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सरपंच से शुरू किया राजनीति करियर, 19 साल संघर्ष कर बने विधायक

आरक्षित विधानसभा सीट इसराना से कांग्रेस के नव निर्वाचित विधायक बलबीर वाल्मीकि ने सरपंच के चुनाव से राजनीति में कदम रखा था। इसके बाद मुड़कर नहीं देखा। विधानसभा चुनाव में दो बार हार मिलने के बावजूद भी वो मैदान में डटे रहे। तीसरी बार इनेलो से दलबदल कर भाजपा में आए धुरंधर नेता कृष्ण लाल पंवार को शिकस्त देने में कामयाब हुए। ग्राउंड लेवल पर काम कर जनसमस्याओं का निवारण करना उनकी प्राथमिकता है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 26 Oct 2019 09:01 AM (IST)Updated: Sun, 27 Oct 2019 06:36 AM (IST)
सरपंच से शुरू किया राजनीति करियर, 19 साल संघर्ष कर बने विधायक
सरपंच से शुरू किया राजनीति करियर, 19 साल संघर्ष कर बने विधायक

महीपाल जोगी, इसराना

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आरक्षित विधानसभा सीट इसराना से कांग्रेस के नव निर्वाचित विधायक बलबीर वाल्मीकि ने सरपंच के चुनाव से राजनीति में कदम रखा था। इसके बाद मुड़कर नहीं देखा। विधानसभा चुनाव में दो बार हार मिलने के बावजूद भी वो मैदान में डटे रहे। तीसरी बार इनेलो से दलबदल कर भाजपा में आए धुरंधर नेता कृष्ण लाल पंवार को शिकस्त देने में कामयाब हुए। ग्राउंड लेवल पर काम कर जनसमस्याओं का निवारण करना उनकी प्राथमिकता है। मां से मिली प्रेरणा

नव निर्वाचित विधायक ने दैनिक जागरण से खास बातचीत में बताया कि राजनीति में आने की प्रेरणा उन्हें अपनी मां से मिली। गवालड़ा में 1995 से 2000 के बीच मां सरपंच रही। मां के सरपंच रहते उनका राजनीति के प्रति लगाव बढ़ा। वर्ष 2000 में सामान्य वर्ग में सरपंची होने के बावजूद भी चुनाव में ताल ठोक दी। 38 वोट से हार मिली, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। 2005 में फिर मैदान में उतरे और 235 वोट से जीतकर न केवल सरपंच, बल्कि इसराना ब्लॉक सरपंच एसोसिएशन के प्रधान तक भी बने। सांसद अरविद शर्मा और दीपेंद्र हुड्डा के संपर्क में आए तो राजनीति में कदम बढ़ते चले गए। 2009 और 2014 में हार के बाद वाल्मीकि तीसरी बार चौका लगाने में कामयाब हो गए। दसवीं पास हैं विधायक

इसराना के नव निर्वाचित विधायक बलबीर वाल्मीकि दसवीं पास हैं। उन्हें कम पढ़ा लिखा होने के बावजूद भी सामाजिक और राजनीतिक अनुभव बहुत ज्यादा है। 19 साल के संघर्ष में वो मुकाम तक पहुंचने में कामयाब हो गए। ऐसा चलता है परिवार

नव निर्वाचित विधायक का कोई बड़ा कारोबार नहीं है। उनके परिवार का गुजारा पशुपालन और खेती पर ही निर्भर है। परिवार में पत्नी के अलावा एक बेटा और चार बेटियां है। ये हैं प्राथमिकता

सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन के साथ बिजली और पानी की समस्याओं को प्राथमिकता दूर कराएंगे।

बेरोजगार युवाओं को प्राइवेट उद्योगों में रोजगार दिलाया जाएगा।

बेटियों की शिक्षा और सुरक्षा के लिए भी विशेष योजना तैयार किया जाएगा।

आपराधिक घटनाओं को रोकने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगवाएंगे।

जन समस्याओं के निवारण के लिए इसराना विश्राम गृह में खुला दरबार का आयोजन किया जाएगा।


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