निरंकारी भवन में सत्संग का हुआ आयोजन
गुरु की कृपा से ही हरि के नाम की दात प्राप्त होती है और यह तभी संभव है जब गुरु निहाल हो। यह विचार दिल्ली से आए संत निरंकारी मिशन महात्मा अमरीक सिंह ने निरंकारी भवन कुरुक्षेत्र में हुए संत समागम में प्रकट किए।
निरंकारी भवन में सत्संग का हुआ आयोजन
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र: गुरु की कृपा से ही हरि के नाम की दात प्राप्त होती है और यह तभी संभव है जब गुरु निहाल हो। यह विचार दिल्ली से आए संत निरंकारी मिशन महात्मा अमरीक सिंह ने निरंकारी भवन कुरुक्षेत्र में हुए संत समागम में प्रकट किए। उन्होंने कहा कि जिस के पास नाम रुपी धन होता है, उसके पास किसी तरह की कमी नही होतीं वह सच्चे शाह होते हैं। जिनको सतगुरु की कृपा से निराकार (प्रभु) की जानकारी हो जाती है। फिर वह नाम रुपी मालामाल हो जाते हैं। तभी उन्हें सच्चे शाह भी कहा जाता है। उन्होंने कहा कि प्रभु की प्राप्ति के लिए पूर्ण सतगुरु के चरणों में नतमस्तक होना पड़ेगा, जो अपने आप को झुका कर नतमस्तक हो जाते हैं, तब जाकर उन्हें परम पिता परमेश्वर की जानकारी होती है। प्रभु की जानकारी मानुष योनि में रह कर ही की जा सकती है, जिन्होंने समय रहते इस रमे राम को जान लिया वह मुबारक के पात्र हैं और जिन्होंने अभी परमात्मा को नहीं जाना वह अपने आप को समर्पित करके गुरु चरणों में आ जाए, फिर उनका इस मनुष्य योनि मे आना सफल है। जो खुद इसे जान लेते हैं फिर वह अपने आस पास भी आवाज देते हैं कि मैंने प्रभु को पाया है आप भी इसे पा लें, जो प्रभु को जान लेते है फिर उनका जन्म मरण से छुटकारा हो जाता है। इस अवसर प्रचार यात्रा में आए गुरमीत कौर, निर्मलजीत सिंह, सुरिद्र सिंह, बाल किशन मस्ताना व कश्मीर सिंह शामिल रहे।