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प्रतिभा को मिली उड़ान, अब यूएसए में दवाओं पर शोध करेगी ये बेटी Panipat News

यमुनानगर की शिवांगी अब यूएसए में दवाओं पर शोध करेंगी। शिवांगी ने कंप्यूटर इंजीनियरिंग को छोड़ रसायन विभाग में शोध को अपनाया है।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Mon, 05 Aug 2019 07:20 PM (IST)Updated: Mon, 05 Aug 2019 07:22 PM (IST)
प्रतिभा को मिली उड़ान, अब यूएसए में दवाओं पर शोध करेगी ये बेटी Panipat News
प्रतिभा को मिली उड़ान, अब यूएसए में दवाओं पर शोध करेगी ये बेटी Panipat News

पानीपत/यमुनानगर, नितिन शर्मा। अगर आपमें कुछ कर गुजरने की चाहत है तो आपको कोई रोक नहीं सकता। कुछ ऐसा ही कर दिखाया यमुनानगर की बेटी ने। सेक्टर-17 निवासी शिवांगी खरबंदा यूएसए में दवाओं पर शोध करेंगी। यहीं से रसायन विज्ञान पर डॉक्ट्रेट की डिग्री प्राप्त करेंगी। जिले की अकेली प्रतिभावान छात्रा है जिनको अपने शोध कार्य और परियोजना कार्य के बल पर संयुक्त राज्य अमेरिका के ओकलाहामा स्टेट विश्वविद्यालय के रसायन विज्ञान विभाग में डॉक्ट्रेट डिग्री के लिए प्रवेश मिला है। विशेष बात यह है कि इसके लिए इनको कोई पैसा नहीं खर्च करना पड़ेगा। शोध छात्रवृत्ति के रूप में प्रतिमाह दो हजार यूएस डॉलर (एक लाख 40 हजार भारतीय रुपये) भी पांच वर्षों तक मिलेंगे। शिवांगी की कक्षाएं 12 अगस्त से शुरू होगी। वे वहां जा चुकी हैं। 

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शिवांगी के पिता उमेश खरबंदा रसायन विज्ञान के लेक्चरर हैं। उन्होंने बताया कि जिस समय अधिकतर बच्चों का रुझान बीटेक की ओर था। उस समय उनकी बेटी का एडमिशन एनआइटी कुरुक्षेत्र में हो जाने के बावजूद यह निर्णय लिया कि वह बीटेक नहीं करेगी। उनकी रुचि शोध करने में है। उनके निर्णय पर मोहाली के आइआइएईआर में रसायन विज्ञान की बीएसएमएस डुअल डिग्री में प्रवेश लिया। पांच वर्षों की कठिन पढ़ाई के बाद उन्हें अव्वल दर्जे में मास्टर ऑफ साइंस की डिग्री हासिल हुई। डिग्री की पढ़ाई के साथ औषधीय उपयोग के लिए कार्बनिक योगिकों का संश्लेषण विषय पर अपना शोध कार्य जारी रखा। उमेश राजकीय आदर्श संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बिलासपुर में सेवाएं दे रहे हैं।

 shivangi

95 प्रतिशत से की थी 12वीं पास 
वर्ष 2012 में स्वामी विवेकानंद पब्लिक स्कूल सेक्टर सत्रह से शत प्रतिशत 10 सीजीपीए प्राप्त करके मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण की। उसके बाद उन्होंने विश्व भारती स्कूल से 95 प्रतिशत अंक प्राप्त करके नॉन मेडिकल से 12वीं कक्षा उत्तीर्ण की। रसायन विज्ञान के पेपर में 100 में से 98 अंक प्राप्त किए। जेईई मेंस पास कर राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कुरुक्षेत्र में बीटेक कम्प्यूटर साइंस डिग्री में प्रवेश हो जाने के बावजूद उन्होंने देश के विख्यात संस्थान मोहाली में डिग्री करने की राह पकड़ी। यहां भी 5 वर्षों तक शिवांगी को प्रतिवर्ष 80 हजार रुपये की छात्रवृत्ति विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार की उच्च-उच्चतर शिक्षा के लिए इंस्पायर अवार्ड योजना में मिलती रही थी।

मानवता की भलाई को समर्पित है शोध
उमेश बताते हैं कि नित नई बीमारी सामने आ रही हैं। इनके उपचार में प्रयोग होने वाली दवाओं पर शोध हो रहे हैं। इसी कड़ी में उनकी बेटी ने भी मानवता की भलाई के लिए समर्पित अपने शोध को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया। संभवत: इससे लोगों को फायदा होगा। विज्ञान शोध का कठिन मार्ग चुनकर अपनी मिसाल कायम की है। विश्व को अभी तकनीक के साथ साथ शोध की भी बहुत आवश्यकता है। 

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