सरपंच को पुलिस की क्लीन चिट, कोर्ट ने सुनाई सजा
जागरण संवाददाता, पानीपत अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वेद प्रकाश की कोर्ट ने करहंस के सरपंच को ए
जागरण संवाददाता, पानीपत
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वेद प्रकाश की कोर्ट ने करहंस के सरपंच को एक वर्ष की सजा सुनाई है। मामला जान से मारने की धमकी देने और जातिसूचक शब्द कहने से जुड़ा है। इसी मामले में कोर्ट ने सरपंच के भाई को बरी कर दिया है।
करहंस के सरपंच यशपाल व उसके भाई यशवीर के खिलाफ 13 जून, 2014 को ग्रामीणों ने संबंधित थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। मुकदमा दर्ज कराने वालों में गुलशन कुमार, निर्मला देवी, कृष्णा देवी, रामकंवर, मूर्ति, उषा, सुनहरी देवी, कमलेश व राजवती आदि शामिल हैं। आरोप था कि सरपंच व उसका भाई गांव की महिलाओं के साथ अभद्रता करते हुए जाने से मारने की धमकी देता था। विरोध करने पर जातिसूचक शब्द कहता था।
हालांकि पुलिस ने जांच के दौरान सरपंच को निर्दोष बताकर उसे मुकदमे से बाहर कर दिया था। सरपंच के भाई का चालान कर जेल भेज दिया था। वादी पक्ष ने सरपंच को असली आरोपी बताकर कोर्ट में अपील की थी। कोर्ट ने सीआरपीसी की धारा 319 के तहत सरपंच को भी आरोपियों में शामिल कर लिया था।
मंगलवार को मुकदमे की फाइनल सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए सरपंच को असली दोषी माना। कोर्ट ने सेक्शन 506 के तहत सरपंच को छह माह की सजा सुनाते हुए 1 हजार रुपये का जुर्माना लगाया। एससीएसटी एक्ट सेक्शन 3 के तहत सरपंच को 1 वर्ष की सजा व 10 हजार रुपये का जुर्माना सुनाया। जुर्माना नहीं जमा कराने पर क्रमश: पन्द्रह दिन व एक माह अतिरिक्त सजा सुनाई। कोर्ट ने सरपंच के भाई यशवीर को बरी कर दिया।
सरपंच ने जुर्माना राशि तुरंत जमा करा दी। अपील करने पर उसे जमानत भी मिल गई है। एडवोकेट राजसिंह रावल ने बताया कि सरपंच अपने बचाव में अपील दायर करेगा।