आसमान में चमके ग्रामीण अंचल के सितारे
सीबीएसई दसवीं के नतीजों ने यह साबित कर दिया है कि ग्रामीण अंचल में प्रतिभा की कमी नहीं है। कस्बे की बात करें तो ज्यादातर स्कूलों में टॉप पर आने वाले विद्यार्थी ग्रामीण क्षेत्र से हैं। उन्होंने कामयाबी के लिए कभी ट्यूशन का सहारा नहीं लिया।
जागरण संवाददाता, समालखा : सीबीएसई दसवीं के नतीजों ने यह साबित कर दिया है कि ग्रामीण अंचल में प्रतिभा की कमी नहीं है। कस्बे की बात करें तो ज्यादातर स्कूलों में टॉप पर आने वाले विद्यार्थी ग्रामीण क्षेत्र से हैं। उन्होंने कामयाबी के लिए कभी ट्यूशन का सहारा नहीं लिया। वो शानदार अंक लेकर पास हुए। आज स्कूल प्रबंधन के साथ-साथ अभिभावकों को भी उनके ऊपर नाज है।
टीचर की बेटी ने चमकाया नाम
पुठर गांव की रहने वाली चुलकाना रोड स्थित डीएवी सेंटेनरी पब्लिक स्कूल की अध्यापिका आशा वत्स की बेटी शालिनी 97.8 अंक लेकर उर्त्तीण हुई है। शालिनी का कहना है कि उसे इतने अंक आने की पूरी उम्मीद थी। उसने ट्यूशन के बजाय घर पर पढ़ने को प्राथमिकता दी। मां के अध्यापक होने का भी फायदा मिला। उसका सपना आइएएस बनने का है।
अध्यापक के बेटे ने मारी बाजी
डीएवी सेंटेनरी पब्लिक स्कूल में पढ़ने वाले मनाना के छात्र ध्रुव राठी ने 97.6 अंक हासिल किए हैं। पिता उसी स्कूल में तो माता नौल्था स्थित राजकीय स्कूल में अध्यापक है। इसका उसे लाभ मिला। ध्रुव ने बताया कि उसने सिर्फ विज्ञान व गणित में ट्यूशन का सहारा लिया। वह एनडीए पास कर देश सेवा करना चाहता है।
मां गृहिणी, पिता दुकानदार
चुलकाना के रहने वाले दीपक छौक्कर ने 97.2 प्रतिशत अंक प्राप्त कर माता-पिता का नाम रोशन किया। दीपक की मां सावित्री गृहिणी तो पिता विनोद दुकान चलाते हैं। दीपक को खुद पर भरोसा था, इसलिए कभी ट्यूशन का सहारा नहीं लिया। वह रोजाना 2 घंटे पढ़ाई करता था, लेकिन परीक्षा के दिनों में 12 से 14 घंटे तक पढ़ाई की। आगे चलकर इंजीनियर के साथ यूपीएससी पास कर अफसर बनना चाहता है।
किसान की बेटी रही अव्वल
हरेकृष्णा इंटरनेशनल स्कूल की छात्रा मुस्कान ने 97 प्रतिशत अंक लेकर परीक्षा पास की। पिता संदीप खेतीबाड़ी करते हैं और माता नीलम गृहिणी है। दोनों 12वीं तक पढ़े हैं। मुस्कान बताती है कि उसने कभी ट्यूशन नहीं लगाया। सुबह जल्दी उठकर उसे पढ़ना अच्छा लगता है। उसने बताया कि वह डॉक्टर बनकर लोगों की सेवा करेगी।
दुकानदार के बेटे ने पाया मुकाम
करियाणा की दुकान चलाने वाले पुरानी गुड़मंडी वासी अजय जैन के बेटे संभव ने 96 प्रतिशत अंक प्राप्त किए है। उसने कभी ट्यूशन का सहारा नहीं लिया। अभिभावकों के साथ-साथ गणित के अध्यापक दीपक गाहल्याण का पूरा सहयोग मिला। आगे क्या बनना है, ये अभी तय नहीं किया है।
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