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सरकार की नीतियों पर भारी पड़ी छौक्कर की सेवा

धर्म सिंह छौक्कर को मिले जनादेश ने साबित कर दिया है कि विकास जनता के लिए सर्वोपरीय है। छौक्कर ने अपने 2009-14 के कार्यकाल में हलके में रिकार्ड विकास करवाया था।

By JagranEdited By: Published: Fri, 25 Oct 2019 09:55 AM (IST)Updated: Sat, 26 Oct 2019 06:37 AM (IST)
सरकार की नीतियों पर भारी पड़ी छौक्कर की सेवा
सरकार की नीतियों पर भारी पड़ी छौक्कर की सेवा

धर्म देव झा, समालखा

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धर्म सिंह छौक्कर को मिले जनादेश ने साबित कर दिया है कि विकास जनता के लिए सर्वोपरीय है। छौक्कर ने अपने 2009-14 के कार्यकाल में हलके में रिकार्ड विकास करवाया था। हारने के बाद भी वे लगातार जनता के बीच रहे। जनता की निशुल्क बस सेवा और फोगिग मशीन से सेवा करते रहे।

विकास और सेवा की मजदूरी जनता से मांगते रहे। चुनाव में जनता ने वोट रूपी मजदूरी देकर उन्हें दोबारा विधायक बनाया।

धर्म सिंह छौक्कर 2009 में विधायक बनने से पहले भी इसी सेवा के बल पर विधायक बने थे। चुनाव जीतने के बाद उन्होंने हलके में विकास की झड़ी लगा दी। बगैर भेदभाव के हर गांव में विकास कार्य करवाए। बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, खेल स्टेडियम आदि चीजों का विकास करवाया, लेकिन निशुल्क बस सेवा बंद कर दी, जो गरीब जनता को रास नहीं आई। उन्हीं की देखादेखी 2014 विस चुनाव से पहले पूर्व निर्दलीय विधायक रविद्र मच्छरौली ने भी खानपुर की समालखा से निशुल्क बस सेवा शुरू की थी। मोबाइल आट्टा चक्की से निशुल्क लोगों का गेहूं पीसा। मेहरबान जनता जनार्दन ने उन्हें भी विधायक बनाकर चंडीगढ़ भेजा, लेकिन उन्होंने भी जीत के बाद बस सेवा बंद कर दी। निशुल्क बस सेवा बंद करने के कारण रिकार्ड विकास कराने के बावजूद धर्म सिंह को 2014 में लोगों ने जनप्रतिनिधि नहीं बनाया। दोबारा पुरानी सेवा शुरू करने के बाद फिर छौक्कर को 2019 में ताज पहनाकर विधानसभा भेजा।

पार्टी से अधिक फेस वेल्यू आया काम

छौक्कर को हलके की जनता विकास व सेवा के नाम से जानती थी। जनता को कांग्रेस पार्टी से बहुत लगाव नहीं था। हुड्डा के हाथ में प्रदेश की राजनीति आने के बाद कुछ माहौल बदला। भाजपा सरकार से असंतुष्ट हलके की वर्चस्व वाली जनता का झुकाव धर्म सिंह और भूपेंद्र सिंह हुड्डा के ओर हो गया। चुनाव में उन्होंने सरकार के विरोध में अपने गुस्से का इजहार किया। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की रैली भी उनके मन को डिगा नहीं सकी।


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