यमुना नदी के रास्ते कच्चे घाटों से हो रही पशुओं की तस्करी
यमुना नदी से लगते हरियाणा के 15 से अधिक गांवों से पशुओं को नदी के रास्ते से तस्करी का धंधा जोरों से फल-फूल रहा है।
संवाद सहयोगी, सनौली : यमुना नदी का जलस्तर कम होना उत्तर प्रदेश के पशु तस्करों के लिए मोटी कमाई का जरिया बना है। थाना सनौली और बापौली थाना पुलिस की सख्ती के चलते तस्करों ने नया रास्ता तलाश लिया है। कच्चे घाटों के जरिए पशुओं को उप्र के जिला शामली और बागपत के गांवों में बने अहातों में पहुंचाया जा रहा है।
यमुना नदी से लगते हरियाणा के 15 से अधिक गांवों से पशुओं को नदी के रास्ते से तस्करी का धंधा जोरों से फल-फूल रहा है। बताया गया है कि पशुओं को गांवों में खुले अवैध-वैध बूचड़खानों में पहुंचाया जाता है। पानीपत-हरियाणा मार्ग से तस्करी बंद होने के कारण तस्करों ने यमुना नदी को अपना रास्ता बना लिया है। तस्करों के साथ गोताखोर अपने-अपने गांव के घाटों से पशु तस्करी करवाने की एवज में चांदी काट रहे हैं। एक पशु को पार कराने के 500 रुपये तक लेते हैं। ऐसा नहीं कि पुलिस को यमुना के रास्ते पशु तस्करी की भनक नहीं है। यमुना के कच्चे घाटों पर पुलिस चेकिग करती है। यमुना का रास्ता करीब 22 किलोमीटर होने से पुलिस के पहुंचने से पहले तस्कर अपने काम को अंजाम देने में सफल हो जाते हैं।
बूचड़खानों में होती है हत्या
उप्र के विभिन्न गांवों में पशुओं को काटने के बाद उनका मांस बेचकर मोटी मुनाफा कमाया जाता है। कई बार तो पुलिस ने गोवंश भी तस्करों से छुड़वाया है। दुधारू पशुओं को भी तस्कर गांवों से खरीदकर ले जाते हैं।
इन गांवों के घाट तस्करों के मुफीद
गांव राणा माजरा, गढी बेसिक, पत्थरगढ़, नवादा, तामसाबाद, सनौली, अधमी, नन्हेड़ा, जलमाणा, गोयला, रिशपुर, जलमाना, संजोली, खोजकीपुर व मिर्जापुर, राकसेड़ा आदि। इन गांवों से सटी नदी का पानी सूख गया है।
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सड़क के रास्ते पशुओं की तस्करी बिल्कुल बंद है। यमुना के रास्ते और घाटों पर पुलिस गश्त बढ़ाई जाएगी।
राम निवास, थाना प्रभारी बापौली