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एक राष्ट्र, एक चुनाव अच्छा है पर वोटर से तो पूछें : वीरेंद्र सिंह

वोटर मैच्योर है लेकिन नेता मैच्योर नहीं है। भारतीय संवैधानिक व्यवस्था में एक राष्ट्र एक चुनाव पर एसडी कॉलेज में आयोजित सेमिनार में रविवार को यह बात केंद्रीय इस्पात मंत्री चौधरी विरेंद्र सिंह ने कही।

By Edited By: Published: Mon, 19 Feb 2018 01:50 AM (IST)Updated: Mon, 19 Feb 2018 10:49 AM (IST)
एक राष्ट्र, एक चुनाव अच्छा है पर वोटर से तो पूछें : वीरेंद्र सिंह
एक राष्ट्र, एक चुनाव अच्छा है पर वोटर से तो पूछें : वीरेंद्र सिंह
जागरण संवाददाता, पानीपत : वोटर मैच्योर है लेकिन नेता मैच्योर नहीं है। भारतीय संवैधानिक व्यवस्था में एक राष्ट्र एक चुनाव पर एसडी कॉलेज में आयोजित सेमिनार में रविवार को यह बात केंद्रीय इस्पात मंत्री चौधरी विरेंद्र सिंह ने कही। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण में एक राष्ट्र एक चुनाव पर चर्चा हुई। राजनीतिक दल के नेता कहेंगे कि सुझाव अच्छा है। वोटर इस नई व्यवस्था के लिए तैयार है या नहीं इसे भी देखना होगा। संविधान में लगभग 100 संशोधन हो चुके हैं। 130 संशोधन दोनों सदनों में पास होने की कतार में हैं। वोटर रिपेयर के दायरे में रह कर देखे कि देश में यह व्यवस्था लागू होनी चाहिए या नहीं। दल बदल विरोधी कानून व मॉडल कोड ऑफ कंडक्टर पर पर दोबारा सोचने की आवश्यकता है। देश में राष्ट्रीयता का स्वरूप धीरे धीरे उभरने लगा है। अगले तीन दशक में भाषाई स्वरूप भी एक बनकर उभरेगा। वोटर इतना सरल है, ये मत सोचें। हम जो आकांक्षा रखते हैं उसमें राष्ट्र हित सर्वोपरि है। कोड ऑफ कंडक्ट मोस्ट डिस्टर्बिग : केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राजनेताओं के लिए कोड ऑफ कंडक्ट मोस्ट डिस्टर्बिग है। चुनाव के तीन माह पहले से लागू हो जाता है। छह माह पहले से ही अफसरों की मानसिकता बदल जाती है। नए कार्यो की चर्चा करने पर बस इतना कहते हैं कि देख लेंगे। चुनाव से दो वर्ष पहले गेट बेटर का जवाब मिलता है। बुनियादी चुनाव में सुधार इंडियन एसोसिएशन ऑफ लायर्स के राष्ट्रीय सचिव अश्विनी बक्शी ने कहा कि भारत जैसे मुल्क के लिए सामंतवादी व्यवस्था का विकेंद्रीकरण जरूरी है। एक राष्ट एक चुनाव की बजाए बुनियादी चुनाव सुधारों की जरूरत है। चुनाव से बाहुबल, धन बल.. ये सब जब तक खत्म नहीं होगा प्रजातंत्र को हम वाइब्रेंट नहीं बना सकते हैं। असंभव नहीं, कठिन जरूर है पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जेसी वर्मा ने कहा कि एक साथ चुनाव हो जाएं तो फायदेमंद रहेगा। असंभव नहीं है लेकिन कठिन जरूर है। कोशिश ये होनी चाहिए कि जो पार्लियामेंट बने, वो पूरे पांच साल चले। धारा 356 का कम से कम प्रयोग किया जाए। चुनाव कॉस्ट ऑफ वोटिंग पर नहीं एक नेशन पर होना चाहिए। कैडर कार्यकर्ता होंगे खुश प्रो. डीएन जौहर ने कहा कि एक राष्ट्र एक चुनाव का कंसेप्ट विलंब से शुरू हुआ है। जीएसटी में वन नेशन वन टैक्स लागू हो गया। एक राष्ट्र एक चुनाव की बात सभी राज्यों से उठनी चाहिए। ऐसा नहीं हो कि केंद्र से ऊपर ही ऊपर थोपा जाए। व्यवस्थाएं बदलेंगी तो सबसे ज्यादा खुशी कैडर कार्यकर्ताओं की होगी। जो रिसर्चर की तरह कभी इस स्टेट तो कभी उस स्टेट घूमते रहते हैं। सेमिनार के महत्वपूर्ण बिंदु -पॉलीटिकल सिस्टम मैच्योर होने और उसे कायम रखने की बात। -जिन्हें नेता मानते उनमें नैतिकता व मूल्य है या नहीं। -लोकसभा चुनाव में 4000 करोड़ व 29 राज्यों के चुनाव में 4000 करोड़ का लगभग खर्च आता है। -चुनाव में एक वोटर पर 20 रुपये का खर्च आता है। -1967 तक विधानसभा व संसद के चुनाव एक साथ कराए गए। ये रहे मौजूद : इस अवसर पर एसडीवीएम के चेयरमैन सतीश चंद्रा, एसडी कॉलेज के प्रधान दिनेश गोयल, एडवोकेट राममोहन राय, गीता लॉ कॉलेज की प्राचार्य डॉ. रश्मि नागपाल, डीईओ सरोजबाला गुर,विजेंद्र मान, शशि लूथरा, मोहनजीत सिंह, कृष्णकांता, गोविंद लाल पाहुजा, नारायण प्रकाश टक्कर, जयभगवान गोयल दीपक कथूरिया।

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