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कभी खुद थे बेरोजगार, अब दोस्त संग मिल युवाओं को दे रहे रोजगार

नरेंद्र सेठी ने वर्ष 1989-90 के दशक में बेरोजगारी के चलते रोजगार की तलाश कर रहे थे। जब रोजगार नहीं मिला तो बालन कटर मशीन से शुरुआत की थी। आज दो प्लाइवुड चला रहे हैं।

By Ravi DhawanEdited By: Published: Sun, 03 Feb 2019 02:08 PM (IST)Updated: Mon, 04 Feb 2019 10:50 AM (IST)
कभी खुद थे बेरोजगार, अब दोस्त संग मिल युवाओं को दे रहे रोजगार
कभी खुद थे बेरोजगार, अब दोस्त संग मिल युवाओं को दे रहे रोजगार

पानीपत/यमुनानगर, [नितिन शर्मा]। जीवन में कौन सफल नहीं होना चाहता। इसके लिए हर कोई हाथ-पैर मारता है, मगर सफलता हर किसी की झोली में यूं ही नहीं आ जाती। कामयाबी का स्वाद चखने के लिए पहले खुद संघर्ष की आग में तपना पड़ता है। मुश्किल से मुश्किल हालात में भी हिम्मत न हारने वाले लोग ही आगे बढ़ते हैं। ऐसी ही शख्सियत के मालिक हैं रादौर निवासी नरेंद्र सेठी। संघर्ष कर जीवन में आगे बढऩे की ललक शुरू से इनमें है। यही कारण है कि आज खुद सक्षम हैं। सेठी अब बेरोजगारों को रोजगार देने का काम बखूबी कर रहे हैं।

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वर्ष 1989-90 दशक की बात है जब नरेंद्र खुद बेरोजगार थे और रोजगार तलाश रहे थे। जब कहीं बात नहीं बनी तो खुद का व्यापार शुरू करने का फैसला लिया है। राह आसान नहीं थी। मंजिल पाने के लिए दिन-रात एक किया। अपने खास दोस्त के साथ बालन कटर की मशीन रादौर में लगाई। यहां से शुरू हुआ सफलता का दौर जो आज भी जारी है। सेठी ने 1990 में अपने दोस्त संजय अग्रवाल के साथ रादौरी रोड पर बालन कट्टर की मशीन लगाकर व्यवसाय शुरू किया। इसके बाद उन्हें पीछे मुड़कर देखने की जरूरत नहीं हुई। यह कड़ी मेहनत का ही परिणाम है कि आज इनका नाम बड़े उद्योगपतियों में शुमार है। इनकी दो बड़ी प्लाइवुड फैक्ट्रियां हैं। लगभग छह करोड़ का टर्नओवर है। कुछ हजार से शुरू किए कारोबार को नरेंद्र सेठी ने आज करोडों तक पहुंचा दिया। जो क्षेत्र में एक मिसाल बने हैं। 

वर्ष 1994 में आगे बढ़ाए कदम
नरेंद्र सेठी ने बताते हैं कि दोस्त संजय अग्रवाल के साथ बालन कटर की मशीन लगाई थी। उन्होंने 1994 में अपने काम को बढाते हुए वहीं पर आरा मशीन लगाई। जिसमें उसके दोस्त व पार्टनर संजय अग्रवाल ने पुरा सहयोग किया। 1998 में उसने अपने दोस्त के साथ मिलकर रादौरी रोड पर जाट नगर में प्लाईवुड की फैक्ट्री लगाई। उसके बाद उसने 2011 में शहर के बकाना रोड पर दूसरी प्लाईवुड की फैक्ट्री लगाई। उसके बाद उसने रादौरी रोड की फैक्ट्री को बंद करके अकेले अपने दम पर 2018 में गांव रपडी में बडी प्लाईवुड फैक्ट्री लगाई। 

 narendra

नरेंद्र।

दो फैक्ट्रियों के मालिक
आज वह 2 फैक्ट्रियों के मालिक हैं। उनकी रपडी में स्थित प्लाईवुड फैक्ट्री को पर्यावरण विभाग की ओर से आइएसओ 14001 सर्टिफिकेट मिला है। जिले में बहुत कम प्लाइवुड की ऐसी फैक्ट्रियां है, जिन्हें यह सटफिकेट मिला हो। उनकी प्लाइवुड फैक्ट्री में पर्यावरण के लिए विशेष रूप से पेड़-पौधे लगाए हैं। वहीं, फैक्ट्री में साफ-सफाई के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। 

पिता से मिली प्रेरणा
वे इस मुकाम का श्रेय अपने पिता मास्टर गणेश दत्त को देते हैं। जिनकी प्रेरणा से उन्होंने जीवन में साल दर साल तरक्की के मुकाम हासिल किए हैं। आज उनकी प्लाइवुड फैक्ट्री में बना सामान महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, हिमाचल, बिहार तक सप्लाई हो रहा है। उन्होंने बताया कि इंसान यदि मेहनत और निष्ठा से काम करें तो वह अपनी मंजिल को प्राप्त कर सकता है। इसके लिए उसे कड़ी मेहनत करनी हेागी। कड़ी मेहनत ही सफलता की पूंजी होती है।


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