माता पिता की सेवा में है असली मेवा : संत कंवर साहेब
माता पिता की सेवा करो। उनकी सेवा में ही असली मेवा है। यह बात राधा स्वामी आश्रम दिनोद के संत सतगुरु कंवर साहेब महाराज ने ़फरमाई।
जागरण संवाददाता, पानीपत : माता पिता की सेवा करो। उनकी सेवा में ही असली मेवा है। जीवन का कब अंत हो जाए ये किसी को नहीं पता। धन, बल, पौरुष, एश्वर्य पर अभिमान नहीं करना चाहिए। पता नहीं कब सांस रुकने से ये खत्म हो जाएं। जीवन पानी के बुलबुले के समान है। जीवन में यदि करने का कार्य है तो वह है भक्ति। रोहतक रोड स्थित आश्रम में रविवार को यह बात राधा स्वामी आश्रम दिनोद के संत सतगुरु कंवर साहेब महाराज ने ़फरमाई।
उन्होंने कहा कि संतों की वाणी समय के साथ कभी पुरानी नहीं पड़ती है। पांच सौ वर्ष पूर्व कही गई संतों की वाणी आज भी उतनी ही सार्थक है।
शरीर से ठीक नहीं रहोगे तो मन से भी ठीक नहीं रह पाओगे। कुरीतियों को इंसान ढो रहा है। हमारा रहन सहन दूषित होती जा रहा है जो हमारी करनी को प्रभावित करता है। ये जीवन कोटि जन्म के भटकाव के बाद में मिला है। इसे व्यर्थ मत गंवाओ। इसमें जितनी भक्ति कमा सकते हो कमाओ।
माया को हराओ मुहं फेर कर
हुजूर साहेब ने कहा कि कबीर साहेब ने तो माया को एक ऐसा पेड़ बताया जो दो फल देती है। एक फल ऐसा जो बंट जाता है। एक ऐसा जो संग्रह करने के लिए उकसाता है। माया को आप एक ही तरह से हरा सकते हो उससे मुहं फेर कर। माया से मुह तभी फिरेगा जब संतों की शरण मिलेगी।
भक्ति की तराजू हल्की
उन्होंने कहा कि भक्ति की तराजू हल्की होती है लेकिन इस पर आप पूरा सौदा तौल सकते हो। भक्ति करनी से सिद्ध होगी। बातों की भक्ति कोरी भक्ति है। जैसे आधा घड़ा छलकता है वैसे ही दिखावे की भक्ति करने वाला ही डींग हांकता है। इंसान में नम्रता होगी प्रेम होगा तो उसका खजाना दिन प्रतिदिन भरता चला जाएगा। ठगना है अपने आप को ठगो। सेवा से बड़ा कुछ नहीं है। जो तन की सेवा नहीं कर सकते वो धन की करें। जो धन की सेवा नहीं करते सकते है वो मन की करें। इन सेवाओं से बढ़कर है सूरत की सेवा। सूरत की सेवा प्रभु भक्ति से होती है। बाकी सेवा तो बंट जाएंगी लेकिन सूरत की सेवा कभी नहीं बंट सकती।