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नाक कटी सूर्पनखा की, उकसाया खरदूषण, राम के बाण से गए प्राण

वनवास मिलने के बाद जंगल में राम-लक्ष्मण ने कुटिया का निर्माण किया। इसी दौरान वहां रावण की बहन सूर्पनखा आई और भगवान राम के समक्ष उनके भाई से विवाह का प्रस्ताव रख दिया। आइबी स्कूल में श्री सायंकाल रामलीला लैय्या सभा की रामलीला में मंगलवार को दर्शकों ने इस संवाद का भरपूर आनंद उठाया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 02 Oct 2019 10:00 AM (IST)Updated: Thu, 03 Oct 2019 06:30 AM (IST)
नाक कटी सूर्पनखा की, उकसाया खरदूषण, राम के बाण से गए प्राण
नाक कटी सूर्पनखा की, उकसाया खरदूषण, राम के बाण से गए प्राण

जागरण संवाददाता, पानीपत: वनवास मिलने के बाद जंगल में राम-लक्ष्मण ने कुटिया का निर्माण किया। इसी दौरान वहां रावण की बहन सूर्पनखा आई और भगवान राम के समक्ष उनके भाई से विवाह का प्रस्ताव रख दिया। आइबी स्कूल में श्री सायंकाल रामलीला लैय्या सभा की रामलीला में मंगलवार को दर्शकों ने इस संवाद का भरपूर आनंद उठाया।

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रामलीला के प्रारंभ में सूर्पनखा कुटिया का निर्माण कर रहे लक्ष्मण को लुभाने लगी। उसकी काफी कोशिशों पर भी लक्ष्मण विवाह के लिए तैयार नहीं हुए तो वह सीता पर हमला करने के लिए दौड़ी। सबक सिखाने के लिए लक्ष्मण ने एक सींक से सूर्पनखा की नाक काटी तो तालियों की गड़गड़ाहट से कार्यक्रम स्थल गूंज उठा। लज्जित होकर सूर्पनखा ने भाई खरदूषण को राम-लक्ष्मण से बदला लेने के लिए उकसाया। भयंकर युद्ध में खरदूषण श्रीराम के बाण लगने से मारा गया। मंच संचालक युधिष्ठिर लाल ने बताया कि बुधवार को सीता-हरण और रावण-जटायु युद्ध की लीला दिखाई जाएगी।

वनवास को निकले श्रीराम, प्रजा के छलके आंसू फोटो संख्या -26

संवाद सूत्र, बापौली : सनौली खुर्द में सरस्वती रामलीला समिति की तरफ से आयोजित रामलीला के छठे दिन दशरथ और कैकेयी संवाद हुआ। राजा दशरथ से कैकेयी ने दो वरदान भरत को राजतिलक और राम को चौदह वर्ष का वनवास मांगा। श्रीराम को वनवास में जाते देख कर अयोध्या की प्रजा रोने लगी। लोग दुखी होकर भगवान के साथ चलने लगे। श्रीराम ने उन्हें समझाकर उन्हें लौटाया।

मुख्य अतिथि ने कहा कि रामलीला से हमें बुराई को छोड़कर अच्छाई के रास्ते पर चलने का संदेश मिलता है। इस मौके पर समिति प्रधान उमेश कुमार, रामनिवास, घनश्याम दास, पवन त्यागी, भोपाल, रामकिशन, रघुनाथ, शिव कुमार, पंडित जयकुमार, राजबीर, सुमित, सतीश आदि मौजूद रहे।


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