैराथन में बदला। दौड़ से 28 किलो वजन घटाया। जनवरी से रोटी नहीं खाई फल ड्राइफ्रूट जूस दूध घी खाते।
पानीपत, [कपिल पूनिया]। आपने जन्मदिन पर केक काटकर जश्न मनाने, पार्टी करके खुशी मनाने के बारे में देखा, सुना होगा। यहां 62 वर्ष के एडवोकेट जसमेर सिंह संधु ने जन्मदिन को हर दिन स्वस्थदिन मनाने की ठान कर रात 12 बजते ही दौड़ लगानी शुरू कर दी। जसमेर सिंह ने सात घंटे 32 मिनट में 62 किलोमीटर की दूरी तय की। अपने प्रत्येक जन्मदिन पर एक किलोमीटर दूरी भी बढ़ाते जाएंगे।
25 अगस्त को जसमेर सिंह का जन्मदिन होता है। इस जन्मदिन से उन्होंने उम्र के बराबर किलोमीटर दौडऩे का लक्ष्य रखा। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए उन्होंने सोमवार रात 12 बजे से दौड़ शुरू की। बिना रूके सुबह 7:32 बजे तक 62 किलोमीटर की दूरी तय कर ली। अब वह 63 वर्ष के होने तक रोजाना 62 किलोमीटर दौड़ेंगे। 63 वर्ष के होने पर 63 किलोमीटर का लक्ष्य शुरू होगा।
जयपुर मैराथन में मिला दूसरा स्थान
पेशे से वकील जसमेर बीते 10 वर्षों से सभी मैराथन और हॉफ मैराथन में भाग ले रहे हैं। सबसे पहले उन्होंने वर्ष 2010 में दिल्ली में आयोजित हाफ मैराथन में हिस्सा लेकर 21.097 किलोमीटर की दूरी दो घंटे 48 मिनट में तय की थी। उसके बाद समय घटता गया और जयपुर में आयोजित मैराथन के 56 से 65 आयु वर्ग में हिस्सा लेकर 42.195 किलोमीटर की दूरी 4 घंटे 12 मिनट में तय करके दूसरा स्थान हासिल किया। स्वामी विवेकानंद जयंती पर पानीपत जिला प्रशासन की ओर से आयोजित मैराथन में उन्होंने पहला स्थान प्राप्त किया था।
ऐसे शुरू हुआ वॉक से मैराथन का सफर
वर्ष 2010 में जसमेर सिंह अपनी बेटी के चेकअप के लिए दिल्ली एम्स में थे। वहां अचानक पसीने से कपड़े भीग गए। चेकअप कराया तो डाक्टरों ने हार्ट प्रॉब्लम बताई। नियमित दवाओं के साथ साधा खानपान की सलाह दी। खानपान बदलकर जसमेर सिंह ने सुबह-सुबह वॉक करना शुरू किया। रोजाना अभ्यास से वजन घटने के साथ स्टेमिना बढ़ता गया। तब उनका वजन 86 किलोग्राम था। अब वह बिना रुके साढ़े सात घंटे दौड़ते हैं और वजन 58 किलोग्राम रह गया है।
शरीर को रोजाना दें एक घंटा
जसमेर सिंह का कहना है कि रोजाना अपने शरीर को कम से कम एक घंटा जरूर दें। उन्होंने जनवरी माह से रोटी नहीं खाई है। शुद्ध शाकाहारी होने के साथ फल, ड्राइफ्रूट, जूस, दूध, घी और लस्सी लेते हैं। सही खानपान और नियमित अभ्यास के कारण उम्र बढऩे के साथ वह जवान हो चुके हैं। परिवार में मां शांति देवी, पत्नी रिटायर्ड शिक्षिका शकुंतला देवी, बेटा जगदीप सिंह संधू और दो बेटियां हैं। बेटा पॉली हाउस चला रहे हैं। एक पोता है सवा साल का। बेटियों की शादी हो गई है। कभी-कभी बेटा भी उनके साथ दौड़ता है।
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