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साहस-स्वावलंबन के नए मानक गढ़ रही शोभना

देवी मां के पांचवें स्वरूप में मां स्कंदमाता का पूजन होता है। यह स्वरूप स्नेह का परिचायक है। पानीपत की आज हम ऐसी महिला से आपको रूबरू करवा रहे हैं। जिन्होंने पति की मृत्यु के बाद न केवल परिवार को संभाला बल्कि 18-18 घंटे मेहनत कर अपनी तीन बेटी व बेटे को बुलंदियों पर पहुंचाया। 62 वर्षीय शोभना ने संघर्ष के परिणाम स्वरूप तीनों बेटियों को स्वावलंबी बनाया। बेटा ने अपना टेक्सटाइल उद्योग खड़ा। शोभना भी वर्तमान में टेक्सटाइल उद्योग चला रही है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 10 Oct 2021 08:29 PM (IST)Updated: Sun, 10 Oct 2021 08:29 PM (IST)
साहस-स्वावलंबन के नए मानक गढ़ रही शोभना

जागरण संवाददाता, पानीपत : देवी मां के पांचवें स्वरूप में मां स्कंदमाता का पूजन होता है। यह स्वरूप स्नेह का परिचायक है। पानीपत की आज हम ऐसी महिला से आपको रूबरू करवा रहे हैं। जिन्होंने पति की मृत्यु के बाद न केवल परिवार को संभाला, बल्कि 18-18 घंटे मेहनत कर अपनी तीन बेटी व बेटे को बुलंदियों पर पहुंचाया। 62 वर्षीय शोभना ने संघर्ष के परिणाम स्वरूप तीनों बेटियों को स्वावलंबी बनाया। बेटा ने अपना टेक्सटाइल उद्योग खड़ा। शोभना भी वर्तमान में टेक्सटाइल उद्योग चला रही है। केरल से 1984 में पति के साथ हांसी आई शोभना को क्या पता था कि उनका पति का साथ कम ही है। पति के मृत्यु के दौरान उनकी आयु 35 वर्ष थी। 1984 उनके पति हांसी में बिस्कुट की फैक्टरी में मशीन आपरेटर लगे। 1988 में बिस्कुट फैक्टरी के मालिक ने पानीपत में नया प्लांट लगाया । शोभना के पति को पानीपत नया प्लांट स्थापित करने के लिए भेज दिया। दिवान चंद ब्रदर्स के नाम से कुटानी रोड पर यह उद्योग स्थापित हुआ। 1994 में किडनी डैमेज होने के कारण शोभना की मृत्यु हो गई। उसके पास तीन बेटी व नौ माह का बेटा था। सास-ससुर, रिश्तेदार, मां-बाप कोई नहीं था। अकेले ही शोभना ने संघर्ष शुरू किया। उस समयन उनकी सहायता के लिए सामाजिक संगठनों मदद की। उन्होंने पटवारी के नीचे क्लर्क का का करने की जाब मिली। वे पैदल ही सर्विस पर जाती थी। बाद में सनातन धर्म संगठन के पूर्व प्रधान टैक्स सलाहाकार स्वर्गीय प्रमोद खेडा ने उन्हें एक साइकिल लेकर दी है। आज भी शोभना के पास साइकिल है। वह साइकिल पर ही चलती है। उन्होंने गोशाला से गाय लेकर पाली। गाय का दूध घरों में बेचकर गुजारा किया। तीनों बेटियों व बेटे को पढ़ा लिखा कर काबिल किया। वर्तमान में उनकी एक बेटी रेणू हरियाणा सरकार में अंडर सेक्रेटरी के पद पर है। एक बेटी बिजली वितरण निगम में एलडीसी हैं। एक बेटी यूनिवर्सिटी में लेक्चरार है।

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शोभना ने बेटे को टेक्साटइल में बीटेक करवाई। बेटे की साथ ही उसने अब टेक्सटाइल की फैक्टरी खोली है। इस उद्योग में टी-शर्ट, जैकेट बनाने का काम कर रही है। जिसकी ओन लाइन सेल की जाती है। दो फैक्टरी लगा ली है। एक यूनिट को वह स्वयं संभाल रही है। शोभना ने बताया कि पटवारी के नीचे सर्विस के दौरान उसने साइकिल पर ही गांव-गांव जाकर सर्वे, बीपीएल सर्वे व अन्य स्कीमों के सर्वे के कार्य किए। वर्तमान मे एक्टिवा, कार उनके बच्चों ने खरीद ली है। लेकिन उसने अपने यादगार साइकिल को आज भी संभाल कर रखा हुआ है। साइकिल से ही वे चलती है। उन्होंने बताया कि संघर्ष के दौर में उनका बच्चों ने पूरा साथ दिया। मेहनत की साथ-साथ पढ़लिख कर कामयाब बने।


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