अभी से शुरू कर दें टोक्यो की तैयारी : आंतिल
विजय गाहल्याण, पानीपत : रियो ओलंपिक में देश को पदकों की उम्मीद ज्यादा थी। अभिनव बिंद्रा, गगन नारं
विजय गाहल्याण, पानीपत : रियो ओलंपिक में देश को पदकों की उम्मीद ज्यादा थी। अभिनव बिंद्रा, गगन नारंग, योगेश्वर, सानिया नेहवाल बड़े खिलाड़ी भी थे लेकिन उनसे निराशा ही हाथ लगी। इसकी वजह देश की खेल नीति में खामी होना भी है। अलग-अलग प्रदेशों में खेल नीति अलग होने से खिलाड़ियों की तैयारी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। अब पुरानी कड़वी यादों को भुलाकर आने वाले टोक्यो ओलंपिक की तैयारी में जुट जाना चाहिए। इसके लिए देश की एक ही खेल नीति बननी चाहिए। इसमें पारदर्शिता बरती जाए, तभी पदकों के रंग भी बदलेंगे और संख्या भी बढ़ेगी।
ये बातें सोमवार को सेक्टर-19 पार्ट-2 स्थित दैनिक जागरण कार्यालय में आयोजित जागरण विमर्श कार्यक्रम में बतौर एक्सपर्ट पूर्व अंतरराष्ट्रीय कुश्ती कोच प्रेम सिंह आंतिल ने कही। उन्होंने कहा कि अमेरिका और चीन में आगामी ओलंपिक की तैयारी रियो के खत्म होते ही शुरू कर दी गई है। वहां पर चार से आठ साल के बच्चे को भी खेलों के गुर सिखाए जाते हैं।
उन्होंने कहा कि जब वह किशोर अवस्था में होता है, तभी माहिर हो जाता है। इसी वजह से वहां के खिलाड़ी ज्यादा पदक जीतते हैं। इसके अलावा देश की टीम में चुने जाने से पहले खिलाड़ियों का पांच से छह नहीं बल्कि 100 खिलाडि़यों से मुकाबला होता है। तभी उनमें से बेहतर खिलाड़ी निकलते हैं, जबकि इंडिया में प्रत्येक वर्ग के पहलवान के विरोधी चार से पांच होते हैं। दूसरा ओलंपिक से दो साल पहले खिलाड़ियों पर ध्यान दिया जाता है। इसी कारण से हमारे खिलाड़ी पिछड़ जाते हैं।
खिलाडि़यों को मैट तक नहीं मिलते
कोच ने अपना उदाहरण देते हुए बताया कि सेवानिवृत्त होने के बाद शिवाजी स्टेडियम में निशुल्क कुश्ती की ट्रेनिंग शुरू की लेकिन सरकारी मैट नहीं था। मैट के लिए हर बड़े खेल अधिकारी से संपर्क किया गया। कोई सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद उन्होंने व खिलाड़ियों ने पैसे इकट्ठे करके मैट की व्यवस्था की। ऐसे ही हालात प्रदेश और देशभर के विभिन्न स्टेडियम के हैं। खिलाड़ी इसी कारण से सफल नहीं हो पाते हैं।
राजनेता की वजह से खेलों का भट्ठा बैठा
भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) सोनीपत से मुख्य कबड्डी प्रशिक्षक पद से सेवानिवृत्त बलवान सिंह दहिया ने कहा कि देश में जितने भी खेल संगठन हैं, उनके ज्यादातर बड़े पदाधिकारी राजनेता हैं। उन्हें खेल के बारे में जानकारी नहीं है। वे अपने चहेते अयोग्य कोचों को नियुक्त करते हैं। इसी कारण से खिलाड़ी बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं। राजनेताओं की वजह से खेलों का भट्ठा बैठ चुका है।
नरसिंह प्रकरण दुभाग्यपूर्ण: कोच दहिया ने कहा कि वह सोनीपत साई सेंटर में कई साल रहे हैं। यहां पहले किसी बाहरी व्यक्ति एंट्री नहीं हो पाती थी। खिलाडि़यों को खाना भी चेक करके दिया जाता था।
पहलवान नरसिंह के साथ साजिश दुर्भाग्यपूर्ण है। इसमें लापरवाही हुई है। भविष्य में ऐसी घटना किसी अन्य खिलाड़ी के साथ न घटे, इसके लिए खेल मंत्रालय ने गंभीरता से विचार विर्मश करना चाहिए।
ये दिए सुझाव: कुश्ती कोच आंतिल ने कहा कि क्रिकेट के मोहपाश से देश नहीं निकल पा रहा है। इसी वजह से अन्य खेलों की उपेक्षा हो रही हैं। क्रिकेट के साथ-साथ अन्य खेलों पर भी सरकार ने ध्यान देना होगा। तभी योग्य खिलाड़ी निकलेंगे और पदक भी मिलेंगे।
पड़ोसी देश चीन से लें सीख
कोच आंतिल ने कहा कि पड़ोसी देश चीन हमारा विरोधी है लेकिन खेल नीति में उससे सीख लेने की जरूरत है। यहां पर भी चार से आठ साल के बच्चों को को उनके मनपसंद खेल में तैयार किया जाए। उनकी खुराक का ध्यान रखा जाए।
खेलों में पिछड़ने के मुख्य कारण
-देश की खेल नीति सही नहीं है।
-सिफारिश से अयोग्य कोच लगा दिए जाते हैं।
-स्टार खिलाड़ी कैंप में कुछ दिन के लिए आते हैं। अन्य खिलाड़ियों के साथ भेदभाव होता है।
-टीम चयन में धांधली होती है।
-ट्रेनिंग के लिए संसाधन की कमी है।
-स्टेडियम में खेल के मैदान बदहाल हैं। कोच की कमी है।
ऐसे होगा खेलों का भला
-कोचों की जिम्मेदारी तय हो। अयोग्य कोच पर कार्रवाई। योग्य को पुरस्कार मिले।
-कोचों को नई तकनीक से अवगत कराया जाए। उन्हीं के हिसाब से खिलाड़ी तैयार हों।
-खेलों को निजी कंपनी अपनाएं।
-खिलाड़ियों को रोजगार की गारंटी मिले।
-एक खिलाड़ी के 100 से ज्यादा विरोधी खिलाड़ी हों।
संक्षिप्त परिचय
नाम: प्रेम सिंह आंतिल, साई से सेवानिवृत्त अंतरराष्ट्रीय कुश्ती कोच।
-मध्यप्रदेश, राजस्थान, बिहार और हरियाणा के विभिन्न जिलों में दो दर्ज अंतरराष्ट्रीय पहलवान दे चुके हैं।
-छह साल से शिवाजी स्टेडियम में निशुल्क कुश्ती ट्रेनिंग दे रहे हैं।
संक्षिप्त परिचय
नाम: बलवान सिंह दहिया, साई से सेवानिवृत्त मुख्य कबड्डी कोच।
-देश के लिए 16 अंतरराष्ट्रीय कबड्डी खिलाड़ी तैयार किए।
-प्रो. कबड्डी लीग में दिल्ली दबंग के कोच रहे।